अगर हम चाहते हैं कि लड़कियां आगे बढ़ें, तो इसकी शुरुआत हमें घर से करनी होगी। इसलिए, इस इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड (International Day of Girl Child) के उपलक्ष्य पर हम बता रहें कुछ टिप्स जो उन्हें कॉन्फिडेंट बनने में मदद करेंगी।
लड़कियों को सशक्त बनाने और उनकी आवाज को बुलंद करने के लिए हर साल 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य लड़कियों के साथ होते आए भेदभाव को खत्म करना है और उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना है।
यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लिंग-आधारित चुनौतियों को समाप्त करता है। जिसका सामना दुनिया भर में छोटी लड़कियां करती हैं, जिसमें बाल विवाह, उनके प्रति भेदभाव और हिंसा शामिल है।
यह दिन लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और लड़कियों के सशक्तिकरण और उनके मानवाधिकारों की पूर्ति को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है। इस दिवस के माध्यम से यूनेस्को का उद्देश्य है कि सभी लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर सम्मानजनक जीवन मिले।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पहली बार 1995 में बीजिंग में मनाया गया था। यह दुनिया भर में छोटी लड़कियों के सामने आने वाली समस्याओं को संबोधित करने वाला पहला आयोजन था। इस दिवस की शुरुआत गैर-सरकारी, अंतर्राष्ट्रीय संगठन योजना के रूप में हुई। यह अभियान लड़कियों को विशेष रूप से विकासशील देशों में उनके अधिकारों को बढ़ावा देने और उन्हें गरीबी से बाहर निकालने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
अगर हम चाहते हैं कि लड़कियां आगे बढ़ें, तो इसकी शुरुआत हमें घर से करनी होगी। इसलिए, उन्हें कॉन्फिडेंट बनाएं, खुद से प्यार करना सिखाएं। साथ ही, उनकी राय को तवज्जों दें और उन्हें अपना करीयर खुद चुनने का मौका दें।
मोम्स का अपनी बेटियों पर बहुत असर पड़ता है। वे हर चीज़ में सिर्फ आपको ही रोल मॉडेल की तरह देखती हैं। इसलिए, अपनी बेटियों को बताएं कि वे कितनी सुंदर हैं और उन्हें खुद से प्यार करना सिखाएं। आपकी कही हुई यह सारी बातें उन्हें अपने आने वाले जीवन में अपनी बॉडी के प्रति कॉन्फिडेंट बनाएगी।
उसके साथ टीवी देखें और जो आप देखते हैं उसके बारे में बात करें। उन्हें बताएं कि सोशल मीडिया क्यों अच्छा है और क्यों नहीं। यह उन्हें आगे चलकर किसी तरह के साइबर क्राइम से बचाएगा।
लड़कियां लोगों कि खुशी के लिए क्या क्या नहीं करती हैं। कभी उनके हिसाब से कपड़े पहनती हैं तो कभी खुलकर विचार व्यक्त नहीं कर पाती हैं। इसलिए, अपनी बच्ची को छोटी उम्र से ही खुद निर्णय लेना सिखाएं। उनसे पूछें कि ‘तुम क्या चाहती हो?’ उसे चुनाव करने दें और फिर उस पसंद का सम्मान करें।
माता-पिता का साथ बच्चों के लिए सबकुछ होता है, और एक लड़की के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है। वह जो भी करे उसका साथ दें, उसे छोटी – छोटी गलतियां करने दें। बस अपनी बेटी को यह महसूस कराएं कि कुछ भी हो आप उसके साथ हैं।
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