Betrayal Trauma : मेंटल हेल्थ को लॉन्ग टर्म नुकसान पहुंचा सकता है विश्वासघात, जानिए इस चोट से कैसे उबरना है

विश्वासघात छोटा हो या बड़ा, मन को बहुत गंभीर चोट पहुंचाता है। एक बेहतर मनुष्य हर चोट से उबर कर, आगे बढ़ने के लिए तैयार रहता है। आइए जानते हैं विश्वासघात और उससे उबरने के उपाय (how to overcome Betrayal Trauma)।
Betrayal trauma ke kaaran jaanein
आइए जानते हैं विश्वासघात और उससे उबरने के उपाय (how to overcome Betrayal Trauma)। चित्र- अडोबी स्टॉक
Updated On: 1 Feb 2024, 04:41 pm IST
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विश्वासघात या धोखा अकसर बहुत करीबी लोगों से मिलता है। इसलिए चाहें यह छोटा हो या बड़ा, मन को बहुत गंभीर चोट पहुंचाता है। कभी-कभी कोई विश्वासघात इतना तीव्र होता है कि व्यक्ति बरसों बरस उसकी चोट से उबर नहीं पाता। पर किसी भी तरह से दिए गए धोखे से न आपको अपना मन छोटा करने की जरूरत है और न ही भावनाओं को कुचलने की। एक बेहतर मनुष्य हर चोट से उबर कर, आगे बढ़ने के लिए तैयार रहता है। आइए जानते हैं विश्वासघात और उससे उबरने के उपाय (how to overcome Betrayal Trauma)।

क्यों ट्रॉमा बन जाता है विश्वासघात

इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बिट्रेयल ट्रॉमा उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति के साथ रहने वाले अन्य लोग उसे शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक तौर पर नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों का व्यवहार उस व्यक्ति विशेष के विश्वास को खत्म कर आघात पहुंचाने जैसा होता है। अगर बार बार कोई व्यक्ति इस प्रकार के आघात का सामना कर रहा है, तो उससे बाहर आना बेहद आवश्यक है।

बिट्रेयल ट्रॉमा थ्योरी क्या है (What is Betrayal Trauma Theory)

सबसे पहले साल 1991 में मनोवैज्ञानिक जेनिफर फ्रेयड ने बिट्रेयल ट्रॉमा थ्योरी को पेश किया। उन्होंने इसमें इस बात पर ज़ोर दिया कि किसी व्यक्ति से ऐसे लोगों द्वारा ही विश्वासघात किया जाता है, जिस पर वो देखभाल, भोजन, आश्रय और व बुनियादी सुविधाओं के लिए निर्भर होता है। इसके चलते वो व्यक्ति विश्वासघाती के साथ संबंध बनाए रखने को मजबूर होता है।

Vishwaas ghat se kaise nibtein
किसी व्यक्ति से ऐसे लोगों द्वारा ही विश्वासघात किया जाता है, जिस पर वो देखभाल, भोजन, आश्रय और व बुनियादी सुविधाओं के लिए निर्भर होता है।चित्र- अडोबी स्टॉक

विश्वासघात दो प्रकार का होता है

1. चाइल्डहुड ट्रॉमा

चाइल्डहुड एब्यूज़ ट्रॉमा का कारण साबित होता है। बच्चों की बढ़ती उम्र में उनके अंदर साहस और उत्साह को बढ़ाया जा सकता है। मगर उस उम्र में उनके साथ किया गया र्दुव्यवहार उन्हें ट्रॉमा की स्टेज पर पहुचा देता है। इसके चलते बच्चों को पेनिक अटैक, लॉस ऑफ कॉन्फीडेंस, इंटिंग डिसऑर्डर, पेट दर्द व डरावने सपने आने समेत कई चीजें घेर लेती है।

2. इनफिडैलिटी या एडल्टहुड ट्रॉमा

हेल्दी रिलेशनशिप में अचानक से जब एक साथी दूसरे को डिच करके आगे बढ़ जाता है, तो उसे इनफिडैलिटी ट्रॉमा कहा जाता है। कई रिश्तों में लंबे वक्त तक सेक्सुअल रिलेशनशिप के बाद जब कोई व्यक्ति अपने साथी से अलग होता है, तो उसका असर व्यक्ति की मेंटल हेल्थ पर दिखने लगता है। इसके चलते अधिकतर लोगों को इनफिडेलिटी के अलावा इमोशनल, सेक्सुअल, फिजीकल और वर्बल एब्सूज का सामना करना पड़ता है। लॉस ऑफ सेल्फ एस्टीम, गुस्सा और गिल्ट के चलते लोग अक्सर ट्रॉमा में चले जाते हैं

किसी के द्वारा किए गए विश्वासघात से उबरना है, तो ये टिप्स आएंगे आपके काम

1 इमोशनल मैनेजमेंट पर फोकस करें

पास्ट में घटी कोई भी घटना अगर बार-बार किसी व्यक्ति के गुस्से, झुंझलाहट, दर्द और एंग्जाइटी का कारण साबित हो रही हैं, तो इसके लिए इंमोशंस को नियंत्रित करना आवश्यक है। इसके लिए सेल्फ इस्टीम बढ़ाएं और अपनी भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करें। इस बात को समझें कि एक घटना ही समस्या का कारण नहीं बन सकती है। इसके लिए अपने इमोशंस को रेगुलेट करने का प्रयास करें।

2 खुद को कमज़ोर न समझें

जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। कभी-कभी ये व्यक्ति को हताश और निराश भी कर सकते हैं। मगर परिस्थितियों से डरने की जगह चुनौतियों का सामना करने को आदत में शामिल करें। इससे आप फिजीकली और इमोशनली मज़बूत बनने लगेंगे। समस्याओं के कारण को खोजें। इससे व्यक्तित्व को मज़बूती मिलने लगती है और व्यक्ति के जीवन में उत्साह बनने लगता है।

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शांत बने रहने पर स्पष्ट रूप से सोचने और प्रभावी समस्या सामने लाने में मदद मिलेगी। चित्र : अडोबी स्टॉक

3 भरपूर नींद लें

किसी भी प्रकार के ट्रॉमा से बाहर आने के लिए खुद को रिलैक्स रखना आवश्यक है और इसके लिए भरपूर नींद लें। 8 से 10 घंटे की नींद लेने से शरीर में बढ़ने वाले स्ट्रेस हार्मोन रिलीज़ होने लगते है, जिससे शरीर रिलैक्य हो जाता है और मन को शांति मिलती है।

4 मेडिटेशन हो सकती है मददगार

मन में उठने वाले विचारों को सहेज कर रखने की बजाय उनसे मुक्ति पाना बेहद आवश्यक है। किसी भी प्रकार के आघात से बाहर आने के लिए अनहेल्दी थॉटस पर फोकस न करें। दिनभर में 25 से 30 मिनट मेडिटेशन के लिए निकालें और उस दौरान गहरी सांस लें व छोड़ें। इससे सांस पर नियंत्रण बढ़ने लगता है और शरीर में एनर्जी के स्तर में भी बढ़ोतरी होती है। तनाव के चलते हर वक्त शरीर में रहने वाली थकान और कमज़ोरी से मुक्ति मिल जाती है।

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लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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