आज के समय में रिलेशनशिप को तरह-तरह के नाम दिए जाने लगे हैं। वहीं लोग अपने रिश्ते को अलग-अलग तरीके से डील करते हैं। इस दौरान कई लोग अनजाने में किसी के साथ इतने ज्यादा अटैच्ड हो जाते हैं, कि उनकी तमाम खामियों को नजरअंदाज करते हुए उनके साथ ही रहते हैं। इस स्थिति को एंक्शियस अटैचमेंट (anxious attachment) कहा जाता है। हालांकि, एंक्सियस अटैचमेंट आपको केवल अपने पार्टनर से ही नहीं बल्कि यह किसी भी रिश्ते में देखने को मिल सकती है, जैसे की आपके पैरेंट्स, सिबलिंग्स, फ्रेंड्स आदि। पर ज्यादातर यह स्थिति दो पार्टनर्स के बीच में ही देखने को मिलती है। एंक्सियस अटैचमेंट एक ऐसी चीज है, जो आपके पर्सनल ग्रोथ को रोक देती है, इसके साथ ही इस स्थिति में आपका रिलेशनशिप भी ग्रो नहीं करता।
एंक्सियस अटैचमेंट का मेंटल हेल्थ और रिलेशनशिप पर बेहद नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए सभी को इसके बारे में उचित जानकारी होनी चाहिए। यदि आपको एंक्सियस अटैचमेंट के बारे में नहीं पता है, तो यह लेख आपके लिए ही है। इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हेल्थ शॉट्स ने तुलसी हेल्थ केयर, नई दिल्ली के सायकेट्री डिपार्मेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर गौरव गुप्ता से बात की। एक्सपर्ट ने इस इमोशन से जुड़ी कई जरूरी जानकारी दी है। उन्होंने बताया है की इस प्रकार का अटैचमेंट किस तरह आपके मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है और आपके रिलेशनशिप सक्सेस में रुकावट की तरह काम करता है।
जब आप किसी व्यक्ति के साथ अपने रिश्ते को लेकर सिक्योर नहीं होती हैं, और हर वक्त आपको अपने पार्टनर से दूर होने का डर रहता है, या आपको लगता है कि आपका पार्टनर आपको छोड़ देगा, और इस रिश्ते को पकड़े रहने के लिए आप जो स्ट्रगल कर रही होती हैं, उसे एंक्सियस अटैचमेंट कहते हैं। एंक्सियस अटैचमेंट की स्थिति में व्यक्ति दूसरों के करीब रहना चाहता है, परंतु उन्हें ऐसा लगता है कि सामने वाला व्यक्ति उन्हें छोड़ देगा या उनसे दूर हो जाएगा। ऐसे व्यक्ति एंक्सियस होते हैं, साथ ही उनमें सेल्फ स्टीम भी बहुत कम होता है।
एंक्सियस अटैचमेंट की स्थिति में व्यक्ति को अकेलेपन से डर लगता है और वे अपने पार्टनर पर इमोशनली कुछ ज्यादा ही डिपेंडेंट हो जाते हैं। जिसकी वजह से सामने वाले इंसान की छोटी-छोटी हरकतें उन्हें अधिक प्रभावित करती है। यही नहीं ऐसे लोग अपने पार्टनर की तमाम रेड फ्लैग को नजरअंदाज करते हुए, उनके हिसाब से खुद को ढालने की कोशिश करते हैं, क्योंकि वे उनसे दूर नहीं जाना चाहते।
रिश्ते को लेकर चिंतित रहने वाले लोगों के इमोशन रोलर कोस्टर की तरह ऊपर नीचे होते रहते हैं। कभी कोई चीज काफी ज्यादा अच्छी लगती है, तो कभी बिना किसी बात के व्यक्ति निराश रहने लगता है। भावनाओं में होने वाले फ्रिक्वेंट बदलाव मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक असर डाल सकते हैं।
एंक्सियस अटैचमेंट की स्थिति में इंसान अपने अंदर खामियां ढूंढना शुरू कर देता है। ऐसे लोग खुद की चीजों को बदलने लगते हैं ताकि उनका पार्टनर पूरी तरह से कंफर्टेबल रह सके। ये बदलाव मेंटल हेल्थ पर बेहद नकारात्मक असर डाल सकते हैं।
जो लोग अपने रिश्ते को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं, उनका नेचर अधिक पोजेसिव और जेलेस भरा होता है। ऐसे लोग अपने पार्टनर पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पाते और उन्हें अपने रिश्ते में छोड़ दिए जाने का डर बना रहता है। खासकर ऐसे लोगों को यह लगता है कि उनके पार्टनर के जीवन में उनसे बेहतर कोई और आ सकता है। इसका व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ व्यक्तिगत रिश्ते पर भी बेहद नकारात्मक असर पड़ता है।
