इंसान की सबसे बड़ी योग्यता उसकी सोचने और समझने की शक्ति है। इस शक्ति का इस्तेमाल हम पर्सपेक्टिव बनाने के लिए, अपनी वर्तमान परिस्थितियों को समझने के लिए, और आगे के जीवन के फैसले लेने में करते हैं। यही शक्ति कभी-कभी हमारे लिए एक अभिशाप भी बन जाती है। इसे ही हम ओवरथिंकिंग यानी कि ज़रूरत से ज़्यादा सोचने की आदत कहते हैं। इसमें हम कई बार बहुत पुरानी बातों के बारे सोचने लगते हैं जो कई वर्ष पहले घट चुकी हैं।
ऐसी परिस्थिति में हम अपने दिमाग को बेकार की बात पर लगाये रहते हैं, और इससे एक डर की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जो हमें सही फैसले नहीं लेने देती। इसके अलावा ये हमारी मेन्टल हेल्थ पर भी बुरा प्रभाव डालती है। ये सभी दुष्प्रभाव सिर्फ जरूरत से ज्यादा सोचने से ही होते हैं, लेकिन एक व्यक्ति जिसे ये परेशानी हो उसके लिए इसे छोड़ पाना और भी बड़ी चुनौती है।
हमने बात की, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम की हेड ऑफ डिपार्टमेंट, मेन्टल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज, डॉ कामना छिब्बर से। उन्होंने हमें समझाया कि ओवरथिंकिंग से कैसे बचा जाए।
इसके लिए उन्होंने हमें 3 महत्वपूर्ण कदम उठाने को कहा
डॉ कामना के अनुसार, “हमारे ओवरथिंक करने का सबसे बड़ा कारण है कि हम या तो गुज़रे हुए कल के बारे में सोचते रहते हैं, या आने वाले समय के बारे में सोचते हैं। जब हम पास्ट (भूतकाल) या फ्यूचर (भविष्य) की चिंता में लगे रहते हैं, तो हम अपने आज को नजरअंदाज करने लग जाते हैं।
हमें अपने आप को ये याद दिलाना होगा कि जो हो चुका है उसे हम बदल नहीं सकते और आने वाले कल में क्या होगा ये किसी ने नहीं देखा है। लेकिन ये दोनों हमारे आज को खराब कर सकते हैं। अगर हम इनके बारे में ही सोचते रहे तो, हमें अपने वर्तमान पर ध्यान देना होगा, कि इसे हम किस तरह से और बेहतर बना सकते हैं।“
हमारे पास जो भी है उसे ले कर कृतज्ञता व्यक्त करें, और अपने आज को संवारने के लिए कार्य करें। अपनी अभी की समस्या को सुलझाने का प्रयास करें। ये सोच हमें वास्तविकता के करीब रखेगी, गुज़री हुई बातों के बारे में सोच के हम केवल अपनी एनर्जी को बर्बाद कर रहे हैं।
डॉ कामना के अनुसार, जब भी हमारा दिमाग ओवरथिंक करने की स्थिति में जाये, बेहद जरूरी है कि हम अपना सारा ध्यान सामने हो रहे काम पर केंद्रित कर लें।
उदाहरण के तौर पर, अगर आप आगे होने वाले प्रोमोशन को ले कर चिंतित हैं, तो बेहतर यही है कि आप ये देखें कि आपका काम किस तरह से और बेहतर हो सकता है। आप अपनी ग्रोथ को और कैसे बढ़ा सकती हैं, सिर्फ इस बारे में परेशान होने से कुछ नहीं होगा। अगर आप अपनी स्किल्स डेवेलपमेंट पर ध्यान दें और ये देंखे कि उस प्रोमोशन के लिए क्या वर्क एक्सपीरिएंस की ज़रूरत है, साथ ही उसे प्राप्त करने के लिए कार्य करें।
आपको अपना फोकस ‘क्या होगा’ से शिफ्ट करके ‘इस सिचुएशन को हम अपने फायदे के लिए कैसे बनायें’ करना होगा।
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कस्टमाइज़ करेंओवरथिंकिंग में आप ज़्यादातर ये सोंचते है कि आपकी ज़िंदगी के ऊपर आपका कोई नियंत्रण नहीं है। इस तरह की सोच को रोकने का कोई सीधा उपाय नहीं है, खासकर तब जब आप एक ऐसी मनोदशा में हों जहां कोई विकल्प न दिख रहा हो। ऐसे में अपनी सोच पर नियंत्रण रखना ही एकमात्र उपाय है।
डॉ कामना कहती हैं कि सकारात्मक सोच आपको जरूर मदद करेगी। हर परेशानी का एक सकारात्मक और व्यवहारिक उपाय ढूंढने से आप ओवरथिंक करने से बच सकते हैं। आपको अपने कार्य को इस तरह से करना होगा कि उसमें आपकी अपनी इच्छा रहे, जिससे आप ओवरथिंक करने की स्थिति में पहुचेंगे ही नहीं।
ये आसान कदम आपकी ओवरथिंकिंग की आदत को कम ज़रूर करेंगें।