क्यों कुछ लाेग इतना ज्यादा सोचते हैं?
कैसे पता करें आप ओवरथिंकिंग कर रहे हैं
यहां हैं कुछ उपाय जो आपको ओवरथिंकिंग से दूर रख सकते हैं
-खुद को मोटिवेट रखें
-एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज
-बात करें
-खाली बैठने से बचें
-ट्रिगर पॉइंट को समझें
ओवरथिंकिंग यानी बेवजह किसी बारे में लंबे समय तक सोचते रहना और अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करना। जब हमारे शरीर को डर का एहसास होता है या किसी तरह की चिंता होती है, तो इससे निपटने के लिए व्यक्ति बस इसी के बारे में सोचता रहता है। कई बार व्यक्ति इस समस्या के बारे में इतना सोचने लगता है कि किसी दूसरे काम में उसका मन नहीं लगता। दिन-रात समस्या और उसके समाधान के बारे में सोचते रहने की कंडीशन ओवरथिंकिंग कहलाती है। जब डर, चिंता, तनाव, असुरक्षा भरी परिस्थिति का सामना करना पड़ता है तो ओवरथिंकिंग एक मुकाबले की तरह काम करती है। इस स्थिति में दिमाग में कोई बात एकदम घर कर जाती है तो वह धीरे-धीरे चिंता में बदलने लगती है। आपका दिमाग इन बातों को सोच-सोचकर और भी परेशान कर सकता है, क्योंकि यह भय पैदा करता है।
अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल करोल बाग दिल्ली की साइकोलॉजिस्ट डॉ. मिस कृपा खन्ना बताती हैं कि, अगर आपको भी ओवर थिंकिंग की आदत बन गई है तो इसके बारे में समझना और इससे निजात पाना बहुत जरूरी है। ओवरथिंकिंग करने की आदत एक आम समस्या है जो कई लोगों को प्रभावित करती है। इसके कारण व्यक्ति को तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ओवरथिंकिंग करने की आदत के कारणों में से एक है व्यक्ति की सोच की आदत, जिसमें वह छोटी-छोटी बातों को भी बहुत गहराई से सोचता है। इसके अलावा, व्यक्ति के जीवन में तनाव और दबाव भी ओवरथिंकिंग करने की आदत का कारण बन सकते हैं। इससे बचाव के तरीकों में से एक है माइंडफुलनेस का अभ्यास करना, जिसमें व्यक्ति वर्तमान क्षण में रहता है और अपने विचारों को नियंत्रित करता है।
इसके अलावा, व्यक्ति को अपने दिमाग को शांत करने के लिए (control overthinking) ध्यान और योग का अभ्यास करना चाहिए। साथ ही, व्यक्ति को अपने जीवन में तनाव और दबाव को कम करने के लिए समय प्रबंधन और प्राथमिकता निर्धारण करना चाहिए।
ओवरथिंकिंग करने की आदत से बचाव के लिए (control overthinking) व्यक्ति को अपने जीवन में एक स्वस्थ और संतुलित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। इसको लेकर आप किसी मनोचिकित्सक से भी परामर्श कर सकते हैं, वो कुछ दवाइयों और थैरेपी के माध्यम से इलाज करते हैं और कुछ ही समय में बेहतर परिणाम दिखने लगते हैं।
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो समाज से दूरी बनाकर चलते हैं, वे न किसी के पास उठना-बैठना पसंद करते और न ही उनमें सामजिक व्यवहार होता है। ऐसे लोग सामाजिक रूप से सक्रिय नहीं रहते हैं, ना तो किसी से बात करते हैं और अपने मन की बात मन में ही रखते हैं। जिसकी वजह से उनमें ओवरथिंकिंग की समस्या होने लगती है।
कुछ लोगों को ओवरथिंकिंग (control overthinking) की समस्या उनके पैरेंट्स से विरासत में मिलती है यानी कि ज्यादा सोचने की आदत अनुवांशिक हो सकती है या फिर साइकोलॉजिकल कारणों से भी उनमें अधिक सोचने की प्रवित्ति पैदा हो सकती है.
