हमेशा “हां” कहने की आदत आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर परेशान कर सकती है।
निस्वार्थ होना अच्छा होता है,पर कई बार अपनी मानसिक तंदरुस्ती के लिए आपको स्वार्थी होने की भी जरूरत होती है। अगर आप अपनी मानसिक शांति बनाए रखना चाहते हैं तो ना कहना सीखें। हर काम के लिए तैयार रहना आपकी आदत हो सकती है, पर अपने मानसिक स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं।
इसलिए, यदि आप भी “हां” क्लब के सदस्य हैं, तो आप इस तथ्य से अच्छी तरह परिचित होंगे कि आप सभी को खुश नहीं कर सकते। और हर समय हां कहना, खासकर जब आप वास्तव में नहीं कहना चाहते हैं, तो आपके दिमाग पर कितना बड़ा बोझ डालता है। ये सच है न?
मायो क्लिनिक यह सुझाव देता है कि ऐसी स्थिति में अनावश्यक तनाव झेलने से अच्छा है कि आप बेशर्मी से ना कहें।
सामाजिक मनोविज्ञान में पीएचडी और ‘नो – 250 वेज टू से इट’ पुस्तक की लेखिका सुजेन न्यूमैन कहती हैं कि लोगों को हमेशा खुश करने की आदत को छोड़ देना चाहिए।
अपनी किताब में वे लिखती हैं, कुछ लोगों के लिए ‘हां’ कहना एक आदत होती है। एक ऑटोेमेटिक रेस्पॉन्स। जबकि दूसरे लोग इसे तभी कह पाते हैं,जब वे उससे सहमत होते हैं। अमूमन यह होता है।
हम समझ सकते हैं कि आप एक आदत के अनुसार हां में सिर हिला रहे होंगे, जबकि अंदर से यह सोच रहे होंगे कि इसे ना कैसे कहें बाबा? असल में आप किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते। इसलिए आप ऐसा करने के आदी हो गए हैं।
तो, लेडीज अब आपको खुश हो जाना चाहिए, क्योंकि हम आपको ऐसे 5 तरीके सिखा रहे हैं,जिनसे आप किसी को नाराज किए बिना हां कह पाएंगी-
किसी को सीधे न कहने की बजाए, हम यही सोच सोचकर परेशान होते रहते हैं कि अगला हमारे बारे में क्या सोचेगा। खुद को न कहने का ठोस तर्क देने की बजाए हम दूसरों का समर्थन पाने की कोशिश में लगे रहते हैं। इससे बेहतर है कि आप अपनी स्थिति का सही आकलन करके एक ठोस तर्क के साथ स्पष्ट रूप से न कहें। यकीन कीजिए यह किसी को बेइज्जत नहीं करेगा।
प्रोफेशनल वर्ल्ड में ऐसा बहुत होता है, जब लोग आपका अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं। खासतौर से अपने अधीनस्थों का। पर इस स्थिति का मुकाबला आपको थोड़ा कुशलता से करना है, यानी आपको थोड़ा सा स्मार्ट होने की जरूरत है।
जिस व्यक्ति के साथ आप काम कर रहे हैं, पहले उसके इरादे को ठीक से समझें, कि जिस काम के लिए वह कह रहा है या रही है, क्या वह आपकी प्राथमिकता में आता है। ऐसे में आप बहुत आराम से कह सकते हैं कि आप उस काम को कर देंगे, पर थोड़ा टाइम लगेगा। और अगर वाकई काम आपके केआरए यानी आपके पद अनुरूप जिम्मेदारी का हिस्सा नहीं है, तो आप निश्चित कारण बताकर इसे करने से स्पष्ट मना कर सकती हैं।
वह आपके बॉस या रिश्तेदार कोई भी हो सकते हैं- जो आपसे अव्यवहारिक अपेक्षाएं रखने लगें। आप इनसे विनम्रता से ही निपट सकते हैं। आप उन्हें कह सकती हैं कि आप पर पहले से ही बहुत जिम्मेिदारियां हैं, परिवार के बारे में भी आप इसी तरह डील कर सकती हैं।
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कस्टमाइज़ करेंकिसी के भी “प्लीज” के दबाव में न आएं। अगर कोई आप पर इस विनम्रता से दबाव बनाने की कोशिश करे तो आपको भी उसी ट्रिक से उस दबाव से बचना है। तो आप कह सकती हैं कि, “प्लीज मुझ पर अनावश्यक दबाव न डाला जाए, मैं यह नहीं कर पाउंगी”।
जर्नल ऑफ़ पर्सनेलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है कि थोड़ा सा स्वार्थी होना वास्तव में फायदेमंद है। अब जब साइंस भी आपके स्वार्थी होने को सपोर्ट कर रहा है तो मान क्यों नहीं लेतीं?
अब तो आप सीख ही गई होंगी कि कैसे स्मार्टली ना कहना है, तो अब उसे ट्राय करना शुरू कीजिए। यहां आपके लिए एक और सलाह है कि खुद से अपेक्षाएं तय करें, ताकि लोग आपकी हां कहने की आदत का अनावश्यक फायदा न उठाएं।
तो, हां कहकर हर बार दूसरों को खुश करने की कोशिश से बाहर आएं और अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए ‘बड़ा वाला ना’ कहना भी सीख लें!