घर पर कोई विशिष्ट मेहमान आ रहे हैं या ऑफिस में अपना प्रेजेंटेशन देना है। किसी खास व्यक्ति से मिलने जाना है या टीचर-पेरेंट्स मीटिंग में बच्चे की किसी ख़ास समस्या के बारे में बात करनी है। इन सभी बातें की चिंता रातों की नींद खराब कर सकती है? अनिद्रा सीधे हमारे ब्रेन पर असर डालती है। इसके अलावा, तनाव, अवसाद, घबराहट भी दिमाग पर खराब असर डालता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि एक ख़ास हर्ब जटामांसी नर्वस सिस्टम को पोषण देता है। यह ब्रेन हेल्थ को बूस्ट (Jatamansi for brain) करता है।
जटामांसी (spikenard) एक पॉवरफुल न्यूरोंस सूदिंग हर्ब है। यह हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है,, जो जड़ी-बूटियों के समृद्ध भंडार के लिए जाना जाता है। इसके जड़, पत्ते, बीज सभी फायदेमंद हैं। जटामांसी में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें एक्टिनिडीन, अरिस्टोलीन, कैरोटीन, कैरलीन, क्लैरेनॉल, कूमारिन, डायहाइड्रोएजुलीन कंपाउंड पाए जाते हैं। इसमें नर्डोल, नार्डोस्टाचोन, वेलेरियनॉल, वेलेरानल, वेलेरानोन, एलेमोल, विरोलिन, एंजेलिविन, ओरोसेलोल जैसे कंपाउंड भी मौजूद होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, तंत्रिका तंत्र वात द्वारा नियंत्रित होता है। वात के असंतुलन से याददाश्त कमजोर हो जाती है। इसके कारण मानसिक सतर्कता भी कम हो जाती है। अपने मेध्य गुणों (Medhya Property) के कारण जटामांसी ब्रेन फंक्शन को हेल्दी बनाती है। यह सीजर और एंग्जाइटी कम करने में भी उपयोगी है। याददाश्त बढ़ाने और मानसिक रूप से सतर्क करने में भी मदद करती है। नियमित उपयोग करने पर जटामांसी मेमोरी लॉस के लक्षणों को मैनेज करने में मदद करती है।
स्ट्रेस का सामना करने पर सबसे पहले नींद खत्म हो जाती है। नींद की कमी याददाश्त को नुकसान पहुंचा सकती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ आयुर्वेद की स्टडी बताती है कि जब जटामांसी को अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलाया जाता है, तो यह नींद न आने की बीमारी को खत्म करने का बढिया उपाय हो सकती है। यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करती है। अनिद्रा की घटनाओं को कम करता है।
मूड को बेहतर बनाने और जीवन के बारे में बेहतर महसूस करने के लिए, आयुर्वेद जटामांसी लेने की सलाह देता है। यह मस्तिष्क में मोनोअमाइन के स्तर को बढ़ाकर शांति और वेलनेस की भावना पैदा करने में मदद कर सकती है। यह मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर गाबा (GABA) के स्तर को कम करके अवसाद को भी कम करता है।
नर्व की क्षति होने पर जीवन की गुणवत्ता भी प्रभावित हो जाती है। नर्व के बिना हिलने-डुलने, चीजों को महसूस करने या यहां तक कि सबसे सरल कार्य करने में भी व्यक्ति सक्षम नहीं हो पाता है। इसकी देखभाल के लिए टॉनिक की आवश्यकता होती है। जटामांसी में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो न्यूरो-सुरक्षात्मक होते हैं। इससे यह बिना किसी साइड इफेक्ट के नसों को मजबूत करने में मदद करती है।
जब आप मानसिक रूप से तनावग्रस्त होती हैं, तो आप अधिक भूलने लग जाती हैं। तनाव सीखने की क्षमता को भी ख़राब कर सकता है। जटामांसी याददाश्त बढ़ाती है। संज्ञानात्मक कार्य में सुधार करती है। यह बुजुर्गों में मनोभ्रंश या भूलने की बीमारी के इलाज में भी प्रभावी साबित हो सकती है। जटामांसी में समृद्ध एंटीऑक्सीडेंट घटक हैं। यह स्मृति को संरक्षित करने और न्यूरल डीजेनरेशन (neural degeneration) को रोकने में मदद करती है।
जटामांसी का मेध्य गुण (Medhya property) या संज्ञानात्मक कार्य (Cognitive Function) को बढ़ाने का गुण मस्तिष्क के स्वास्थ्य (Brain Health) को बनाए रखने में मदद करता है। भोजन के बाद प्रतिदिन एक या दो बार शहद के साथ आधा चम्मच जटामांसी पाउडर का सेवन करने से ब्रेन हेल्थ को फायदा पहुंचता है।
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