आज आत्महत्या रोकथाम दिवस है। इस खास दिन का उद्देश्य लोगों को आत्महत्या की बढ़ती हुइ्र प्रवृत्ति के प्रति जागरुक करना है। आत्महत्या के विचार आपके किसी दोस्त या प्रियजन के मन में भी आ सकते हैं। पर कभी-कभी तनाव और अवसाद में आप भी इस आत्मघाती विचार में घिर सकती हैं। पर इस समय आपको किसी से भी पहले, खुद की मदद करनी है।
जीवन एक रोलर-कोस्टर है, जहां उतार- चढ़ाव बना ही रहता है। ऐसे में कई बार जीवन निराशापूर्ण लगने लगता है और उम्मीद की किरण मिटती हुई दिखाई देती है। हम सभी के जीवन में ऐसा समय आता है जब हम जीवन के प्रति उदासीन हो जाते हैं। यह महसूस करना सामान्य है, लेकिन सिर्फ तब तक, जब तक यह विचार आत्मघाती न हो जाएं।
आत्महत्या के विचार आने पर पहला कदम होना चाहिए मदद मांगना। जीवन के प्रति नीरस महसूस कर रहे हैं, तो शर्मिंदा होकर इसे छुपायें नहीं, बल्कि आगे बढ़कर मदद मांगे। सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के डेटा के अनुसार आत्महत्या करने वाले लोगों में 50 प्रतिशत से भी अधिक लोगों में कोई मानसिक रोग नहीं होता।
आत्महत्या आवेग में उठाया कदम होता है और अगर आत्महत्या की मनोस्थिति को एक बार तोड़ दिया जाए तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है।
अगर मन में बार-बार आत्मघाती विचार आएं तो आप इस तरह कर सकती हैं अपनी मदद
बात करना या अपनी भावनाओं को बांटना जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है और इसके महत्व पर जितना जोर दिया जाए कम है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है। प्रेम और स्नेह मनुष्य की मौलिक आवश्यकता है।
अगर आप दुखी हैं और आत्महत्या का विचार मन में आ रहा है, तो खुद को अपने आप नियंत्रित करने की जिद छोड़ें और सहायता मांगे। शुरुआती चरण में किसी दोस्त या परिजन से बात करना पर्याप्त होता है। उनसे अपनी भावनाएं साझा करें और समझाएं कि आप उनसे मदद के रूप में क्या उम्मीद कर रहे हैं।
अगर आपको बार-बार ऐसे विचार आ रहे हैं तो प्रोफेशनल मदद लेना ही बेहतर है।
आज के समय में ज्यादातर नौजवान परिवार से दूर शहरों में अकेले रहते हैं। यह अकेलापन कई मानसिक समस्याओं का कारण होता है।
अगर आपको आत्महत्या के विचार आ रहे हैं, तो सबसे पहले किसी को अपने साथ रहने के लिए बुला लें। आप किसी दोस्त को कुछ दिन अपने घर रहने के लिए बुला सकती हैं या कुछ दिन अपने माता- पिता के पास जा सकती हैं। अगर दोनों ही विकल्प संभव नहीं है तो कोई पालतू जानवर घर ले आएं। किसी की मौजूदगी आपको कोई भी गलत कदम उठाने से रोकेगी।
अगर आपको महसूस हो रहा है कि आपके मन में ऐसे विचार हैं तो कॉनजिनिटिव बेहवियरल थेरेपी की मदद लें।
ज्यादातर थेरेपिस्ट या मनोचिकित्सक इस स्थिति में दवा भी देते हैं। दवा लेना बिल्कुल न छोड़ें, भले ही आपको बेहतर महसूस होने लगा हो। दवाइयों का कोर्स पूरा करें, वरना इस तरह के विचार दोबारा आ सकते हैं।
आपके थेरेपिस्ट आपको बताएंगे कि आपके बर्ताव में क्या उचित है और क्या खतरनाक। आपको उन खतरों के चिन्हों का ख्याल रखना है।
आप अपने दोस्तों और परिवार वालों को भी यह चिन्ह बताकर सचेत कर सकते हैं। इस तरह वे भी आप पर नजर रख पाएंगे।
सबसे जरूरी बात, कोई भी थेरेपी सेशन छोड़ें नहीं। नियमित अपॉइंटमेंट पर जाएं और जब तक थेरेपिस्ट आपको स्वस्थ घोषित न कर दे तब तक थेरेपी बन्द न करें।
आप कभी अचानक कोई गलत कदम न उठा लें, इसके लिए घर से सभी खतरनाक वस्तुओं को हटा दें।
चाकू, ब्लेड, बंदूक, खतरनाक दवाइयां इत्यादि घर में रखें ही ना।
नेशनल सुसाइड प्रीवेंशन लाइफलाइन को फोन में सेव करके रखें और जरा भी जरूरत महसूस होने पर इस्तेमाल कर लें।