चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) का जिक्र जैसे ही आता है, हमारी स्मृतियों में वे सारी फिल्में आ जाती हैं, जब पूर्णिमा (Full Moon) की रात किसी के पास विशेष शक्तियां आ जाती हैं। ऐसा ही कुछ किस्से-कहानियों में भी आपने सुना होगा। पर हैरानी तब होती है, जब टीवी पर हम चंद्र ग्रहण और उसके प्रभाव से संबंधित लंबी बहसें देखते हैं। इनमें ज्यादा फोकस मन-मस्तिष्क यानी मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर रहता है। तो क्या वाकई चंद्रमा या चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर कुछ असर पड़ता है! आइए पता करते हैं।
जब चंद्रमा पूर्ण और उज्ज्वल होता है, तो ये आपकी नींद की गुणवत्ता (Sleep Quality) को प्रभावित कर सकता है। 2014 के विश्लेषण में 319 लोगों को शामिल किया गया था, जिन्हें स्लीप सेंटर में भेजा गया था, शोधकर्ताओं ने पाया कि पूर्णिमा के समय आपको कम नींद आती है और आपकी REM (रैपिड आई मूवमेंट) बढ़ जाती है।स्लीप लेटेंसी वो समय होता है जब आप पहली बार सोते हैं और आप आरईएम स्लीप की पहली स्टेज में प्रवेश करते हैं। REM के कारण आपको नींद काफी देर में आती है।
पबमेड में प्रकाशित एक शोध के अनुसार 81 फीसदी मनोचिकित्सक यह मानते हैं कि पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण का मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
इंडियन जर्नल ऑफ साइकिएट्री में प्रकाशित एक शोध के अनुसार चंद्र और सूर्य ग्रहण के दिनों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की अधिकता देखी गई। चंद्र चक्र का मानसिक स्वास्थ्य विकारों पर प्रभाव (LUNAR PHASE AND PSYCHIATRIC ILLNESS IN GOA) शीर्षक से एक शोध मानसिक विकारों और ग्रहण के प्रभाव का मूल्यांकन करने के उद्देश्य से किया गया था।
परस्पर विरोधी निष्कर्षों के साथ मानसिक बीमारी पर चंद्र चक्र के प्रभाव पर काफी शोध किया गया है। इस अध्ययन का उद्देश्य गोवा में एक तृतीयक मनोरोग अस्पताल में पूर्णिमा (Full Moon), अमावस्या (New Moon), और अन्य चंद्रमा (Other Moon Days) के बीच संबंध और रोगियों में विशिष्ट मनोरोग विकारों की आवृत्ति को निर्धारित करना और जांच करना था।
इसके लिए दो कैलेंडर वर्षों (1997 और 1993) में सभी नए रोगियों का विश्लेषण किया गया। इसमें तीन विषयों पर फोकस किया गया, गैर भावात्मक मनोविकार (Non affective psychoses), डिप्रेशन (Depression) और उन्माद (Mania)। इनके साथ इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री एंड ह्यूमन बिहेवियर, गोवा की ओपीडी में देखे गए नए रोगियों की संख्या की तुलना पूर्णिमा, अमावस्या और चंद्रमा के शेष दिनों के बीच की गई।
ग्रहण के दिनों (चंद्र/सौर) पर इन निदान वाले रोगियों की संख्या की भी जांच की गई। पूर्णिमा के दिनों में गैर-प्रभावी मनोविकृति वाले रोगियों की अधिक संख्या के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति देखी गई! लेकिन उन्माद या अवसाद के लिए कोई पैटर्न नहीं देखा गया।
क्योंकि चंद्रमा का प्रभाव प्राकृतिक घटनाओं को प्रभावित करने के लिए जाना जाता हैं। इसलिए कई जगहों पर ये अंधविश्वास देखने को मिलता है कि चंद्र ग्रहण से इंसानी भावनाएं, व्यवहार और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
कहीं न कहीं चंद्रमा और बाइपोलर डिसऑर्डर के बीच कुछ संबंध जरूर है। यहां तक कि कुछ साक्ष्य भी ग्रहण वाले दिन में नींद की कमी और आरईएम (देरी से नींद आना) के लक्षण की पुष्टि करते हैं। इसके अलावा, कुछ अध्ययनों में ग्रहण के दौरान हृदय संबंधी स्थितियों में थोड़ा बदलाव आता है।
वैज्ञानिक इस पर लगातार अध्ययन कर रहे हैं कि चंद्रमा कैसे हमारे फिजियोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल तौर पर प्रभावित करता है। मगर फिलहाल यह माना जा सकता है कि चंद्रमा और चंद्र ग्रहण हमारे स्वास्थ्य को उतना प्रभावित नहीं करते, जितना फिल्मों या मैजिक शो में दावा किया जाता है।
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