कई पेरेंट्स इस बात की शिकायत करते हैं कि उनके बच्चे को गाली देने की आदत पड़ गई है। वह कभी-कभी स्वेयर वर्ड का इस्तेमाल करने लगा है। लोगों के बीच उसकी इस आदत से हमें शर्मिंदा भी होना पड़ता है। वास्तव में पेरेंट्स यह जान भी नहीं पाते हैं कि उनके बच्चे में यह आदत कैसे और कहां से डेवलप हो गई। हमें इस बात से वाकिफ होना चाहिए कि बच्चा हर आदत अपने परिवेश से ही सीखता है। यदि पेरेंट्स या घर के किसी अन्य सदस्य को गाली देने की आदत है, तो बच्चे भी उनकी इस आदत को फॉलो करने लग जाते हैं। कई बार किसी फ्रेंड, क्लासमेट से भी वह यह आदत सीख लेता है। उसे लगता है कि गाली देना फैशनेबल लगता है। इससे उसकी लोगों के बीच धाक बनती है। उसकी इस नई डेवलप हुई आदत की सराहना पेरेंट्स भी करेंगे। वह अपनी धौंस जमाने के लिए अपने से छोटे भाई-बहन या संबंधियों को गाली दे देता है।
वह इस बात से बिल्कुल अंजान होता है कि हमारे समाज में गाली देने को अच्छा नहीं माना जाता है। यह बुरी आदत है। बच्चे की किसी भी बुरी आदत को मार या डांट कर नहीं बल्कि उसे प्यार से समझा-बुझा कर या सही ढंग से बताकर खत्म किया जा सकता है। प्रसिद्ध् पेरेंटिंग कोच और गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी की फाउंडर डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट पर कुछ टिप्स बता रही हैं। इनके जरिये आप अपने बच्चे की गाली देने या स्वेयर वर्ड यूज करने की बुरी आदत से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकती हैं।
पल्लवी कहती हैं कि बच्चों के मुंह से जब आप पहली बार कोई स्वेयर वर्ड सुनती हैं, तो आपका गुस्सा सातवें आसमान पर चला जाता है। पर यहां आपको समझदारी से काम लेने की जरूरत है। डांटने या मारने की बजाय उन्हें प्यार से समझाएं। इन टिप्स की मदद से आप हमेशा के लिए बच्चों की इस बुरी आदत को खत्म कर सकती हैं।
बच्चे को यह समझाने की कोशिश करें कि गाली देने को किसी भी जगह स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यदि वह घर में बार-बार स्वेयर वर्ड का यूज करता है, तो स्कूल जाकर भी वह अपनी इस आदत को बरकरार रखेगा। यह स्कूल अनुशासन के खिलाफ बात होगी। उसे बताएं कि स्कूल टीचर उसकी इस आदत को कभी अच्छा नहीं मानेंगे। इसके अलावा, क्लासमेट, पीयर सभी उसकी इस आदत से परेशान हो जाएंगे। इसलिए इस बुरी आदत को वह हमेशा के लिए छोड़ दे।
बच्चे को यह समझाने की कोशिश करें कि हर परिवार के कुछ मूल्य होते हैं। पारिवारिक मूल्यों के अनुसार, गाली देने या स्वेयर वर्ड के इस्तेमाल को कभी अच्छा नहीं माना जा सकता है। गाली देना व्यक्ति के वीक पर्सनैल्टी का प्रतीक है। इससे तुम्हारी पर्सनैल्टी भी सभी के सामने वीक मानी जाएगी।
हर व्यक्ति को गाली देना या गाली सुनना अच्छा नहीं लगता है। कुछ लोग इससे इतने अधिक हर्ट हो जाते हैं कि वे गाली देने वाले बच्चे या बड़े से बातचीत तक करना पसंद नहीं करते हैं।
तुम्हारा उद्देश्य किसी को हर्ट करना तो नहीं ही होगा। यदि तुम चाहते हो कि तुम्हारी बातों से किसी को दुख न पहुंचे, तो आज से गाली देना छोड़ दो।
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कस्टमाइज़ करेंबच्चे को यह समझाने की कोशिश करें कि स्वेयर वर्ड या गालियों के भी अल्टरनेटिव वर्ड हैं। ओह गॉस, ओह गॉड जैसे कई वर्ड हैं, जिन्हें तुम आई स्वेयर वर्ड के बदले बोल सकते हो। शुरुआत में इन्हें अपनाने में दिक्कत हो सकती है। पर अच्छी आदतों को अपनाने में ज्यादा देर नहीं लगती है।
बच्चों के लिए पेरेंट्स ही सबसे बड़े उदाहरण होते हैं। उनकी आदतों, व्यवहार को ही बच्चे फॉलो करते हैं। यदि आपको भी गाली देने या बातचीत के दौरान स्वेयर वर्ड कहने की आदत है, तो संभल जाएं।
आपका बच्चा आपको फॉलो कर रहा है। किसी बात के लिए मना करने से पहले खुद को जरूर जांचें कि कहीं यह गंदी आदत आपमें भी तो नहीं है। यदि है, तो बच्चे को मना करने से पहले खुद में सुधार लायें।
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