ईटिंग डिसऑर्डर एक मनोवैज्ञानिक समस्या है, जो खाने के पैटर्न में महत्वपूर्ण और चल रही गड़बड़ी और उनके साथ चलने वाले असुविधाजनक विचारों और भावनाओं के रूप में जाना जाता है। यह कभी-कभी अत्यंत गंभीर स्थिति हो सकती है। जिसका सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक कार्य पर प्रभाव पड़ता है। एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia nervosa), बुलिमिया नर्वोसा (bulimia nervosa), बिंज ईटिंग डिसऑर्डर ( Binge eating disorder), पिका और रूमिनेशन डिसऑर्डर (pics and Rumination disorder) खाने के कई विकारों के उदाहरण हैं। आइए जानते हैं कि कब इन पर ध्यान देना हो जाता है बहुत जरूरी।
अक्सर, एंग्जाइटी और डिप्रेशन के कारण और शराब अथवा अन्य दवाओं के कारण भी ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या होती है। कुछ लोगों में दूसरों की तुलना में इटींग डिसऑडर विकसित होने की संभावना अधिक होती है, लेकिन खाने के विकार उन लोगों को भी प्रभावित कर सकते हैं जिनके पास समस्या का कोई आनुवंशिक इतिहास नहीं है।
इस विषय पर ज्यादा जानने के लिए हमने बात की न्यूट्रिशनिस्ट और वेलनेस एक्सपर्ट करिश्मा शाह से
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करिश्मा शाह ने बताया कि सेल्फ हार्म और ईटिंग डिसऑर्डर एक ऐसे व्यक्ति के लिए उद्देश्य की पूर्ति करता है जो आंतरिक संघर्ष का सामना कर रहा है। बार-बार, वे समझाते हैं कि खुद को नुकसान पहुंचाने वाले या खाने के विकार के व्यवहार से होने वाले शारीरिक दर्द से भावनात्मक दर्द को विचलित करने या सुन्न करने में मदद मिलती है। अकसर ज्यादातर लोग गिल्ट या शर्म की भावनाओं के जवाब में खुद को सजा देने के लिए सेल्फ हार्म व्यवहार का सहारा लेते हैं।
उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति एंग्जाइटी से जूझ रहा है और ऐसा महसूस कर सकता है कि उसका एकमात्र विकल्प बिंज है, जो केवल थोड़े समय के लिए राहत प्रदान करता है। थोड़ा समय बीत जाने के बाद व्यक्ति बिंज के दौरान ली गई कैलोरी पर शर्म महसूस करता है।
अनैच्छिक क्रियाएं अनिवार्य रूप से अवांछित या प्रबल भावनाओं को व्यक्त करने, बदलने या दबाने के साधन के रूप में कार्य करती हैं। जो लोग खुद को नुकसान पहुंचाने और खाने के विकारों का सामना करते हैं, उन्हें अक्सर अपनी भावनाओं को मौखिक रूप से व्यक्त करने और संसाधित करने में संघर्ष करना पड़ता है। जिसके कारण वे अपने शरीर के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करते हैं।
जो लोग सेल्फ हार्म (Self harm) का सामना करते हैं, वे भावनात्मक रूप से खुद पर काबू करने के अलावा अक्सर शरीर में नाखुशी, आवेग, कम आत्मसम्मान, अकेलापन और आत्म-आलोचना का भी सामना करते हैं।
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सेल्फ हार्म का कोई विशिष्ट उपचार नहीं होता। अधिकांश मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों की तरह ही इसके उपचार के लिए व्यक्ति के अंदर के कारणों की पहचान और उन्हें संबोधित करना होता है। जिसमें कम आत्मसम्मान, आवेग, डिप्रेशन, पारिवारिक संघर्ष और गरीबी या दुर्व्यवहार शामिल हो सकते हैं।
व्यक्ति अक्सर ऐसे लक्षणों के साथ चिकित्सा के लिए जाएगा जो खुद को नुकसान पहुंचाने से संबंधित नहीं हैं। इनमें सोने में परेशानी या उदास महसूस करना शामिल हो सकता है। पूरे सत्र में चिकित्सक द्वारा आत्म-नुकसान के कारण होने वाली चोटों को अक्सर नोट किया जाता है, और समय के साथ, इस गतिविधि को रोकने के लिए तकनीकों को सिखाया जाता है।
क्रोध, शोक और अकेलेपन जैसी नकारात्मक भावनाओं को बेहतर ढंग से संभालने के लिए स्वस्थ जीवन विकसित कर और भावनात्मक स्थिरता बना कर स्वयं को नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार से बचा जा सकता है। इसमें मददगार हो सकते हैं –
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जानें कि अपनी आत्म-धारणा और आत्म-मूल्य को कैसे बढ़ाया जाए
नई चीजें सीखकर अपने सामाजिक और संबंधपरक कौशल में सुधार करें
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