क्रोध एक तरह की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, जिसमे लोग अक्सर बिना सोचे समझे तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं करने लग जाते हैं। हालांकि, इस परिस्थिति में कभी-कभी व्यक्ति खुद का, दूसरों का और आसपास की वस्तुओं का भी नुकसान कर बैठता है। क्रोध को नियंत्रित कर पाना बहुत मुश्किल है। कई व्यक्ति ऐसे हैं, जो इस पर अपना कंट्रोल बनाए रखते हैं, तो कुछ व्यक्ति का क्रोध पर बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं रहता। ऐसे में यह मानसिक तथा शारीरिक दोनों ही तरह से आपकी सेहत (Anger effect on health ) के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
क्रोध आने के कई कारण हो सकते हैं। कुछ लोग आसपास के वातावरण के कारण ऐसा बर्ताव करते हैं, तो कुछ लोग जेनेटिकली क्रोधित प्रवृत्ति के होते हैं। वहीं कुछ लोग डिप्रेशन, एंग्जाइटी और तनाव जैसी समस्याओं के कारण अपने व्यवहार को नियंत्रित नहीं रख पाते। हालांकि, इन सबके बीच जो सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, वह है आपका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य।
इसके कारण हार्ट हेल्थ, इम्यून सिस्टम से लेकर इनसोम्निया जैसी समस्याएं आपको परेशानी में डाल सकती हैं। इसलिए अपने क्रोध को जितना हो सके उतना नियंत्रित रखने का प्रयास करें। रचनात्मक तथा मनोरंजक गतिविधियों में भाग लेती रहें, यह आपको शांत रहने में मदद करेगा।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार असामान्य ब्रेन डेवलपमेंट क्रोधित स्वभाव का एक कारण हो सकता है। साथ ही कई लोगों में यह जेनेटिक्स के तौर पर आता है। मोनोऑमिन ऑक्सीडेज नामक जींस क्रोध का कारण होती हैं। वहीं ब्रेन का केमिकल और हार्मोनल इंबैलेंस भी क्रोधित स्वभाव को जन्म देता है। साथ ही क्रोध मेडिसिनस का एक साइड इफेक्ट हो सकता है।
ऐसी कई साइकोलॉजिकल फैक्टर्स है जिसके कारण लोग स्वाभाविक रूप से अधिक क्रोध महसूस करते हैं। इनमें शामिल है, ऑटिज्म, बाइपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन, शिजोफ्रेनिया, क्रॉनिक स्ट्रेस, और इंटरमिटेंट एक्सप्लोसिव डिसऑर्डर।
दिन प्रतिदिन की कठिनाइयों और गतिविधियों के कारण भी आप क्रोध महसूस कर सकती हैं। साथ ही बदलता वातावरण भी इसके लिए जिम्मेदार है। तनाव और डर जैसी परिस्थितियों का क्रोध एक प्रकृतिक रिएक्शन हो सकता है। वहीं आपका आक्रोशित व्यवहार आसपास के वातावरण पर भी निर्भर करता है। यदि आपकी पेरेंटिंग अब्यूजीव लोगों द्वारा की गई है, आपके भाई बहन आपको बुली करते थें, आस-पड़ोस का माहौल खराब होना या स्कूल में टीचर्स का गलत तरीके से पेश आना इन सभी चीजों का प्रभाव आपके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। जिसके कारण आप धीरे-धीरे क्रोधित प्रवृत्ति की होती जाती है।
यदि आप हर समय क्रोधित रहती है, तो बहुत संभावना है कि अप बार-बार बीमार पड़ें। यह आपको अंदर से कमजोर कर देगा। और आपके इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है। यदि आप भी स्वाभाविक रूप से अधिक क्रोधित रहती है, तो अपनी इम्युनिटी को बनाये रखने के लिए कम्युनिकेटिव रहने का प्रयास करें। साथ ही इफेक्टिव प्रॉब्लम सॉल्विंग टेक्निक्स को आजमाएं, दिमाग का इस्तेमाल करें और अपने विचारों को संतुलित रखने से मदद मिलेगी।
एंग्जाइटी और क्रोध हमेशा एक- दूसरे के साथ चलते हैं। स्टडी में देखा गया कि क्रोध एंग्जाइटी डिसऑर्डर की समस्याओं को बहुत ज्यादा बढ़ा सकता है। जिस वजह से आपकी नियमित दिनचर्या प्रभावित होती है, और आप किसी भी कार्य पर ध्यान केंद्रित नहीं रख पाती।
वहीं एक अध्ययन में पाया गया कि एंग्जाइटी और डिप्रेशन से ग्रसित ज्यादातर लोग स्वाभाविक रूप से अधिक क्रोधित रहते थे। इसलिए जितना हो सके उतना अपने क्रोध को काबू में रखने का प्रयास करें। साथ ही इसके लिए उचित व्यायाम और ध्यान का अभ्यास कर सकती हैं।
अधिक क्रोध आपको अनिद्रा जैसी समस्या से ग्रसित कर सकता है। जब आप क्रोध में होती हैं, तो आपका दिमाग अधिक सक्रिय और मन अशांत रहता है। जिस वजह से नींद न आने जैसी समस्याएं होना आम है। इनसोम्निय किसी प्रकार की बीमारी नहीं यह एक लक्षण है, जो नींद की कमी, सारी रात जागने और नींद से संतुष्ट न होने के कारण होती है। साथ ही यह अधिक थकान और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के कारण हो सकती है। क्रोध भी इंसोमनिया का एक सबसे प्रमुख कारण माना जाता है।
क्रोध आपकी हार्ट हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो यदि आप स्वाभाविक रूप से अधिक क्रोधित रहती है, तो साधारण लोगों की तुलना में आपको हार्ट अटैक होने की संभावना ज्यादा होती है। जब आप क्रोधित होते हैं, तो आपका ब्लड सरकुलेशन काफी धीमा हो जाता है, और ब्लड सर्कुलेटिंग नर्वस भी ब्लॉक हो जाते है। इस वजह से हार्ट अटैक होने की संभावना बनी रहती है।
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