हर साल सैंकड़ों युवा आत्महत्या कर उस खूबसूरत दुनिया को अलविदा कह देते हैं, जिस दुनिया को असल में उनके सपनों के रंग में रंगना था। यह एक व्यक्ति के सपनों का टूटना ही नहीं, एक परिवार की भावनाओं, समाज और देश की बहुमूल्य ऊर्जा का भी नुकसान है। इस कीमती जीवन को बचाने के लिए दुनिया भर में 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (world Suicide Prevention Day)के तौर पर मनाया जाता है। इसका उद्देश्य उन प्रवृत्तियों को पहचान कर आत्महत्या को रोकने का प्रयास करना है।
‘आत्महत्या को कैसे रोका जा सकता है?’ सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद इस विषय पर जागरूकता बढ़ी है। टीवी चैनल से लेकर चाय की दुकानों तक यह चर्चा का विषय बना हुआ है। कोई आत्महत्या क्यों करता है? इसका कोई सटीक जवाब नहीं हो सकता। लेकिन उनके लक्षणों के पहचान कर आप उन्हें बचा जरूर सकते हैं।
अमेरिकन फाउंडेशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशन के अनुसार आत्महत्या विश्व भर में मृत्यु का दसवां सबसे बड़ा कारण है। भारत आत्महत्या दर में विश्व भर में 43वें नम्बर पर है। युवाओं में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है आत्महत्या।
आत्महत्या का विचार व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता को हानि पहुंचाता है। मनोचिकित्सक मानते हैं कि अगर व्यक्ति के आत्मघाती विचारों को डाइवर्ट कर दिया जाए, तो उन्हें खुदकुशी करने से रोका जा सकता है।
किसी के मन में क्या चल रहा है इसे कोई नहीं जान सकता। लेकिन उनके बर्ताव से इसे काफी हद तक समझा जा सकता है। यदि किसी के मन में आत्महत्या का विचार है, तो उनके बर्ताव में यह बदलाव साफ नजर आएंगे-
यदि आपका कोई अपना इस तरह की बात कर रहा है, जिससे निराशा झलक रही है, तो यह चिंताजनक है। जीवन के प्रति नीरसता, निराशा और असंतोष प्रकट करना, यह कहना कि वे कितने अकेले हैं, जीवन में फंसे या जकड़े हुए हैं- यह आत्महत्या के लक्षण हैं।
यदि कोई व्यक्ति जरूरत से अधिक या बहुत कम सो रहा है तो यह आत्महत्या के संकेत हो सकते हैं। बहुत अधिक सोना वास्तविकता से भागने का प्रयत्न हो सकता है, वहीं बहुत कम सोना मानसिक अशांति का संकेत है। दोनों ही तरह से व्यक्ति अपनी परेशानी व्यक्त कर रहा होता है। इस लक्षण को देखते ही आपको सचेत हो जाना चाहिए।
अगर आपका करीबी बेवक्त अपनी वसीयत की चिंता करने लगे या कीमती वस्तुएं बांटे तो समझ लीजिए उनके मन में आत्मघाती विचार हैं।
शराब या ड्रग्स भी वास्तविकता से भागने के माध्यम होते हैं। अक्सर परेशान या निराश व्यक्ति इस तरह के नशीले पदार्थों में सुख ढूंढ़ते हैं। जब यह स्थिति हाथ से निकलने लगती है, तो वे आत्महत्या के लिए प्रेरित हो जाते हैं।
अगर आपका कोई प्रिय बहुत अधिक शराब या ड्रग्स का सेवन करने लगे, तो उन पर नजर रखना शुरू कर दें।
अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या से जुड़ी बातें जैसे आत्महत्या कैसे कर सकते हैं, कैसे आत्महत्या सभी कष्टों का निवारण है या मरने के बाद क्या होता है- इस तरह की बातें कर रहा हो, तो सावधान हो जाएं।
अगर आपको डर है कि आपका मित्र ऐसा कदम उठा सकता है तो उनकी गूगल हिस्ट्री, चैट इत्यादि पर नजर रखें।
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कस्टमाइज़ करेंअगर आपको लगता है कि आत्महत्या करने का विचार रखने वाला व्यक्ति हर वक्त दुखी या हताश रहता है तो ऐसा नहीं है। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति बहुत तरह के मानसिक दबाव से गुजर रहा होता है, जिसमें उनका बर्ताव किसी एक प्रकार का नहीं होता। उससे उलट वे बहुत तीव्र मूड स्विंग से गुजरते हैं।
छोटी सी बात पर बहुत खुश हो जाना और उतनी ही जल्दी दुखी हो जाना, यह आत्महत्या के लक्षण हो सकते हैं। आत्महत्या ही नहीं, ऐसे मूड स्विंग कई गंभीर मानसिक रोगों के लक्षण होते हैं।
ऐसे व्यक्ति समाज से खुद को काटने लगते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि वह खुद को कमरे में बंद कर लेंगे। बजाय इसके, वे सबसे मिलते हैं, लेकिन खुद को जाहिर बिल्कुल नहीं करते। तन की दूरी ना होते हुए भी ऐसे व्यक्ति मन से सबसे दूर होते हैं। अपने बारे में बात करने से बचना, किसी से बात ना करना और झूठी खुशी दिखाना ऐसी खतरे की घण्टी हैं जिन्हें इग्नोर न करें।
सबसे जरूरी है कि इन लक्षणों को पहचाना जाए। आत्महत्या के विचारों से गुजरने वाले व्यक्ति के लिए थेरेपी से लेकर मनोचिकित्सा के तमाम विकल्प होते हैं। लेकिन पहला कदम यही है कि कोई अपना उनके इस बर्ताव को समझे।
अगर आप को किसी अपने में यह लक्षण दिख रहे हैं, तो उनसे खुद बात करने के बजाय प्रोफेशनल मदद लें। आपके बात करने से स्थिति बिगड़ सकती है। इसलिए एक्सपर्ट से मदद लेना ही सुरक्षित है। सावधानी एक अनमोल जान बचा सकती है इसलिए इस जानकारी को आगे बढ़ाएं।