दिन प्रतिदिन डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। अनियंत्रित डायबिटीज सेहत संबंधित तमाम समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देती है। क्या आपको मालूम है डायबिटीज आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है? यदि नहीं, तो आपको बताएं की यह बीमारी कई ऐसे कॉम्प्लिकेशंस और हेल्थ प्रॉब्लम्स को जन्म देती है, जो डिप्रेशन, स्ट्रेस, एंजायटी और अन्य साइकाइट्रिक डिसऑर्डर की स्थिति को खराब कर सकते हैं।
जिस प्रकार डायबिटीज के मरीजों में ऑर्गन फेलियर, मोटापा, हृदय संबंधी समस्या आदि का अधिक खतरा होता है। ठीक उसी प्रकार ये आपके मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकती है (Diabetes effect on mental health)।
ब्लड शुगर लेवल और डिप्रेशन के बीच के कनेक्शन को समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ एम के सिंह से बात की। तो चलिए जानते हैं, क्या होता है मानसिक स्वास्थ्य पर डायबिटीज का प्रभाव।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार मूड और उच्च और निम्न ब्लड शुगर या ग्लाइसेमिक के बीच संबंध होता है। खराब ग्लाइसेमिक रेगुलेशन के लक्षण मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण जैसे चिहीड़चिड़ापन, इरीटेशन और चिंता से मिलते-जुलते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि ब्रेन मुख्य रूप से ग्लूकोज पर चलता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशीगन स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में अस्थिर ब्लड शुगर लेवल जीवन की निम्न गुणवत्ता और नकारात्मक मूड से जुड़ा है। डायबिटीज के मरीजों में, हाई शुगर लेवल, या हाइपरग्लाइसेमिया, ऐतिहासिक रूप से क्रोध या उदासी से जुड़ा हुआ है, जबकि रक्त शर्करा में गिरावट, या हाइपोग्लाइसेमिया, घबराहट से जुड़ा हुआ है।
स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ द्वारा प्रकाशित स्टडी के अनुसार भावनात्मक स्थिति और रक्त शर्करा का स्तर आपस में जुड़े होते हैं। बार-बार मूड में बदलाव या क्रोध, डिप्रेशन, स्ट्रेस, एंजायटी और उदासी की भावनाएं आपके ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकती है और डायबिटीज और संबंधित स्वास्थ्य समस्यायों के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। दूसरी ओर, असंतुलित ब्लड शुगर लेवल, उच्च और निम्न ब्लड शुगर दोनों, आपकी भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और आपको तनावग्रस्त, उत्तेजित, चिड़चिड़ा, चिंतित और उदास महसूस करने पर मजबूर कर सकता है।
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तनाव और चिंता शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे स्ट्रेस हार्मोन के प्रोडक्शन को ट्रिगर करता है। जबकि ये हार्मोन आपके शरीर को तनाव का जवाब देने में मदद करते हैं, वे एक ही समय में इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनते हैं। इसलिए, यदि आप लंबे समय से तनाव में हैं, तो आपका शरीर पैंक्रियाज द्वारा बनाए गए इंसुलिन को संसाधित करने में असमर्थ होता है। यह समय के साथ ब्लड में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाता है और आपको डायबिटीज का शिकार बना सकता है।
डायबिटीज की शुरुआत में स्ट्रेस एंजायटी डिप्रैशन जैसा महसूस हो सकता है, क्योंकि इस प्रकार के क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन का पता लगना और पूरी लाइफ स्टाइल का बदला जाना फौरन एक्सेप्टेबल नहीं होता है, इसमें समय लगता है। जिस प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति को तनाव हो सकता है। वहीं इस स्थिति में व्यक्ति इमोशनल ईटिंग करता है और इस दौरान लिए गए खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर स्पाइक का कारण बन सकते हैं। जिसकी वजह से भी डायबिटीज की स्थिति और ज्यादा बिगड़ जाती है, बढ़ता ब्लड शुगर लेवल और मेंटल हेल्थ दोनों ही एक दूसरे से जुड़े हैं।
डायबिटीज का मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिसकी वजह से मूड स्विंग्स, एंजायटी, थकान, तनाव आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में सेल्फ केयर और लाइफ़स्टाइल मोडिफिकेशन एक बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा थेरेपी आपकी कंडीशन में सुधार करती है, थेरेपी में रिलैक्सेशन टेक्निक्स और डायबिटीज मैनेजमेंट टेक्निक्स को शामिल किया जाता है, इनके माध्यम से आपका इमोशनल रेगुलेशन बना रहता है। साथ ही साथ तनाव भी कम होता है।
यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं और आपको स्ट्रेस, एंजायटी जैसी भावनाओं का अनुभव हो रहा है, तो ऐसे में परिवार, दोस्त और अपने पसंदीदा लोगों से मदद लेने में कोई बुराई नहीं है। आप उनसे इस बारे में बात कर सकती हैं। इससे बेहतर महसूस होगा। वहीं अपने हेल्थ केयर प्रोफेशनल से बात करें, वे आपकी इस कंडीशन को हैंडल करने में मदद करेंगे।
यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो नियमित रूप से अपनी ब्लड शुगर लेवल की जांच करती रहें। ताकि अचानक से इसमें उतार चढ़ाव न आए, जिसकी वजह से आपको मेंटल हेल्थ कंडीशंस का सामना करना पड़े, या आपको किसी प्रकार की अन्य परेशानी हो।
7 से 8 घंटे की बेहतर नींद और शारीरिक गतिविधियों में भाग लेकर खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखने से ब्लड शुगर लेवल सहित मानसिक स्थितियों में भी सुधार करने में मदद मिलती है। उचित नींद आपके ब्लड शुगर रेगुलेशन को सामान्य रहने में मदद करती है और मूड बूस्टर की तरह काम करती है।
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