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International Daughters Day : जानिए वे 5 चीजें जो हर बेटी अपने पेरेंट्स से चाहती है

समाज बदल रहा है, बेटियों के पेरेंट्स से अपेक्षाएं भी बदल रहीं हैं। इसलिए इस इंटरनेशनल डॉटर्स डे पर सभी को जाननी चाहिए वे बातें, जो मौजूदा समय में बेटियां पेरेंट्स से चाहती हैं। 
सभी बेटियां पेरेंट्स से अपेक्षा रखती हैं कि उन्हें भी बेटे के बराबर सम्मान मिले. चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 24 Sep 2022, 19:30 pm IST
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बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। बेटा-बेटी में कोई अंतर नहीं है (no discrimination between son and daughter) ये बात अलग-अलग मंचों पर बार-बार दोहरायी जाती है। इसके बावजूद कुछ सोशल टैबूज साबित करते हैं कि एक सी परवरिश के बावजूद हम अब भी अधिकार के मामले में बेटियों से कंजूसी  कर जाते हैं। जिससे सक्षम होते हुए भी उनकी राह मुश्किल हो जाती है। इसलिए इंटरनेशनल डॉटर्स डे (International Daughters Day) के अवसर पर जानें उन चीजों के बारे में जो आधुनिक और पढ़ी-लिखी बेटियां अपने पेरेंट्स से चाहती हैं। 

बेटियां हर क्षेत्र में अपनी बुद्धि और कौशल का लोहा मनवा रही हैं

बेटियों के अधिकारों, समानता और स्वतंत्रता के उद्देश्य से हर वर्ष सितंबर के चौथे रविवार ((4th sunday) को इंटरनेशनल डॉटर्स डे (International Daughters Day) मनाया जाता है। हम मानते हैं कि बेटियों के बिना यह सृष्टि नहीं चल सकती है। भारत समेत दुनिया के हर देश की बेटियां हर क्षेत्र में अपनी बुद्धि और कौशल का लोहा मनवा रही हैं। साइंस, मेडिकल, पॉलिटिक्स, एक्टिंग, कॉरपोरेट, सेना-हर क्षेत्र की वे अगुआई कर रही हैं। इसके बावजूद बेटे और बेटी को लेकर समाज की सोच रूढ़िवादी बनी हुई है, जिसका जवाब वे अपनी काबिलियत और हौसले से दे रही हैं ।

क्या है इंटरनेशनल डॉटर्स डे (25 September 2022)

बेटियों के महत्व और उनके कार्यों को सेलिब्रेट करने के लिए सितंबर के चौथे (4th) संडे को हर साल इंटरनेशनल डॉटर्स डे मनाया जाता है। इसकी शुरुआत भारत में ही हुई। लड़का और लड़की एकसमान हैं, इसलिए दोनों को एक समान मौके (same opportunity) मिलने चाहिए। इसी संदेश के साथ यह दिन मनाया जाता है।

तो चलिए इस डॉटर्स डे पर उनके भी मन की थाह लें और जानें कि वे अपने पेरेंट्स से क्या कहना चाहती हैं। 

यहां हैं वे 5 बातें, जिन्हें हर बेटी अपने पेरेंट्स से चाहती है

1 विश्वास (Trust her)

विश्वास या भरोसा किसी भी रिश्ते में सबसे बड़ी चीज होती है और यही बात बेटी और पेरेंट्स के बीच संबंधों की भी  आधारशिला (foundation) है। एक-दूसरे पर किया जाने वाला भरोसा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। यदि बेटी जानती है कि उसके पेरेंट्स उस पर ट्रस्ट करते हैं, तो उसमें सुरक्षा का भाव विकसित होगा। जिससे उसकी सेल्फ एस्टीम और कॉन्फिडेंस दोनों बढ़ते हैं। 

बचपन से बेटी के मन में यह बात बिठाने की कोशिश करें कि उसके पेरेंट्स उस पर पूरा भरोसा करते हैं। उन्हें इस बात का विश्वास है कि वह कोई भी गलत कदम नहीं उठाएगी। यह भरोसा उसे सही फैसले लेने और किसी भी गलत के प्रति आकर्षण से रोकेगा।

2 दोस्तों का आंकलन न करें (Don’t judge her friends)

