अक्सर तेज़ गर्मी के कारण शरीर से पसीना टपकने लगता है और निर्जलीकरण का खतरा बढ़ जाता है। मगर जहां बढ़ता तापमान पाचनतंत्र को प्रभावित करता है और लो एनर्जी का कारण साबित होता है, तो वहीं इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी दिखने लगता है। दरअसल, हीट स्ट्रेस के चलते एंग्ज़ाइटी और झुंझलाहट की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा मूड में बदलाव, स्लीप साइकिल में बदलाव और तनाव बढ़ने लगता है। अगर आप भी गर्मी में चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग का सामना कर रही हैं, तो जानें इसका कारण (Mental health care tips for summer) ।
अत्यधिक गर्मी मूड, नींद और इमोशंस में बदलाव लाने का काम करती है। इसके चलते व्यक्ति के स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। इसके चलते जहां कुछ लोगों को नींद में कमी महसूस होती है, तो वहीं कुछ लोगों को किसी भी कार्य में ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता हैं। हेल्थ साइंस रिपोर्ट्स के अनुसार उच्च तापमान असुविधा की भावनाओं को बढ़ा सकता है और स्लीप पैटर्न में अनियमितता दिखने लगती है। इसके अलावा डेली रूटीन में बदलाव महसूस होते हैं। साथ ही तनाव या चिंता के लक्षणों को भी बढ़ा देता है।
रेस्पिरेटरी मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ अवि कुमार का कहना है कि गर्मी में शरीर को इरिटेशन, एंग्जाइटी ए एजिटेशन और हाइपोवीलिमिया का सामना करना पड़ता है। गर्मी में स्ट्रेस हार्मोन (Mental health care tips for summer) का स्त्राव बढ़ने लगता है, जिससे हीट एंग्ज़ाइटी की समस्या बढ़ जाती है। हांलाकि धूप में कुछ देर रहने से शरीर को विटामिन डी और सेरोटोनिन हार्मोन की प्राप्ति होती है। मगर लंबे वक्त तक गर्म माहौल में रहने से तनाव में बढ़ोतरी होती है और अनकॉशियसनेस का सामना करना पड़ता है।
गर्मी के चलते घबराहट का सामना करना पड़ता है और व्यक्ति खुद को असामान्य रूप से परेशान महसूस करने लगता हैं। अत्यधिक गर्मी में देर तक रहने से थकान और चिंता के लक्षणों में बढ़ोतरी होने लगती है और तनाव का स्तर बढ़ने लगता है।
देर तक गर्मी में रहने से सिर चकराना और थकान महसूस करना पूरी तरह से सामान्य है। इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी दिखने लगता है। व्यक्ति खुद को असहज और कंफ्यूज महसूस करता है और हर छोटी बात चिंता का कारण बनने लगती है। इसके अलावा जी मिचलाना और बेचैनी बढ़ जाती है।
कुछ लोगों का व्यवहार गर्मी के चलते अधिक चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो जाता है। अधिक गर्म मौसम से शरीर में हार्मोन का स्त्राव प्रभावित होने लगता है, जिससे गुस्से को नियंत्रित करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
अत्यधिक गर्मी में लोगों को किसी भी कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या का सामना करना पड़ता है। इसका असर कार्य क्षमता पर भी दिखने लगता है और आलस्य बढ़ जाता है। इसके चलते चीजों को समझने में परेशानी बढ़ जाती है और याददाश्त भी प्रभावित होने लगती है।
तापमान में बढ़ोतरी स्लीप साइकिल को डिस्टर्ब कर देती है। नींद के पैटर्न में बाधा आने से पूरे दिन थकान का सामना करना पड़ता है और अनचाही मायूसी महसूस होने लगती हैं। इसके चलते दिन में नींद आने की समस्या बढ़ने लगती है।
दिन में कुछ वक्त वर्कआउट के लिए निकालें। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बना रहता है और थकान व आलस्य से राहत मिल जाती है। साथ ही मांसपेशियों में रक्त का संचार बढ़ जाता है, जो ओवरऑल हेल्थ को उचित बनाए रखता है।
आहार में तला भुना और शुगर से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करने से बचें। इससे स्वास्थ्य संबधी जोखिम बढ़ने लगते हैं। साथ ही स्पाइसी फूड खाने से तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। साथ ही निर्जलीकरण का जोखिम बढ़ता है। ऐसे में वॉटर कंटेंट से भरपूर फूड्स का सेवन करें।
भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इससे शरीर में पानी का उचित स्तर मेंटेन रहता है और निर्जलीकरण के खतरे से बचा जा सकता है। साथ ही ऑक्सीजन का प्रवाह उचित बना रहता है। दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी अवश्य पीएं और रूटीन में डिटॉक्स वॉटर और अलकलाइन वॉटर को भी शामिल करें।
सोने और उठने का समय तय कर लें। इससे तनाव का स्तर कम होने लगता है और याददाश्त में भी सुधार आने लगता है। देर तक सोने से बचें और सोने से पहले स्लीप हाइजीन को अवश्य मेंटेन करें। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को फायदा मिलता है।
सुबह जल्दी उठकर वॉक पर जाए और व्यायाम करें। सूरज की तेज़ किरणों के संपर्क में आने से बचें और दोपहर में घर से बाहर निकलने से बचें। हीट वेव से खुद को बचाने के लिए हल्के रंग के कपड़ों को पहनकर निकलें। इससे शरीर के तापमान को संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है।
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