स्ट्रेस और एंग्जाइटी से परेशान हैं तो दवाइयों के सेवन से पहले आजमाएं ये 6 प्रभावी टिप्स

एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां लेने से अवसाद के लक्षण अस्थाई रूप से नियंत्रित हो सकते हैं। वहीं कई बार लोग इन दवाइयों के आदि हो जाते हैं और छोटी छोटी बातों पर दवाइयां लेना शुरू कर देते हैं, इनसे बचना जरुरी है।
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पेन किलर्स और नॉनस्टेरॉइडल एंटी.इंफ्लेमेटरी ड्रग्स से लिवर डैमेज का खतरा बढ़ जाता है,। चित्र: शटरस्टॉक
Updated On: 17 Oct 2023, 05:06 pm IST
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तनाव, चिंता आदि जैसी मानसिक स्थितियां दिन प्रति दिन बेहद आम होती जा रही हैं। यह समस्या छोटी उम्र के बच्चों से लेकर बुजुर्गों में भी देखने को मिल रही है। वहीं यह एक बड़ी संख्या में युवा आवादी को अपना शिकार बना चुकी है। छोटी-छोटी बातों पर बेचैनी होना, धड़कनों का तेज रहना, दिल घबराना, सांस फूलना, नींद की कमी, सभी एंग्जाइटी के लक्षण हो सकते हैं। अवसाद के इन लक्षण के कारण लोगों की नियमित दिनचर्या पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, ऐसे में असुविधाओं से बचने के लिए लोग एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां लेना शुरू कर देते हैं।

एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां (antidepressant medicine) लेने से अवसाद (depression) के लक्षण अस्थाई रूप से नियंत्रित हो सकते हैं। वहीं कई बार लोग इन दवाइयों के आदि हो जाते हैं और छोटी छोटी बातों पर दवाइयां लेना शुरू कर देते हैं। ऐसे में इन दवाइयों के कई गंभीर साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, आप चाहें तो बिना दवाइयों के भी आसानी से इन समस्यायों से बाहर आ सकती हैं। तो चलिए आज हेल्थ शॉट्स के साथ जानते हैं बिना दवाइयों का सेवन किये आप किस तरह तनाव और अवसाद से बाहर आ सकती हैं (how to treat depression without medicine)।

यहां जानें एंग्जाइटी और डिप्रेशन से डील करने के कुछ खास टिप्स

1. विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा लें

पब मेड सेंट्रल द्वारा प्रकाशित रिसर्च की माने तो विटामिन डी की कमी अवसाद का कारण बन सकती है। वहीं कुछ पोषक तत्वों की कमी अवसाद के लक्षणों को ट्रिगर करती हैं। यदि आपको अपने आहार और जीवनशैली (जैसे धूप में रहना) के माध्यम से पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल रहा है, तो अपने डॉक्टर से सप्लीमेंट को लेकर सलाह ले सकती हैं।

Vitamin D supplements apko arthritis and osteoporosis ke risk se bacha sakte hain
विटामिन डी सप्लीमेंट्स आपको अवसाद के जोखिम से बचा सकते हैं। चित्र: अडोबी स्टॉक

2. पर्याप्त नींद लेने से मिलेगी मदद

डिप्रेशन के कारण कई लोग इनसोम्निया का शिकार हो जाते हैं। इस स्थिति में नींद आना मुश्किल होता है, जिससे परेशानी अधिक बढ़ जाती है। ऐसे में उचित नींद लेने की कोशिश करें। इसके लिए खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखना सबसे जरूरी है और दिन के समय नैप लेने से बचने की कोशिश करें। साथ ही अपने बेडरूम के एनवायरमेंट को स्लीप फ्रेंडली बनाएं। सोने से 1 घंटे पहले अपने मोबाइल फोन और अन्य सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को खुद से दूर कर दें।

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3. एक्सरसाइज और योगाभ्यास में भाग लें

योग और एक्सरसाइज हर तरह की मानसिक स्थिति जैसे कि तनाव, उदासी और चिंता से उबरने में आपकी मदद कर सकती है। अपने डेली रूटीन से कम 30 से 40 मिनट योग और प्राणायाम के लिए निकालें। यह आपके शरीर में जरूरी हॉर्मोन्स को उत्तेजित करते हैं, जिससे कि आपका मन शांत रहता है और खुशी की भावना उत्पन्न उत्पन्न होती है। यह डिप्रेशन से लड़ने में सहायक हो सकती है।

4. डाइट का रखें विशेष ध्यान

ऐसा कोई खाद्य पदार्थ नहीं है जिसे खाते ही डिप्रेशन गायब हो जाए, परंतु खान-पान के प्रति सचेत रहना और स्वस्थ आहार लेने से इसकी स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है। डिप्रेशन की स्थिति में अधिक गर्मी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहे। इसके साथ ही अश्वगंधा, लैवेंडर, रोजमेरी और केसर जैसे हर्ब्स को एंटीडिप्रेसेंट कहा जाता है, इन्हें डाइट में शामिल कर सकते हैं। वहीं ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी कारगर होता है।

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5. शराब और अन्य नशीले पदार्थों से दूर रहें

डिप्रेशन की स्थिति में लोग अधिक शराब, गांजा और और सिगरेट जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देते हैं। यह सभी चीजें डिप्रेशन की स्थिति को और अधिक गंभीर कर सकती हैं। लंबे समय तक नशीले पदार्थों के सेवन से ब्रेन फंक्शन पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिसकी वजह से मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

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उनके साथ बैठे और अपनी स्थिति के बारे में उन्हें बताएं। चित्र : एडॉबीस्टॉक

6. परिवार एवं दोस्तों के साथ वक्त बिताएं

डिप्रेशन की स्थिति में लोग अकेले रहना शुरू कर देते हैं और ऐसे में आपके ऊपर नकारात्मक भावनाओं का असर अधिक होता है। इसलिए लोगों के साथ रहने का प्रयास करें। परिवार के सदस्य या दोस्त जिनके साथ भी आपको बेहतर महसूस होता हो, उनके साथ बैठे और अपनी स्थिति के बारे में उन्हें बताएं।

यदि आप अपनी स्थिति को शेयर नहीं करना चाहती हैं तब भी उनके साथ अन्य सकारात्मक बातें करने की कोशिश करें, जिनसे आपको बेहतर महसूस होगा। इस प्रकार आप नकारात्मकता को खुद पर हावी होने से रोक सकती हैं और इस स्थिति से जल्दी बाहर निकल सकती हैं।

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लेखक के बारे में
अंजलि कुमारी
अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं।

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