गुरू के बिना एक शिष्य का जीवन अधूरा है। उचित मार्गदर्शन के बल पर नन्हें बच्चे अपने भविष्य को उज्जवल बनाते हैं। दरअसल, बच्चों का जीवन मकड़ी के जाल के समान उलझा हुआ प्रतीत होता है। उसे टीचर्स अपनी गाइडेंस (guidance) और सलाह के माध्यम से कठिनाइयों से बाहर निकलने में मदद करते हैं। शिक्षक विद्यार्थियों को उनके शैक्षणिक कौशल के अलावा भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कल्याण विकसित करने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं। जानते हैं विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किस प्रकार टीचर्स करते है उनकी मदद (How does teachers affect students mental health)।
भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) के रूप में मनाया जाता है। यह असल में भारत के दूसरे राष्ट्रपति और पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन (Sarvepalli Dr Radhakrishnan) का जन्मदिन है। वे पेशे से अध्यापक थे और चाहते थे कि उनके जन्मदिवस को शिक्षकों के लिए समर्पित किया जाए।
शिक्षक उस कुम्हार के समान हैं, जो अपने छात्रों के दिल और दिमाग को सही आकार देने का काम करते हैं। उनके मन को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
शिक्षक और छात्र के बीच अगर मधुर संबध हों तो उससे रिश्तों में सहानुभूति, विश्वास और पॉजिटिविटी (positivity) का संचार होता है। साथ ही बच्चों की मेंटल हेल्थ में सुधार होता है। जो भावनात्मक विकास में अहत रोल अदा करता है। गुरू शिष्य के मज़बूत रिश्ते से भविष्य की नींव स्थापित की जाती है। इससे स्टूडेंटस के अंदर आत्मविश्वास पैदा होने लगता है।
कई बार टीचर्स का मोटिवेशन स्टूडेंटस के इरादों को मज़बूती प्रदान करने में मदद करते हैं। ऐसे में शिक्षकों को अपने विद्यार्थियों को उनकी ताकत खोजने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे बच्चों के ज्ञान में वृद्धि और खुद पर विश्वास बढ़ने लगता है। इससे बच्चा खुलकर पार्टिसिपेट (participate) करने लगता है। इस तरह की प्रशंसाएं बच्चे के अंदर आशावाद को बढ़ावा देती हैं और गरिमा की अच्छी भावना को प्रेरित करती हैं।
बच्चों में कुछ वक्त की गई बातचीत उनके मन की स्थिति को जानने का आसान ज़रिया है। ऐसे में बच्चों में समस्याओं को हल करने की क्षमता बढ़ने लगती है। ये क्षमता युवाओं को जीवन भर उत्कृष्ट मानसिक स्वास्थ्य (mental health) बनाए रखने में मदद करती है। एक्सपर्ट के मुताबिक जीवन बाधाओं से भरा है। अगर हम बच्चो को मानसिक तौर पर मज़बूत बनाएंगे, तो वे किसी भी हालात का डटकर सामना करने के लिए तैयार रहेंगे।
शिक्षकों को कक्षा में सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करने की आवश्यकता है। इससे क्लासरूम में स्वस्थ मानसिक वातावरण को बढ़ावा मिलता है। सभी बच्चों में एकता बढ़ने लगती है और वो मिलजुलकर अपने प्रोजेक्टस पर बेहतर तरीके से काम करने लगते हैं।
वर्जित विषय माने जाने के बजाय मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बच्चों से बातचीत बेहद ज़रूरी है। इससे बच्चों के मन में आने वाले भावों के बारे जानकारी हासिल होती है। इसके अलावा बच्चों के मन में इस बात को बैठाना बेहद ज़रूरी है कि किसी भी विषय के लिए मदद मांगना कमजोरी का नहीं बल्कि ताकत का संकेत है।
कुल मिलाकर प्रशिक्षक छात्रों को महत्वाकांक्षा रखने और उनकी क्षमताओं पर विश्वास करने के लिए प्रोत्साहित करके रोल मॉडल के रूप में कार्य करते हैं। इस आशावाद का बच्चे की भविष्य की उपलब्धि और मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
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