हमारी दौड़ भाग भरी ज़िंदगी का खामियाजा भर रही है हमारी नींद। कभी मूवी, कभी काम, तो कभी कुछ और, यानी हम अपने स्लीपिंग ऑवर पर कटौती कर देते हैं। लेकिन इसका हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है, खास कर मानसिक स्वास्थ्य पर।
नेशनल स्लीप फाउंडेशन के सर्वे में पाया गया कि देश का हर तीसरा युवा ज़रूरत से कम सो रहा है। इस सर्वे में 20 साल से 45 साल की उम्र के व्यक्तियों का एवरेज स्लीपिंग डेटा एनालाइज किया गया।
आपको कितना सोना चाहिए यह आपकी उम्र, लाइफस्टाइल, जॉब जैसे कई फ़ैक्टर्स पर निर्भर करता है। अमेरिकन अकैडमी ऑफ़ स्लीप मेडिसिन के अनुसार आपकी नींद की ज़रूरत में एज सबसे बड़ा फ़ैक्टर है।
टीनएज में बच्चों को 8 से 10 घण्टे की नींद लेनी चाहिए, 20 से 40 साल तक के युवाओं को 7 से 9 घण्टे की नींद लेनी चाहिए और उससे ऊपर 8 घण्टे की नींद पर्याप्त होती है।
1. पहला हिस्सा जिसमें हम लेट कर सोने की कोशिश करते हैं। इस हिस्से में हमारा दिमाग तेज़ी से चलता है और इसी समय आपको खुद पर कंट्रोल करना है।
2. दूसरा हिस्सा होता है हल्की नींद। इसमे आपका दिमाग धीरे-धीरे शांत हो जाता है। जब हम झपकी लेते हैं, तो हम हल्की नींद ही सोते हैं। इस नींद से अगर कोई आपको जगा दे तो आपका मूड चिड़चिड़ा होता है।
3. तीसरा हिस्सा है गहरी नींद यानी डीप स्लीप। इस वक्त आपका दिमाग पूरी तरह शांत होता है। इस स्टेज में आपकी बॉडी का तापमान हल्का सा गिरता है, जिसके कारण आपको ठंड महसूस होती है।
4. डीपेस्ट स्लीप यानी सबसे गहरी नींद। यह हमारी नींद का सबसे ज़रूरी हिस्सा है। इस स्टेज में ही हमारा दिमाग रेस्ट और हील करता है। इस स्टेज में बॉडी के पिट्यूटरी ग्लैंड्स ग्रोथ हार्मोन्स निकालते हैं जिससे हमारी बॉडी रिपेयर करती है।
इतना ही नहीं इस स्टेज में दिमाग में ग्लूकोज़ मेटाबॉलिज्म तेज़ी से होता है जो हमारी मेमोरी शार्प करता है और शार्ट टर्म लर्निंग इम्प्रूव करता है। अगर आपने डीपेस्ट नींद ली है, तो अगले दिन आप एकदम फ्रेश और एक्टिव महसूस करते हैं।
5. पांचवा हिस्सा है सपने देखना। इस स्टेज में आपका दिमाग काम करने लगता है, जिसके कारण आपको सपने आते हैं। सपने आने का मतलब है कि शरीर के ज़रूरत भर की नींद पूरी हो गयी है। आपके सपने आपके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। बहुत अधिक चिंता होने पर बुरे सपने आते हैं।
एक स्वस्थ नींद में ये पांचों हिस्से बराबर होने चाहिए। लेकिन कई कारणों से आपको गहरी नींद नहीं आती, जो कि चिंता का कारण हो सकता है।
1. अगर आप रात भर सोने के बाद भी सुबह चिड़चिड़ा महसूस कर रहे हैं, तो इसका मतलब है आप हल्की नींद ही सोए हैं। इसलिए आपकी बॉडी को प्रॉपर रेस्ट नहीं मिल पाया है।
2. गहरी नींद न आना अवसाद की निशानी हो सकती है। यही नहीं अगर बहुत देर लेटने पर भी आपको नींद नहीं आती, तो यह डिप्रेशन का लक्षण है।
3. गहरी नींद में ही हमारा दिमाग हील होता है। जब दिमाग को हील और रिप्लेनिश होने का मौका नहीं मिलेगा तो दिमाग तनाव से लड़ नहीं पाएगा।
4. अगर आप 8 से 9 घण्टे की नींद नहीं लेते तो आपका मेंटल हेल्थ गिरने लगता है। इससे आपकी मेमोरी, फोकस और नया सीखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।
1. 9 घण्टे की नींद ज़रूर लें। इससे कोई समझौता न करें। अगर आप ठीक से सोएंगे नहीं तो ठीक से काम कैसे करेंगें।
2. सोने से कम से कम 6 घण्टे पहले से कैफीन लेना बंद कर दें। कैफीन आपकी डीप स्लीप में बाधा बन सकती है। इसलिए शाम को एक कप कॉफी अवॉयड ही करें।
3. सोने से पहले ठंडे पानी से न नहाएं। नहा कर सोना अक्सर हमारी आदत होती है, खासकर गर्मियों में। लेकिन ठंडा पानी हमारे दिमाग को एक्टिव करता है, इसलिए सोने से पहले इसे अवॉइड करें। अगर नहाना है, तो हल्के गुनगुने पानी से नहाएं।
4. सोने से पहले बहुत पानी न पियें। ज्यादा पानी पीने का मतलब है रात भर उठकर बाथरूम जाना। इससे आपकी डीप स्लीप इफ़ेक्ट होती है।
5. अगर आपको नींद नहीं आती, तो इसे इग्नोर ना करें। डॉक्टर के पास जाएं, क्योंकि यह गम्भीर समस्या बन सकती है। बिना प्रेस्क्रिप्शन नींद की गोलियां ग़लती से भी ना लें।
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