” क्या आप इस तस्वीर को प्लीज़ फिर से क्लिक कर सकते हैं क्योंकि मुझे मेरी बाईं प्रोफ़ाइल पसंद नहीं है?” कम से कम एक बार हम सबने फोटो क्लिक कराते हुए यह ज़रूर कहा ही होगा। सही ‘इंस्टा परफेक्ट पिक्चर’ पाने की इस दौड़ में, हम यह नोटिस करने में फेल हो जाते हैं कि हम कितनी आसानी से अपने ही एक हिस्से को नकार दे रहेहैं।
इस बारे में बात करते हुए अभिनेत्री विद्या बालन ने बड़ी दिलेरी से यह स्वीकार किया कि वह भी इस एहसास से गुजरी हैं और उन्होंने हर सेल्फ- कॉन्शियस महिला या पुरुष के लिए एक पावरफुल मैसेज शेयर किया और अपनी असुरक्षा और खुद से प्यार करने की बात की(Vidya Balan opens up about self love and insecurities)।
विद्या कहती हैं कि आप खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो लगातार मीडिया की चकाचौंध में है ढाल लेते हैं जो कैमरे के हिसाब से यह तय करता है कि वह कैसा दिखता है और क्या पहनता है लेकिन फिर एक दिन जब उसका सामना खुद से होता है तो वह बिलकुल वैसा बन जाता है जो वह सचमें है, पूरी तरह बेलाग-लपेट। किसी तयशुदा खांचे में फिट की कोशिश करने के बजाय, वह खुद को स्वीकार करता है और अपने सभी अंगों को समान रूप से चाहने लगता है।
विद्या बालन ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण घटना साझा की। इस घटना ने उन्हें खुद से प्यार करने और अपने शरीर को वह जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करने में मदद की।
उन्होंने इस पोस्ट पर बताया कि किसी कार्यक्रम में, एक लड़की तस्वीर लेने के लिए विद्या के पास पहुंची, और विद्या विनम्रता से उसके साथ फोटो लेने के लिए खड़ी हो गईं । कुछ मिनट बाद, लड़की एक और तस्वीर के लिए वापस आई और उनसे कहा, ” मैंने अपनी गलत प्रोफाइल से फोटो ले लिया और इसमें मैं बिलकुलअच्छी नहीं लग रही, वह लड़की कहती है कि मैं इस फोटो को पोस्ट नहीं कर पाऊंगी।”
लड़की, विद्या के साथ एक अदद परफेक्ट शॉट पाने के अपनी पूरी कोशिश करती है और यहां तक कि भीड़ में शामिल हो ऐक्ट्रेस की कार का पीछा भी करती है। विद्या ने उससे परफेक्ट पिक्चर न ले पाने के लिए माफी मांग कर आगे बढ़ना तय किय , पर इस घटना ने विद्या को उनके उन दिनों की याद दिलाई जब विद्या खुद के शरीर और ‘प्रोफाइल’ से जुड़े मुद्दों से खुद भी जूझ रही थीं
अवास्तविक सौंदर्य मानकों और सोशल मीडिया के दबाव ने हमारे पास “परफेक्ट दिखने” की इस दौड़ में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।
किसी न किसी तरह से, हम सभी समाज के सौंदर्य मानकों पर खरे उतरने के दबाव के शिकार हो गए हैं। इस दौड़ में बने रहने के लिए हम अपने उन हिस्सों को छिपाकर रखते हैं जो कमतर हैं।
अपने ही उदाहरण को साझा करते हुए, विद्या कहती हैं, “आप जानते हैं कि मैंने हमेशा अपने बाएं प्रोफ़ाइल को अपने दाहिनी प्रोफ़ाइल से ज़्यादा पसंद किया है। लेकिन समय के साथ, खुद को हर दिन थोड़ा और स्वीकार करने की इस यात्रा में मैंने अपने हर पहलू से थोड़ा और प्यार करना शुरू किया है, मुझे एहसास हुआ कि अपने ही एक प्रोफ़ाइल को पसंद करने का मतलब है मैं ही अपने दूसरे हिस्से को नापसंद करके खारिज कर रही हूं। सच्चाई यह है कि मुझे केवल अपनी बाईं प्रोफ़ाइल पसंद है और मैं यह स्वीकार करती हूं कि मेरी दाहिनी प्रोफ़ाइल मुझे नहीं पसंद है।”
क्या इस बारे में हम सब एक जैसा नहीं सोचते? जब हम महसूस करते हैं कि दुनिया ने हमारे कुछ हिस्सों को ही देखा है, तो क्या घबराहट नहीं होने लगती।
विद्या अपनी सभी खामियों के साथ खुद के हर हिस्से को स्वीकार करने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने बिना मेकअप खुद की एक अनफ़िल्टर्ड तस्वीर भी साझा की, जिसमें उनके दोनों प्रोफाइल दिखाई दे रहे थे। यह कोशिश थी यह बताने की कि उन्होंने अपने शूट में कुछ खास कोणों से तस्वीर लेना या उनकी परवाह करना बंद कर दिया है। वे अपने आप को अधिक सुंदर और आत्मविश्वास से भरपूर महसूस करने लगी हैं।
विद्या का अपने लिए प्रेम हमें यह याद दिलाता है कि यदि हम जीवन में कुछ चीजों के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदल देते हैं, तो खुद के लिए हमारा नजरिया खुद- ब- खुद सकारात्मक हो जाता है। बिलकुल उस मामले की तरह, सही प्रोफ़ाइल तो अब भी बाईं ही है, बदला है तो बस खुद को देखने के तरीका जो उनके लिए गेम-चेंजिंग साबित हुआ जिससे वे खुद से ज़्यादा प्यार करने लगीं।
खुद से प्यार करना और हम जो हैं जैसे हैं वैसे ही स्वीकार करना हमें अपनी स्किन में कम्फर्टेबल बनाने के साथ ही हमें आत्मविश्वास से रहना भी सिखाता है। यदि हम खुद को अपने असली रूप में स्वीकार करते हैं तभी दुनिया के हमें स्वीकार करने की अपेक्षा कर सकेंगे।
एक साक्षात्कार में तो विद्या ने यह भी कहा था, “अपने खुद के शरीर को अस्वीकार किया जा सकता है बल्कि जीवन भर ऐसा करते भी रहा जा सकता है, लेकिन वास्तव में आपका शरीर चाहे जैसा भी दिखता है, इसमें शरीर की गलती तो नहीं ही है। आपके शरीर को आपकी जरूरत है, और मैंने खुद से कहा कि यह मेरा शरीर है और सबसे पहले मैं इसे प्यार करती हूं।
हम सब जो हैं जैसे हैं वैसे ही रहने के लिए बने हैं न किफ़िल्टर लगाकर वह बनने के लिए जो सिलेक्टिव है, अधूरा सच है या फिर नकली है। हम अगर इस तरह रहते हैं तो दरअसल हम खुद ही खुद के दोषी हैं और खुद से बिलकुल प्यार नहीं करते।
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