पिछले कुछ वर्षों में, जैसे-जैसे हमारे समाज में डाइट की संस्कृति बढ़ी है, स्टार्च सहित कार्बोहाइड्रेट को खराब माना जाने लगा है। यही कारण है कि कई लोग कीटो डाइट को फॉलो करते हैं। कीटो में कार्बोहाइड्रेट नहीं लिया जाता है। लेकिन अगर आप अपनी डाइट से कार्ब हटा देते हैं, तो ये आपके ब्रेन के लिए अच्छा नहीं होता है। कार्बोहाइड्रेट मस्तिष्क के लिए एनर्जी का एक आवश्यक स्रोत हैं। जब यह नहीं मिलता तो आपकी ब्रेन और मेंटल हेल्थ प्रभावित होने लगती है। हम बताते हैं कैसे।
वास्तव में कार्बोहाइड्रेट और मस्तिष्क स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंध है। कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में टूट जाते हैं, जो मस्तिष्क के लिए पसंदीदा ऊर्जा स्रोत हैं। बदले में, ग्लूकोज मस्तिष्क के समग्र कामकाज में मदद करता है (Zero carbs diet side effects)।
इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए हमने बात की डायटीशियन अर्चना बत्तरा से।
कार्बोहाइड्रेट दो प्रकार के होते हैं – सिंपल कार्ब्स (मिठाई या शर्करा युक्त ड्रिंक आर इसमें रख सकते है) और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स (स्टार्च और फाइबर जैसी चीजें)। जबकि सिंपल और कॉम्प्लेक्स दोनों कार्ब्स ग्लूकोज में टूट जाते हैं, वे अलग-अलग दरों पर ऐसा करते हैं।
सिंपल कार्ब्स एक छोटा मॉलिक्युलर तंतु है और शरीर में तेजी से टूटता है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है, लेकिन कम समय के लिए।
कॉम्प्लेक्स कार्ब्स, एक लंबी मॉलिक्युलर श्रृंखला है जिसे टूटने में अधिक समय लगता है और शरीर को अधिक टिकाऊ, लंबे समय तक चलने वाली ऊर्जा देती है।
फाइबर, एक कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट है, जो हेल्दी गट का भी समर्थन करता है। फाइबर हमारी गट में “अच्छे बैक्टीरिया” के लिए भोजन स्रोत है। हेल्दी गट का सीधा संबंध हमारे मानसिक स्वास्थ्य से है, क्योंकि 95% सेरोटोनिन का उत्पादन गट में होता है।
अर्चना बतरा बताती है कि कार्बोहाइड्रेट मस्तिष्क की ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत हैं। मस्तिष्क विभिन्न संज्ञानात्मक कार्यों को करने के लिए ग्लूकोज पर बहुत अधिक निर्भर करता है, जो कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त एक सिंंपल शुगर है। अपर्याप्त कार्बोहाइड्रेट सेवन से थकान, फोकस की कमी और मेंटल फोग जैसी चीजें हो सकती है।
कार्बोहाइड्रेट का सेवन सेरोटोनिन के उत्पादन को बढ़ा सकता है, एक न्यूरोट्रांसमीटर जो आपकी वेल बींग और खुशी की भावनाओं को बढ़ाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कार्ब्स के सेवन से इंसुलिन का स्राव शुरू हो जाता है, जो अमीनो एसिड ट्रिप्टोफैन को मस्तिष्क में प्रवेश करने और सेरोटोनिन में परिवर्तित होने में मदद करता है। कार्बोहाइड्रेट में कमी वाली डाइट संभावित रूप से सेरोटोनिन के स्तर को कम कर सकता है, जो डिप्रेशन या एंग्जाइटी का कारण बन सकता है।
अर्चना बतरा के अनुसार मूड को स्थिर बनाए रखने के लिए संतुलित रक्त शर्करा का स्तर महत्वपूर्ण है। साबुत अनाज, फल और सब्जियों जैसे कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट का सेवन, रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है, रक्त शर्करा में वृद्धि और गिरावट से जुड़ी चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग को रोकता है। दूसरी ओर, सिंपल कार्बोहाइड्रेट और शुगर से भरपूर आहार से रक्त शर्करा में तेजी से उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे मूड और ऊर्जा के स्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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कार्बोहाइड्रेट तनाव के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। तनावपूर्ण स्थितियों के दौरान, शरीर कोर्टिसोल जारी करता है, एक हार्मोन जिसे पर्याप्त ग्लूकोज स्तर द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ कार्बोहाइड्रेट का सेवन कोर्टिसोल के स्तर को स्थिर करके और ऊर्जा का त्वरित स्रोत प्रदान करके तनाव को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।
ऊर्जा की कमी कार्बोहाइड्रेट कम करने का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम है। शरीर को मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता होती है। यह शरीर में थकान और चक्कर आने का कारण भी बनती है। इससे ध्यान केंद्रित करना और व्यायाम जैसे दैनिक काम को पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे ऊर्जा की कमी और भी बदतर हो जाती है।
कार्ब्स से परहेज करने से भूख और क्रेविंग भी बढ़ सकती हैं। रक्त शर्करा के स्तर को रेगुलेट करने के लिए कार्ब्स आवश्यक हैं, और उनके बिना रक्त शर्करा का स्तर गिर सकता है, जिससे भूख लग सकती है।
कार्ब्स ना खाने का एक और दुष्प्रभाव कब्ज है। कार्ब्स फाइबर प्रदान करते हैं, जो पाचन को नियंत्रित करने और चीजों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं। पर्याप्त फाइबर के बिना, आपको कब्ज, सूजन और अन्य पाचन समस्या हो सकती है।
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