नकारात्मक अनुभव या आघात से खुद को बचाने की स्थिति में दिमाग ओवरथिंकिंग की ओर भागता है. इन वजहों से भी व्यक्ति ओवरथिंकिंग करने लगता है। कभी-कभी जीवन में आने वाली समस्याएं भी दिमाग को तेजी से प्रभावित करती हैं, उनसे भी ओवरथिंकिंग की समस्या होने लगती है। जैसे कि धन संबंधी समस्या, रिलेशनशिप में दिक्कतें या फिर किसी खास की मृत्यु आदि।
आत्मविश्वास की कमी भी अधिक सोचने पर मजबूर करती है। व्यक्ति ऐसे समय में खुद पर संदेह करने लगता है और लगातार अपने आप से सवाल करता हैं, जिससे विश्लेषण करना और से खुद से सवाल करने का चक्र कभी खत्म नही होता है। इसके अलावा जिन लोगों में आत्मसम्मान की कमी होती है वे ज्यादातर ओवरथिंकिंग का शिकार हो सकते हैं। ऐसे लोगों अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लगते हैं और अपनी भावनाओं को दबाने का प्रयास करते हैं।
आप ओवरथिंकिंग (control overthinking) के शिकार हैं या नहीं, ये आप कुछ सवालों के जरिए जांच सकते हैं। चलिए आपको इन सवालों के बारे में बताते हैं।
ओवरथिंकिंग से बचने का सबसे बढ़िया उपाय है कि आप अपनी बातों को, परेशानी और विचारों को अपने दोस्त, परिजन या पार्टनर से साझा करें। आप ओवरथिंकिंग से कैसे दूर रह सकते हैं, चलिए आपको कुछ टिप्स बताते हैं।
ज्यादातर लोग किसी काम के ना हो पाने पर निराश रहने लगते हैं और ये व्यक्ति में ओवरथिंकिंग की समस्या को बढ़ाती है। अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं, जो किसी काम के ना हो पाने पर जल्दी परेशान हो जाते हैं तो इससे बचें और खुद को मोटिवेटेड रखने की कोशिश करें। इसके लिए आप अपने पसंद की चीजें कर सकते हैं।
किसी भी तरह के काम के बाद अपने लिए समय जरूर निकालें। कुछ ऐसा करें, जिससे आपको खुशी मिलती हो। इससे तनाव कम होता है और कॉन्फिडेंस बढ़ता है। इसके अलावा यह आपके करियर में भी फायदेमंद होता है और दूसरों से इंटरेक्शन का मौका मिलता है। इससे दिमाग में आने वाले उल्टे-पुल्टे ख्याल दूर होते हैं और ओवरथिंकिंग की समस्या से राहत मिलती है।
ज्यादातर लोग फ्यूचर प्लानिंग की सोच में व्यस्त रहते हैं, जो ओवरथिंकिंग का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए, कोशिश करें कि वर्तमान में रहें। फ्यूचर प्लानिंग करें, लेकिन वर्तमान को भी समय दें और ख्याली पुलाव पकाने की जगह प्रैक्टिकल होकर फैसले लें।
अगर आप ऐसे लोगों में से हैं, जो ज्यादा सामाजिक नहीं हैं तो अपने पार्टनर से बात करें। पार्टनर से मन की बात शेयर करें। उन्हें अपनी प्लानिंग, अपनी समस्याओं के बारे में बताएं। इससे कई बार आपकी समस्याओं का समाधान भी मिल जाता है और (control overthinking) ओवरथिंकिंग से राहत मिलती है।
खाली बैठने से दिमाग में दिन भर वही ख्याल चलते रहते हैं। इसलिए खुद को दूसरे कामों में भी व्यस्त रखें। इससे दिमाग डायवर्ट होता है और व्यस्तता बढ़ती है। ज्यादा व्यस्त रहने से ओवर थिंकिंग की समस्या से छुटकारा मिलता है और नींद भी अच्छी आती है।
ट्रिगर पॉइंट, यानी ऐसी बातें जो आपको परेशान करती हैं और ओवरथिंकिंग की समस्या को बढ़ाती है। इसलिए अपने ट्रिगर पॉइंट को जानें। ऐसी बातों को समझें, जिनके चलते आपको जल्दी बुरा लगता है, इनसिक्योरिटी महसूस होती है और स्ट्रेस होता है। ऐसी बातों से दूर रहने की कोशिश करें और इनसे डील करना सीखें।
किसी से बात ना करने से भी ओवर थिंकिंग की समस्या होती है। इसलिए कोशिश करें कि किसी अपने से अपनी बातें शेयर करें। कोई बात समझ नहीं आ रही या फिर किसी समस्या का समाधान नहीं मिल रहा है तो किसी से बात करें। इससे ओवर थिंकिंग की समस्या में राहत मिलती है।
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