सारा अली खान की मां और प्रसिद्ध अभिनेत्री अमृता सिंह ने एक बार कहा था कि मैं कभी अपनी बेटी सारा के दोस्तों को बुरा या बेकार नहीं कहती हूं। मुझे इस बात का विश्वास है कि उसके दोस्त में कुछ न कुछ खूबी होगी, तभी वह सारा का फ्रेंड है। गुड पेरेंटिंग (good parenting) के लिए अमृता सिंह की यह टिप बेहद कारगर है। 

यह जरूरी नहीं है कि यदि किसी लड़के के बाल लंबे हैं, तो उसकी पर्सनैलिटी अच्छी नहीं हो या वह कोई पियक्कड़ या नशेबाज ही हो। संभव है कि वह रिसर्चर हो, साइंटिस्ट हो या कोई बढ़िया फोटोग्राफर या पेंटर हो। इसलिए पेरेंट्स को चाहिए कि  बेटी के किसी भी दोस्त के कपड़े, हाव-भाव या रहन-सहन के आधार पर वे उसे जज न करें। यह स्वभाव बेटी के साथ उनके रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकता है।

3 रूढ़ियां तोड़ने की पहल करें (Break Social Taboos)

आज भी कई मांएं अपनी बेटियों को कहते मिल जाती हैं कि वह लड़की है इसलिए क्रिकेट नहीं खेल सकती है या मैथ्स के सवाल नहीं हल कर सकती है या फिर पीरियड के दौरान वह कई काम नहीं कर सकेगी। पेरेंट्स को चाहिए कि वे ऐसी महत्वहीन सामाजिक रूढ़ियों को कभी अपनी बेटियों पर थोपे नहीं। 

बेटी के मन में कभी लड़के-लड़की के बीच अंतर (no difference between son and daughter) होने का भाव आने ही न दें। उसे खुद को सुरक्षित रहने के हर संभव उपाय बताएं। साथ ही उसे उसकी रूचि और क्षमता के अनुसार हर काम करने के लिए प्रेरित करें। इससे उसका आत्मबल और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

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4 छिपी हुई पितृसत्ता को खत्म करें (Ditch the hidden patriarchy in you)

भारतीय परंपरा  में पित्तृसत्ता छिपे हुए रूप में मौजूद है। यहां तक कि पढ़ाई के दौरान स्कूल में भी इस बात का एहसास कराया जाता है। जाने-अनजाने में मांएं भी इसे फॉलो करने लग जाती हैं। अपनी बेटी को कभी इस बात के लिए एनकरेज न करें कि वह अपनी तुलना में आर्थिक रूप से अधिक मजबूत और हायर पोस्ट वाले लड़के का ही शादी के लिए चुनाव करे और इससे उसका भविष्य सुरक्षित हो जाएगा।

बेटियों को आत्मनिर्भर बनायें पेरेंट्स। चित्र: शटरस्टॉक

बल्कि उसे स्वयं आत्मनिर्भर होने के लिए प्रेरित करें। उसके सामने कभी न कहें कि तुम पराये घर चली जाओगी, तुम पराई हो। उसे एहसास दिलाएं कि कानूनी रूप से भी घर और संपत्ति पर उसका पूरा अधिकार है।

5 दोस्ताना बातचीत (Talk Friendly)

पेरेंट्स को बेटी के साथ इस तरह अपना रिश्ता विकसित करना चाहिए कि वह उन्हें अपना दोस्त समझे, गार्जियन नहीं। एक बार फिल्म और थियेटर एक्ट्रेस तनाज ईरानी ने बातचीत के दौरान बताया था क वे अपनी बेटी से यह कभी नहीं कहती हैं, “मैं अपने बचपन में तो यह काम नहीं करती थी” या “ऐसे कपड़े नहीं पहनती थी” या “वैसी बातचीत नहीं करती थी, जैसा तुम कर रही हो”।

बेटी से दोस्ताना व्यवहार रखना ही समझदारी है। चित्र: शटरस्टॉक

मैं जानती हूं कि बेटी और मेरे बीच पूरे एक जेनरेशन का गैप है। इतने सालों बाद समय तो बदलता ही है। इसलिए खुद से तुलना करने की बजाय उसके साथ एक दोस्त की तरह बातचीत करें। तभी वह अपने मन की बात शेयर कर पाएगी और पेरेंट्स उसे जरूरी सलाह दे पाएंगे। यदि पेरेंट्स हर समय हेलिकॉप्टर पेरेंट बनी रहेंगे, तो संभव है कि वह बातें छिपाने लगे।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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