आमतौर पर रिलेशनशिप में बंधे दो लोगों को कई तरह की चिंताओं और दबाव का सामना करना पड़ता है। इसका असर रिश्ते पर भी देखने को मिलता है। मगर कई बार वो विचार किसी व्यक्ति पर इस कदर हावी हो जाते है कि वे अपने पर्सनैलिटी को निगेटिव बनाने लगते हैं। नकारात्कता का प्रभाव रिश्ते पर कई तरीके से देखने मिलता है। कभी पास्ट एक्सपीरिएंस तो कभी रिश्ते में विश्वास की कमी इस समस्या को बढ़ा देती हैं। जानते हैं रिलेशनशिप में सेल्फ सेबोटेज क्या है और रिश्ते में बढ़ने वाली इस समस्या को कैसे दूर करें (sabotaging effect on relationship) ।
सेल्फ सेबोटेजिंग दुविधा के उस प्रतिबिंब को कहते हैं, जिसमें व्यक्ति के मन में पार्टनर के लिए नकारात्मकता बढ़ने लगती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति हर गलती के लिए पार्टनर को जिम्मेदार मानता है। साथ ही इसमें व्यक्ति पार्टनर को खुद से दूर धकेलने लगता है और रिश्ते से बाहर निकलने के तरीके खोजने लगता है। अविश्वास, पुराने अनुभव और बातचीत की कमी इस समस्या को बढ़ा देती है।
इस समस्या के चलते व्यक्ति पार्टनर को कोसने लगता है और उसका असर सेक्सुअल लाइफ पर भी देखने को मिलता है। इंटिमेसी की कमी भी बढ़ने लगती है। इसका असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी देखने को मिलता है।
फिर चाहे इमोशनल बॉडिंग की कमी हो या सेक्सुअल लाइफ में आने वाली दूरी। हर मसले पर अपने पार्टनर से बात करें और इस समस्या का हल निकालें। इससे आपसी दूरियों को कम किया जा सकता है। साथ ही नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदला जा सकता है।
कई बार जीवन में एक दूसरे के प्रति मनमुटाव इस कदर बढ़ जाता है कि रिश्ते में रिस्पेक्ट कम होने लगती है। सेल्फ सेबोटेजिंग से निकलने के लिए विचारों को पॉज़िटिव बना रखें और अपने पार्टनर की बात को सुने और समझें। साथ ही उसे रिस्पेक्ट भी दे। इससे व्यक्ति में आपसी मनमुटाव कम होने लगता है।
परिवार के अन्य लोगों की तुलना अपने पार्टनर से करने से बचें। इससे व्यक्ति खुद को कमज़ोर और हारा हुआ महसूस करने लगता है। खुद को इस समस्या से मुक्त करने के लिए पार्टनर को उसकी अच्छाई और बुराई के साथ अपनाएं। साथ ही समय के साथ उसके जीवन में आने वाले बदलावों को अपनाएं।
रिश्ते में खुद को महत्व देने के अलावा पार्टनर की इच्छाओं और आवश्यकताओं के बारे में सोचें। इस बात को समझने का प्रयास करें कि पार्टनर को आपसे क्या उम्मीदें हैं। इससे व्यक्ति आत्म निंदा को त्यागकर अपने पार्टनर की ओर घ्यान केंद्रित करने लगता है।
किसी भी समस्या का समाधान जानने से पहले उसके कारणों की खोज कर लें। इससे समस्या का रूट कॉज़ समझने में मदद मिलती है और व्यक्ति मानसिक समस्याओं से दूर रहता है। समस्या को जानकर उन चीज़ों से दूरी बनाकर रखें।
अपने बारे में सोचने के अलावा पार्टनर को खुशी प्रदान करने की कोशिश करें। इसके लिए पार्टनर को मिलने वाली कामयाबी सराहें और उनकी सफलताओं को सेलिब्रेट करें। इससे एक दूसरे के करीब आने में मदद मिलती है और व्यक्ति खुद को संतुष्ट महसूस करता है।
वे लोग जो आत्म निंदा करते हैं, उनका खुद पर भरोसा दिनों दिन कम होने लगता है। इसका असर रिश्ते पर भी दिखने लगता है। ऐसे में अपनी कमियों को खोजकर उन्हें दूर करने का प्रयास करें। इससे जीवन में आने वाली समस्याओं से राहत मिलती है।