घर की याद आना सामान्य है (Homesickness), खासकर जब आप बचपन से अपने घर पर रहते हैं और अचानक से पढ़ाई के लिए या नौकरी के लिए बाहर जाते हैं। परंतु होमसिकनेस केवल घर की याद आने तक सीमित नहीं है, इस स्थिति में आप भावनात्मक और मानसिक दोनों ही रूप से परेशान हो जाती हैं। वही भावनात्मक और मानसिक चिंता का असर आपकी शारीरिक सेहत पर भी देखने को मिलता है, इसलिए होम सिकनेस पर नियंत्रण पाना बहुत जरूरी है।
पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम की क्लीनिकल साइकैटरिस्ट डॉ प्रीती सिंह ने होम सिकनेस के साइड इफेक्ट्स बताते हुए इनपर नियंत्रण पाने के कुछ जरूरी टिप्स दिए हैं। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से (how to deal with Homesickness)।
होमसिकनेस स्ट्रेस या एंग्जाइटी जैसी भावना है, जो लोगों और जगहों से अलग होने के कारण हो सकती है। यह उन छात्रों के लिए एक सामान्य अनुभव है, जो पढ़ाई के लिए घर से दूर चले जाते हैं। होम सिकनेस छात्रों के अलावा नौकरी करने वालों को यहां तक कि कुछ लोग जो काम से कभी कभार ट्रैवल करते हैं उन्हें भी इसका अनुभव हो सकता है।
यह परिवार और दोस्तों की कमी, किसी अपरिचित वातावरण में अलग-थलग महसूस करना या अपने स्टडी को मैनेज करने के लिए संघर्ष करने के कारण हो सकता है। घर पर समय बिताने के बाद जैसे की फेस्टिवल्स की छुट्टियों के बाद के हफ्तों में घर की याद आना सामान्य है।
होमसिकनेस के लक्षणों में उदास महसूस करना, घर की याद आना और दोस्तों और परिवार के बारे में चिंता करना शामिल है। कुछ और विशिष्ट लक्षणों में शामिल हैं:
स्लीप पैटर्न में बदलाव आना
अत्यधिक गुस्से का अनुभव करना
मिचली या घबराहट महसूस करना
अकेला महसूस करना
असुरक्षित, चिंतित या घबराया हुआ महसूस करना आत्म-सम्मान या आत्म-मूल्य की कमी की भावना
सिरदर्द
भूख
एकाग्रता की कमी
घर की याद आने से आप उदास, अकेला, चिंतित या अवसाद जैसी भावनाओं का अनुभव कर सकती हैं। इसके अलावा आपको सुरक्षा और घबराहट का अनुभव होता है। साथ ही आप वर्तमान पर जिस जगह पर होती हैं, उस जगह पर आपकी भावनाएं एवं मस्तिष्क उपलब्ध नहीं होते।
घर की याद आने से सिरदर्द, पेट दर्द, मतली या भूख न लगने जैसे शारीरिक लक्षण नजर आ सकते हैं। खासकर इस स्थिति में पाचन संबंधी समस्याएं अधिक फ्रिक्वेंटली आपको परेशान करती हैं। वहीं सिर दर्द होना भी बेहद आम है।
घर की याद आने से आप सामाजिक रूप से अलग हो सकती हैं। सोने में परेशानी होना, या बुरे सपने आ सकते हैं। इसके अलावा आपको अपने विचार बदले हुए नजर आयेंगे और व्यवहार भी कठोर और अधिक भावनात्मक हो सकता है।
घर की याद आने से ध्यान केंद्रित करना और काम करना मुश्किल हो सकता है। इस स्थिति में यदि आप अपनी पढ़ाई के लिए बाहर आई हों, या नौकरी के लिए दोनों ही प्रभावित होते हैं।
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घर की याद आने से सेल्फ वर्थ और सेल्फ कॉन्फिडेंस में कमी देखने को मिलती है। क्योंकि इस दौरान हम भावनात्मक रूप से इतने ज्यादा डिस्टर्ब होते हैं, कि मन में नकारात्मक ख्याल आना सामान्य हो जाता है।
अपने परिवार और दोस्तों से नियमित रूप से बात करने के लिए समय निकालें, चाहे फोन, वीडियो चैट या ईमेल के ज़रिए। घर परिवार से बनता है और जब आप परिवार से जुड़ी रहती हैं, तो आपके घर की कम याद आती है।
आप ऑफिस जाती हों, या कॉलेज या किसी और काम करने घर से बाहर आई हैं, हर केस में अपने काम पर फोकस करने से आपको होमसिकनेस के साइड इफेक्ट्स को कम करने में मदद मिलेगी। किसी क्लब या संगठन में शामिल होना नए लोगों से मिलने और दोस्त बनाने का एक शानदार तरीका है। यह आपको अपने नए कॉलेज और ग्रुप से ज़्यादा जुड़ाव महसूस करने में भी मदद कर सकता है।
अपने फ्लैट, हॉस्टल या आप जहां कहीं भी रुके हैं, वहां ऐसी तस्वीरें और चीज़ें लगाएं जो आपको घर की याद दिलाती हों। इसके अलावा जितना मुमकिन हो सके घर पर इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को अपने आसपास रखें और उनका इस्तेमाल करें। होम सिकनेस तब अधिक ट्रिगर हो जाती है, जब आप आपको ऐसा महसूस होता है, कि यहां पर वे लोग या वे चीज उपलब्ध नहीं है जो आपके घर पर हैं।
अपने नए शहर या देश को जानने के लिए कुछ समय निकालें, आसपास की जगह पर घूमने जाएं, लोगों से बात करें, वहां के नए नए फूड ट्राई करें। सबसे अहम लोकेलिटी का अनुभव करें, ताकि जब कभी होम सिकनेस हो या मूड खराब हो तो आप आसपास घूम सके और अच्छी चीजें एक्सप्लोर कर सकें।
स्वस्थ खाना खाएं, पर्याप्त नींद लें और नियमित रूप से व्यायाम करें। अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने से आपका समग्र स्वास्थ्य संतुलित रहता है। इस प्रकार आप अंदर से तारोताजा महसूस करती हैं, जिससे कि होमसिकनेस का खतरा कम हो जाता है।
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