रिश्तों की समस्याएं, परिवार के मुद्दे और करियर की जद्दोजहद के बीच अपनी ज़िंदगी को चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है। आज के समय में इंसान के पास तनाव के असंख्य कारण हैं, जिनसे कोई भी व्यक्ति तनाव में घिर सकता है। कभी-कभी वह भावनात्मक रूप से आहत भी हो जाता है। मगर यह एक सतत प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति खुद ब खुद उबर भी जाता है। मगर कुछ भावनात्मक चोटें इतनी गहरी होती हैं कि व्यक्ति इमोशनल ब्रेकडाउन का अनुभव करता है। अगर इस पर ध्यान न दिया जाए तो यह घातक हो सकता है। हेल्थ शॉट्स के इस लेख में जानते हैं इमोशनल ब्रेकडाउन के संकेत (Signs of emotional breakdown) और इससे उबरने के उपाय (How to overcome emotional breakdown)।
इस बारें में नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम में कंसलटेंट साइकेट्रिस्ट एंड साइकोथैरेपी, डॉ. राहुल राय कक्कड़, का कहना है कि “इमोशनल ब्रेकडाउन” एक मेडिकल समस्या नहीं है, लेकिन यह मानसिक या भावनात्मक सस्वास्थ्य पर संकट का एक प्रकार है। आप अत्यधिक तनाव, चिंता या अवसाद महसूस कर सकते हैं।यह भी देखें
जिसकी वजह से आप अपने जीवन में ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं। सबसे पहले यह समझे कि किन कारणो सें आप इमोशनल ब्रेक डाउन का अनुभव कर सकते हैं। इस के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करता है, जो उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। जैसे कोई व्यक्ति लगातार देर तक काम करता है या काॅम्पटीशन और परफार्मेंस प्रेशर में है, तो उसे थकावट और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
परिवार, दोस्तों और व्यक्तिगत शौकों के लिए समय नहीं निकाल पाना। वित्तीय दबाव भी व्यक्तिगत जीवन में तनाव पैदा करता है। रिश्तों में निरंतर झगड़े, असुरक्षा, संवाद की कमी, या असहमति भी इसका कारण हो सकता है।
किसी गंभीर घटना या अनुभव का सामना करना, जो मानसिक या भावनात्मक रूप से व्यक्ति को प्रभावित करता है। जैसे गंभीर हादसे में शामिल होना, भूकंप, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना। किसी व्यक्ति द्वारा शारीरिक चोट पहुँचाया जाना या मानसिक शोषण या धमकी देना, जो व्यक्ति के आत्मविश्वास को तोड़ सकता है। किसी प्रिय व्यक्ति की अचानक मृत्यु से या जब आपके बच्चे किसी गंभीर बीमारी या हादसे का सामना करते हैं।
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यह कई प्रकार की होती हैं, जो व्यक्ति की भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, और सामाजिक स्थिती को प्रभावित करती हैं। इनमें अवसाद(Depression), चिंता(Anxiety), PTSD (पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) शामिल हैं।
ये संघर्ष व्यक्तिगत या पारिवारिक स्तर पर हो सकते हैं। जब व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान नहीं कर पाता, तो वह अवसाद और निराशा का अनुभव कर सकता है। अनसुलझे मुद्दे व्यक्ति को निर्णय लेने में असमर्थ बना सकते हैं, जिससे उसकी जीवन की दिशा प्रभावित होती है। पारिवारिक झगड़े, असहमति, या संवाद की कमी भी इसमें शामिल हैं।
महत्वपूर्ण बदलाव जैसे कि नौकरी बदलना, विवाह, या तलाक, व्यक्ति के जीवन में बड़े प्रभाव डाल सकते हैं। एक नई जिम्मेदारी, जिसमें भावनात्मक, वित्तीय, और सामाजिक बदलाव शामिल होते हैं आपको डरा सकती है। बदलावों से व्यक्ति की मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।
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कस्टमाइज़ करेंडायबिटीज, हृदय रोग, या कैंसर जैसी लंबे समय से चल रही बीमारियाँ व्यक्ति को मानसिक तनाव में डाल सकती हैं। अन्य हार्मोनल परिवर्तन मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे मूड स्विंग, अवसाद या चिंता बढ़ सकती है। कुछ दवाएँ भी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
इन कारणों का पहचाने और इसे दबाने या नज़रअंदाज़ करने की बजाय समझने और स्वीकारने की कोशिश करें कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है।”
डाॅ राहुल आगे कहते हैं कि “इन लक्षणों का अनुभव करने पर साइकिएट्रिस्ट से सलाह, थैरेपी और ट्रीटमेंट के साथ रोजमर्रा की दिनचर्या में सुधार, समय का सही प्रबंधन करें और ऐसे कार्यों को शामिल करें जो आपको खुशी दें, जैसे शौक, संगीत सुनना, पढ़ना, पेंटिंग बनाना या खेल आदि। ये मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकते हैं।
इमोशनल ब्रेक डाउन से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय प्रभावी हो सकते हैं:
अपने विचारों, भावनाओं और समस्याओं को साझा करें चाहे वह परिवार का सदस्य हो, दोस्त हो या मनोचिकित्सक। बात करने से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। यह आपको अपने भावनात्मक बोझ को हल्का करने, सही दिशा में जाने, और समस्याओं को समझने में मदद करता है।
एक नियमित दिनचर्या तैयार करें, जो आपके दैनिक कार्यों और गतिविधियों को व्यवस्थित करती है। यह आपके जीवन में संतुलन लाता है, जिससे आपको काम और व्यक्तिगत समय को अलग कर सकते। इसके लिए दैनिक कार्यों को लिखें, प्रत्येक कार्य के लिए निश्चित समय निर्धारित करें,शेड्यूल में कुछ लचीलापन रखें ताकि अचानक आए काम के लिए जगह बनी रहे।
जीवन में तनाव के कारणों की पहचान करना और उन्हें घटाने के लिए कदम उठाना। एक बार जब आप कारणों की पहचान कर लेते हैं, तो आप उन्हें बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उनके प्रभाव को कम कर सकते हैं। समस्याओं को पहचानना, उन्हें समझना, और सही उपाय करना तनाव को नियंत्रित करने के लिए बहुत जरूरी है।
अपने विचारों और भावनाओं को लिखना एक प्रभावी तरीका है, जिससे आप अपनी भावनाओं को समझ सकते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
जब आप लिखते हैं, तो आपको यह समझने में मदद मिलती है कि आप वास्तव में क्या महसूस कर रहे हैं। यह सोचने में मदद कर सकती है कि आप अपनी समस्याओं का सामना कैसे कर सकते हैं। लिखने से मन में भरे हुए बोझ को हल्का करने में मदद मिलती है।
वर्तमान क्षण में जागरूकता बनाए रखना, जिससे आप अपनी भावनाओं, विचारों और अनुभवों को बिना किसी निर्णय के स्वीकार कर सकें। यह एक प्रभावी तकनीक है, जो तनाव को कम करने और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करती है। जैसे ध्यान और गहरी सांस लेना, आपके मन को शांत करने में मदद करती हैं, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।
इन उपायों को अपनाकर, आप इमोशनल ब्रेक डाउन से और अच्छे से निपट सकते हैं । नियमित व्यायाम, योग से मन को शांत किया जा सकता है। अपने खान-पान और नींद का ध्यान रखें, क्योंकि यह मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। यह समझें कि भावनात्मक संकट अस्थायी होता है और सही मार्गदर्शन व धैर्य से इससे उबरा जा सकता है।”
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