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अगर आपको भी नॉर्मल आवाज बहुत तेज सुनाई पड़ती है, तो यह हो सकता है हायपरएक्यूसिस का संकेत

अपने आसपास की साधारण आवाज़ें भी अगर आपमें चिड़ पैदा कर रहीं हैं और आप हर समय बस अकेले रहना पसंद करने लगे हैं, तो आपको तुरंत अपने मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए।
हायपरएक्यूसिस से पीड़ित व्यक्ति ध्वनियों के प्रति बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। चित्र : शटरस्टॉक
अक्षांश कुलश्रेष्ठ Published: 2 Dec 2021, 14:49 pm IST
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अगर आपको भी रोजमर्रा की आवाज़ें बहुत तेज़ सुनाई पड़ने लगी हैं और ये आप में चिड़चिड़ापन पैदा कर रहीं हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। यह हायपरएक्यूसिस (hyperacusis) नामक बीमारी का संकेत हो सकता है। असल में इसके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं। यही वजह है कि जब तक आपको इसके बारे में पता चलता है, यह बहुत ज्यादा बढ़ चुकी होती है। आइए जानते हैं क्या हायपरएक्यूसिस (hyperacusis) और आप इसे कैसे पहचान (hyperacusis symptoms) सकते हैं। 

क्या है हायपरएक्यूसिस ?

एनसीबीआई के डाटा के अनुसार,हायपरएक्यूसिस (hyperacusis) श्रवण संबंधी एक गंभीर समस्या है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को सामान्य आवाज़ भी बहुत तेज़ सुनाई देती है। हायपरएक्यूसिस से पीड़ित व्यक्ति को आसपास के वातावरण में मौजूद सामान्य आवाजें जो खुद ब खुद उत्पन्न होती हैं, वे भी काफी ऊंची लग सकती हैं। 

हायपरएक्यूसिस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को सामान्य आवाज़ भी बहुत तेज़ सुनाई देती है. चित्र : शटरस्टॉक

उदाहरण के तौर पर कार के इंजन, बर्तनों की आवाज, खाना चबाने की आवाज, दरवाजा बंद होने की आवाज़, यहां तक कि तेज आवाज में की जाने वाली बातचीत भी पर्याप्त ऊंची लगती है। वह इन सभी से बचने का प्रयास करते हैं। हायपरएक्यूसिस से पीड़ित व्यक्ति ध्वनियों के प्रति बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। और यही संवेदनशीलता उसे सामाजिक अलगाव की ओर ले जाती है। 

पहचानिए हायपरएक्यूसिस के लक्षण?

  1. ध्वनियों के प्रति गुस्सा, चिड़चिड़ापन, बेचैनी
  2. शांति में रहना पसंद करना
  3. हर आवाज से दूर भागने की कोशिश करना
  4. दर्द का एहसास
  5. ध्यान लगाने में मुश्किल
  6. तेज आवाज से डर

क्या हो सकते हैं हायपरएक्यूसिस के लिए जिम्मेदार कारण ?

  1. डिप्रेशन
  2. क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम
  3. लाइम डिजीज
  4. मेनिरेर्स डिजीज
  5. पोस्टट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
  6. ऑटिज्म

दिए गए कारणों के अलावा कई अन्य कारण भी इसके हायपरएक्यूसिस के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि इसके हल्के लक्षण दिखने पर ही अपने डॉक्टर से सलाह लें।

कब है डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत 

आप हैरान होंगे, लेकिन यह सच है कि तेज़ सुनाई देने की इस समस्या के लिए ज्यादातर लोग ईएनटी स्पेशलिस्ट के पास जाते हैं। जबिक इसके लिए उन्हें मनोचिकित्सक के पास जाने की जरूरत होती है। 

जब भी आप आवाज़ों से दूर भागने लगें या इसके कारण आपको सोशल गैदरिंग में शामिल होने से चिड़ होने लगे तो आपको बिना वक्त बर्बाद किए साइकेट्रिस्ट से मिलना चाहिए। 

इस समस्या को नजरअंदाज करने पर यह और भी ज्यादा कष्टदायी हो सकती है। जरूरी नहीं है कि जो लक्षण बताए गए हो उसके अलावा कोई अन्य लक्षण इस बीमारी में न देखने को मिलें।  प्रत्येक बीमारी में हर व्यक्ति की बॉडी भिन्न तरीके से प्रतिक्रिया देती है। आपके लिए क्या बेहतर होगा इसकी जानकारी लेने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

क्या हायपरएक्यूसिस का उपचार संभव है? 

हायपरएक्यूसिस की कोई खास दवा नहीं होती है और न ही इस बीमारी के लिए कोई ऑपरेशन होता है। लेकिन इस बीमारी के कारण पर इलाज कर स्थिति में सुधार जरूर कर सकते हैं। यह सभी मेडिकल ट्रीटमेंट और थेरेपी के ज़रिए यह किया जाता है। इसमें, (cognitive behavioral therapy) ,साउंड थेरेपी (Sound Therapy) ,काउंसलिंग (Counseling) शामिल हैं।

क्या इस समस्या के लिए कोई घरेलू उपचार है ?

इस बीमारी के लिए कोई भी सिद्ध घरेलू उपचार मौजूद नहीं है, लेकिन आप मेडिटेशन और अपने मन को शांत रखने वाली चीजों को करके इस स्थिति पर काबू पा सकते हैं। इसके साथ ही जीवन शैली में कुछ अहम बदलाव आप को इस समस्या से उबरने में मदद कर सकते हैं। इनमें अच्छी नींद और तनाव रहित माहौल शामिल है। 

जीवन शैली में कुछ अहम बदलाव आप को इस समस्या से उबरने में मदद कर सकते हैं. चित्र : शटरस्टॉक

ध्यान रहे कि हमारी बताए हुए किसी भी उपाय को मेडिकल सलाह के तौर पर न लें। अपने डॉक्टर से सलाह लिए बिना कोई भी उपाय न करें।

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अक्षांश कुलश्रेष्ठ

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