तकनीक में बदलाव आने के साथ-साथ हमारे लाइफ स्टाइल में भी बहुत बदलाव आया है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक मोबाइल हमारी पहली जरूरत बन गया है। स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने के कारण ही हम उम्र से पहले ही कई बीमारियों में फंसते चले जाते हैं। जिसमें आखें कमजोर होने से लेकर कई मेंटल और फिजिकल प्रॉब्लम शामिल हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि आपका मोबाइल चेहरे पर आने वाली झुर्रियों का कारण भी बन सकता है? इतना ही नहीं, ये आपके तनाव और एंग्जाइटी बढ़ाकर मानसिक स्वास्थ्य (Mobile phone effect on mental health) को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
यूएस के ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी की जर्नल फ्रंटियर्स इन एजिंग में पब्लिश रिसर्च के अनुसार स्मार्टफोन से निकलने वाली ब्लू लाइट उस स्थति को बढ़ा सकती है, जिस पर किसी व्यक्ति की उम्र बढ़ सकती है। जिससे न्यूरोडीजेनेरेशन होता है।
इस बात को जानने के लिए उन्होंने फ्रूट फ्लाइज पर टेस्ट किया, जिसमें उन्होंने फ्रूट फ्लाइज को दो ग्रुप में बांटा। इसमें से एक ग्रुप को लगातार अंधेरे में रखा गया और दूसरे ग्रुप को नीली रोशनी के संपर्क में रखा गया। इस रिसर्च में पाया गया कि जिस ग्रुप को नीली रोशनी के संपर्क में लाया गया था, उनमें सक्सेनेट नाम के केमिकल का लेवल काफी कम था। जिसका अर्थ है कि उनके पास एनर्जी का प्रोडक्शन बेहद खराब रहा होगा।
इस रिसर्च के अनुसार यह पता चलता है कि स्मार्टफोन से निकालने वाली नीली रोशनी के संपर्क में लंबे समय तक रहने से व्यक्ति की उम्र बढ़ने की गति भी बढ़ने लगती है।
झुर्रियों के अलावा ये समस्याएं भी दे सकता है मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल
अत्यधिक मोबाइल की लत से हमारे फोकस पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है। नेशनल सेफ्टी काउंसिल ने पाया कि यूएस में 27 प्रतिशत होने वाले कार एक्सीडेंट में सेल फोन सबसे बड़ा कारण था। सेल फोन का प्रयो करते हुए गाड़ी चलना आपकी एकाग्रता को नुकसान पहुंचाता है, जिससे एक्सीडेंट का जोखिम बढ़ जाता है।
अगर आप सेल फोन की आदि बन चुकी हैं, तो यह सीधा आपके मूड और नींद को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण आपको मूड स्विंग होने लगेंगे और स्लीप पैटर्न में कमी आने लगेगी। गोथनबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं में स्मार्टफोन पर रिसर्च करके पाया कि स्मार्टफोन हमारें मूड और नींद को भी प्रभावित कर सकता है।
सेल फोन ने दुनिया को एक जगह जरूर जोड़ा है, लेकिन ये तनाव और एंग्जाइटी का भी कारण बन रहा है। एंग्जाइटी पर हुई रिसर्च में सामने आया है कि ऐसी समस्या होने पर लोगों को हर टेक्स्ट, ईमेल, कॉल का रेस्पोंस करने की जल्दी होती है। लेकिन काम से जुड़े मुद्दों में मोबाइल का प्रयोग करना तनाव के कारणों में शामिल नही है।
सेल फोन की लत से सिर्फ हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ता, बल्कि इससे हमारी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ भी प्रभावित हो सकती है। एक्सपेरिमेंटल एंड क्लिनिकल साइंस की रिसर्च में साबित हुआ है कि सेल फोन की लत रिश्तों में लड़ाई के साथ काम पर ध्यान नहीं लगने का कारण हो सकता है।
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