एंक्सियस अटैचमेंट के दौरान व्यक्ति कहीं न कहीं अपना असल व्यक्तित्व भूल जाता है। उन्हें केवल अपने पार्टनर के साथ बात करने और समय बिताने की इच्छा महसूस होती है। ऐसे लोग अपने पार्टनर से थोड़ी-थोड़ी देर पर बात करने की कोशिश करते हैं, साथ ही यदि बात न हो पाए तो बैचेन हो सकते हैं।
जिन लोगों को अपने पार्टनर से एंक्सियस अटैचमेंट होता है, वह किसी भी चीज को लेकर जल्दी संतुष्ट नहीं होते। अपने पार्टनर पर इस कदर निर्भर हो जाते हैं, कि वह खुद को संतुष्ट और खुश नहीं रख पाते। वहीं यदि पार्टनर उनके लिए कुछ बेहतर करने की कोशिश करता है, तब भी उन्हें इसकी संतुष्टि नहीं मिलती वह उसमें नकारात्मक चीजें ढूंढना शुरू कर सकते हैं।
एंक्सियस अटैचमेंट की स्थिति में रिलेशनशिप पर बेहद नकारात्मक असर पड़ता है। यह रिश्ते के सक्सेस की संभावना को बहुत कम कर देता है। यदि रिलेशनशिप में एक पार्टनर रिलेशनशिप को लेकर अधिक एंक्सियस रहता है, तो इसका प्रभाव सामने वाले व्यक्ति पर भी पड़ता है। यह पर्सनल ग्रोथ में भी रुकावट का काम कर सकता है। पार्टनर अपने काम में बिजी हो सकता है और उन्हें कभी लंबे समय तक काम करना पड़ सकता है।
ऐसे में उन्हें को इस बात से ऐतराज हो सकता है, वहीं वे उन्हें बार-बार कांटेक्ट करने की कोशिश करते हैं, बात करने की कोशिश करते हैं, जिसकी वजह से दोनों लोगों में फ्रस्ट्रेशन और इरिटेशन बढ़ जाता है। यह काम को प्रभावित करने के साथ-साथ मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करता है। जिसकी वजह से रिलेशनशिप ग्रोथ रुक सकता है।
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इतना ही नहीं एंक्सियस अटैचमेंट की स्थिति में दो लोग खुद खुलकर अपनी चाहत को एक दूसरे के सामने नहीं रख पाते हैं। आमतौर पर रिश्ते में चिंतित व्यक्ति बेहद नेगेटिव हो जाता है और वह अपने पार्टनर की कोशिशें को नजरअंदाज करना शुरू कर देता है। ऐसे लोग यह उम्मीद करते हैं कि उनका माइंड रीड कर लिया जाए, परंतु यह मुमकिन नहीं है। आपको एक हेल्दी रिलेशनशिप में एक दूसरे से कम्युनिकेट करना और अपनी बात को सामने रखना जरूरी होता है।
एंक्सियस लोग रेड फ्लैग को नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं। पार्टनर की गलतियां और रेड फ्लैग के साफ साफ दिखाई देने के बावजूद वह अपनी आंखें बंद कर उन्हें कंसीडर करना भी उचित नहीं समझते। ऐसे लोग उन रेड फ्लैग को ध्यान में रखते हुए खुद को उसके हिसाब से ढालना शुरू कर देते हैं और उनकी व्यक्तिगत पर्सनालिटी खोने लगती हैं, जो की एक हेल्दी रिलेशनशिप का पार्ट नहीं है।
एंक्सियस अटैचमेंट की स्थिति में आपके खुद का नुकसान सबसे ज्यादा होता है। इस प्रकार के अटैचमेंट से दूरी बनाए रखना बहुत जरूरी है, अन्यथा ये मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर छोड़ सकता है। इसके लिए खुद को खुश रखने के अन्य विकल्प तलाशें। यह सोचे कि इस स्थिति के पहले आपको किन चीजों से खुशी मिलती थी और उन चीजों के को अपने पास रखे। साथ ही यदि कोई एक्टिविटी है, तो उसमें भाग लेती रहे।
कई बार ऐसा होता है कि पार्टनर आपकी बात नहीं सुनते और न ही आपको अटेंशन दे पाते हैं। ऐसे में चिंतित होने और खुद को परेशान करने की जगह दूसरे लोगों से बातें करें। इससे आपका मन शांत रहेगा। जरूरी नहीं की हर वक्त रिलेशनशिप एक जैसा चलें, किसी प्रकार के डर या फिर दबाव की वजह से अपने पार्टनर के साथ रिश्ते में रहना उचित नहीं है।
यदि आप केवल डर की वजह से उनके साथ है तो आज ही इसमें बदलाव लाए। आप अपनी पसंदीदा हॉबी ट्राई कर सकती हैं, चाहे तो कहीं घूमने जा सकती हैं, या नए-नए लोगों से बातचीत कर सकती हैं। वहीं हेल्दी खाएं और पर्याप्त मात्रा में पानी पिए जिससे कि आपका बॉडी बैलेंस रहेगा और आपको मेंटल प्रॉब्लम से लड़ने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही सेल्फ लव और सेल्फ वर्थ को समझना बहुत जरूरी है, सबसे पहले इसे समझने का प्रयास करें।
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