हम सभी खुश रहना चाहते हैं। हम कभी भी यह नीं चाहते कि हम दुखी हों। पर जीवन की समस्याओं के कारण हम दुखी रहते हैं। घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों की वजह से हम तनाव (Stress) में रहने लगते हैं। और अच्छी तरह हंस भी नहीं पाते हैं। खुश होना तो दूर की बात है। जबकि खुश रहने से हमारा दिल और दिमाग दोनों तंदुरुस्त रहता है। ख़ुशी के महत्व को समझने के लिए ही अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाया या इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे (International Happiness Day) मनाया जाने लगा।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations) ने शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ख़ुशी के महत्व को समझते हुए 2013 से इस दिवस को मनाने की शुरुआत की। तब से 20 मार्च को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस या इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे मनाया जाता है। इस दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को उनके जीवन में खुशी के महत्व (Importance of Happiness) का एहसास कराना है।
शरीर के लिए ब्रेन का स्वस्थ होना जरूरी है। जब हम खुश रहते हैं, तो नर्वस सिस्टम एंटी-स्ट्रेस हार्मोन जारी करती है। इससे रात में अच्छी नींद आती है। मष्तिष्क को आराम मिलता है। यदि हम सोने से पहले हिंसक मूवी या समाचार देखते हैं, तो हमारा मन दुखी होता है और सेरोटोनिन हॉर्मोन (Serotonin Hormone) का सीक्रेशन कम हो पाता है। इससे दिमाग को आराम नहीं मिलता है।
जब आप खुश होती हैं, तो स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल लेवल घट जाता है। इससे एनडोरफिन और सेरोटोनिन हॉर्मोन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है। यह हैप्पीनेस हॉर्मोन कहलाता है। यह हमारे पूरे शरीर पर अच्छा प्रभाव डालता है।
स्टैंडिंग कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव से एक बार पूछा गया कि आप हमेशा खुश कैसे रहते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा था, खुद को खुश रखने के लिए सामने वाले व्यक्ति से हमेशा हल्की-फुलकी बातचीत करें। कभी-भी राग-द्वेष के साथ बात नहीं करें। इससे मन दुखी होगा। मन को बोझिल करने वाली कहानियां न पढ़ें और न टीवी पर देखें। इसके स्थान पर ख़ुशी देने वाली, हंसने और गुदगुदाने वाली कहानियां पढ़ें। मनोरंजक प्रोग्राम देखें।
द साइकोलॉजी ऑफ़ हैप्पीनेस जर्नल में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, जब आप सोती हैं, तो शरीर का तापमान गिर जाता है। कम तापमान अच्छी नींद दिलाता है। सोने से पहले ख़ास तौर पर एलईडी बल्ब, घड़ियां, डिजिटल उपकरण बंद करें। उन्हें खुद से बहुत दूर कर दें, ताकि उनसे निकल रही रोशनी आपको सोने से नहीं रोके।
सोने से पहले सूदिंग म्यूजिक आराम वाली नींद देने में मदद करती है।सोने से पहले पेट के बल गहरी सांस लेने से पूरे शरीर को आराम मिलता है।
न्यूट्रीएंट जर्नल के अनुसार, मन के अनुसार भोजन हमारे ब्रेन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखते हैं। लेकिन गरिष्ट और बहुत अधिक तले-भुने भोजन से मस्तिष्क कोशिकाएं और पाचन तंत्र दोनों प्रभावित हो जाते हैं। इसलिए हम चाहकर भी खुश नहीं रह पाते हैं। पेट और मस्तिष्क के बीच सही कम्युनिकेशन बना रहे यह जरूरी है। इसके लिए अपनी रुचि का भोजन लें, लेकिन तले भुने, डिब्बाबंद और मसालेदार भोजन हमें खुश रहने से रोक भी सकते हैं।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ सायकिएट्री के अनुसार, ध्यान से निश्चित रूप से मन शांत होता है और खुशी की भावना पैदा होती है।ध्यान मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को सक्रिय करता है। यह हमारे दिमाग को अच्छी भावना भरने वाला हिस्सा है। यह अशांत मन को शांत करता है। सक्रिय ध्यान अभ्यास भावनात्मक आत्म-नियमन और फोकस में सुधार करने में मदद कर सकता है।
यह मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के कार्यों में सुधार ला सकता है। यह एंग्जाइटी और अवसाद को कम कर सकता है। संज्ञानात्मक गिरावट से बचा सकता है। इससे कार्डियोवैस्कुलर बीमारी का जोखिम कम होगा और हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होगा। इसलिए शुरुआत आँख बंद कर 5 मिनट बैठने से कर सकती हैं।
एनिमल जर्नल के अनुसार, मलेशिया में COVID-19 लॉकडाउन के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और वेलबीइंग पर पालतू पशुओं के प्रभाव पर स्टडी की गई। इसके निष्कर्ष में बताया गया कि पेट्स के साथ रहने वाले लोगों का मेंटल हेल्थ पेट्स के साथ नहीं रहने वाले की तुलना में बेहतर पाया गया। आपने जो भी पेट्स (Pets) पाले हैं समय निकालकर उनके साथ समय बिताएं। उन्हें सहलाएं। उन्हें अपने साथ वाक पर ले जाएं। इससे फील-गुड हॉर्मोन एंडोर्फिन बढ़ेगा और आप खुश होंगी।
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