भावनात्मक तनाव बढ़ा सकता है हृदय स्वास्थ्य की मुश्किलें, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

जीवन में बहुत सी समस्याएं इमोशनल स्ट्रेस का कारण साबित होती हैं। उन समस्याओं का सामना करने के दौरान व्यक्ति चिंता का शिकार होने लगता है। लगातार तनाव में रहना डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी के अलावा हृदय स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
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कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता हैं। इससे हृदय तेज़ी से धड़कता है और ब्लड वेसल्स संकीर्ण होने लगती हैं। चित्र शटरस्टॉक।
Published On: 18 Oct 2024, 06:22 pm IST
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Dr. Yuvraj pant
इनपुट फ्राॅम

हर व्यक्ति जीवन में सुकून की तलाश में इधर से उधर भटक रहा है, मगर रोज़मर्रा के जीवन में ऐसी बहुत सी समस्याएं है, जो इमोशनल स्ट्रेस यानि भावनात्मक तनाव का कारण साबित होती हैं। उन समस्याओं का सामना करने के दौरान व्यक्ति चिंता का शिकार होने लगता है। अब लगातार तनाव में रहना डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी के अलावा हृदय स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। जानते हैं कैसे हमारे इमोशंस हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगते है (emotional stress effect on heart)।

युनिवर्सिटी ऑफ रोकेस्टर मेडिकल सेंटर के अनुसार भावनात्मक तनाव शरीर में नकारात्मकता को बढ़ा देता है। इसके चलते व्यक्ति क्रोधित, चिंतित, तनावग्रस्त, निराश, भयभीत और खुद को उदास महसूस करने लगता हैं। दरअसल, इसके चलते शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता हैं। इससे हृदय तेज़ी से धड़कने लगता है और ब्लड वेसल्स संकीर्ण होने लगती हैं। नतीजन रक्त का प्रवाह प्रभावित होने लगता है। साथ ही हार्मोन के रिलीज़ से ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर का स्तर भी बढ़ जाता है। तनाव नियंत्रित न होने की सूरत में आर्टरी वॉल्स डैमेज होने की संभावना बढ़ जाती है।

Heart problem ka karan
तनाव नियंत्रित न होने की सूरत में आर्टरी वॉल्स डैमेज होने की संभावना बढ़ जाती है।

भावनात्मक तनाव हार्ट हेल्थ को कैसे प्रभावित करता है (How Emotional Stress Affects Heart Health)

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च के अनुसार दो तरह के तनाव मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। पहला जिसे यूस्ट्रेस के नाम से भी जाना जाता है। यूस्ट्रेस किसी भी व्यक्ति को ध्यान बांटने में मददगार साबित होता है। वहीं दूसरा है डिस्ट्रेस, जो एक गंभीर समस्या के समान थकान और हृदय रोग का कारण बनने लगता है।

वे लोग जो कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ यानि सीएडी से ग्रस्त हैं, उन्हें इस स्थिति में हृदय में ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को मायोकार्डियल इस्केमिया (Myocardial Ischemia) कहा जाता है। ये समस्या सीएडी वाले सभी रोगियों में से 30 से 50 फीसदी तक पाई जाती है। लगातार भावनात्मक तनाव लेने से ये समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है।

इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि इमोशंस दो प्रकार के होते हैं पहला पॉज़िटिव और दूसरा निगेटिव। व्यक्ति जिस तरह सकारात्मक इमोशंस को अपने अनुसार मैनेज कर लेता है, उस तरह से नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाता है। इसके चलते छाती में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ, हाई ब्लड प्रेशर और पेल्पीटेशन का सामना करना पड़ता है।

भावनात्मक तनाव के हावी होने से आमतौर पर इररेगुलर एरीदीमिया (Irregular arrhythmia) यानि अनियमित हृदय गति की समस्या बढ़ने लगती है। दरअसल नकारात्मक भावनाओं के बढ़ने से कार्टिसोल हार्मोन का रिलीज बढ़ जाता है, जो ब्लड के ज़रिए पूरे शरीर में सर्कुलेट होने लगता है। शरीर के अन्य हिस्सों के अलावा विशेषरूप से दिल को प्रभावित करता है। लबे वक्त तक इस समस्या के रहने से हार्ट डिज़ीज का सामना करना पड़ता है।

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भावनात्मक तनाव के हावी होने से आमतौर पर इररेगुलर एरीदीमिया (Irregular arrhythmia) यानि अनियमित हृदय गति की समस्या बढ़ने लगती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

भावनात्मक तनाव के हृदय पर दिखने वाले लक्षण (Symptoms of emotional stress at the heart)

  • इससे व्यक्ति को कमज़ोरी और ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है। साथ ही चकराकर गिरने का सामना करना पड़ता है।
  • सीने में दर्द बढ़ जाती है और देर तक जकड़न व भारीपन बना रहता है। ब्लड प्रेशर भी बढ़ने लगता है
  • ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ने लगती है।
  • घबराहट का सामना करना पड़ता है, जिसे पेल्पीटेशन कहा जाता है। ऐसा महसूस होता है हृदय तेज़ी से धड़क रहा है।

इससे बचने के लिए इन टिप्स को फॉलो करें (Follow these tips to avoid this)

1. नींद की गुणवत्ता को बढाएं

भरपूर नींद लेने से शरीर में हार्मोन का इंबैलेंस नियंत्रित होने लगता है। इससे शरीर दिनभर एक्टिव रहता है और थकान व कमज़ोरी से बचा जा सकता है। सात से नौ घंटे की नींद लेने से कॉर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करके तनाव और मोटापे से राहत मिलने लगती है।

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भरपूर नींद लेने से शरीर में हार्मोन का इंबैलेंस नियंत्रित होने लगता है। इससे शरीर दिनभर एक्टिव रहता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

2. एक्सरसाइज़ को प्राथमिकता बनाएं

मनमाने ढ़ग से वर्कआइड करना एक उम्र के बाद शारीरिक अंगों में ऐंठन और कमज़ोरी का कारण बनने लगता है। दिन में दो बार व्यायाम करें और मेडिटेशन से भी शरीर को एक्टिव रखें। इससे तनाव को कम करके हृदय रोगों की समस्या से बचा जा सकता है।

3. खुद को खुश रखें

इस बात की जानकारी एकत्रित कर लें कि आप किन कारणों से तनाव का सामना करते हैं। उसके बाद अपने आप को खुश रखने के लिए उन चीजों से दूर रहें और खुद को किसी भी कार्य में मसरूफ कर लें। इससे शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन उचित रहता है और शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होते हैं।

Heart health ka kaise rakhein khayal
तनाव के कारण धड़कन का बढ़ना और सांस लेने में तकलीफ गंभीर समस्याओं के लक्षण है।

4. डॉक्टर से सलाह लें

तनाव के कारण धड़कन का बढ़ना और सांस लेने में तकलीफ गभीर समस्याओं के लक्षण है। डॉक्टर से संपर्क करें और हृदय जांच अवश्य करवाएं। इससे समय से पहले हार्ट अटैक के खतरे से बचा जा सकता है। साथ ही शरीर में बीमारियों का खतरा कम होने लगता है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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