आपके लिए अकेलेपन का क्या मतलब है? अकेला होने की विडंबना यह है कि हम सभी ने कभी न कभी अकेलापन महसूस किया ही होगा। इसकी सबसे खराब बात है कि आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ रहते हुए भी अकेलापन महसूस कर सकते हैं।
जबकि अकेलापन एक व्यक्तिपरक भावना (subjective emotion) हो सकती है। एक तरफ जहां आप शारीरिक रूप से अकेला और अलगाव महसूस कर सकती हैं, वहीं दूसरी ओर आप खुद को किसी भी रिश्ते को निभा पाने में असमर्थ महसूस कर सकती हैं। निश्चित रूप से इसका आपके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि आप अकेलापन क्यों महसूस करती हैं? 2010 के एक अध्ययन में, डच शोधकर्ता जेनी डे जोंग-गिएरवेल्ड (Dutch researcher Jenny de Jong-Gierveld) ने इस पर विस्तार से बात की। वे कहते हैं कि अकेलेपन की भावना रिश्तों की कमी के कारण या मौजूदा रिश्तों में खराब अनुभवों के कारण आने लगती है।
धीरे-धीरे अकेलापन आपके जीवन को बदल देता है। उदाहरण के लिए, आप पा सकती हैं कि आपका सबसे घनिष्ठ संबंध आपके फोन के साथ है। आप अपने बारे में नकारात्मक विचार रखने लगती हैं। आप अपने जीवन का आनंद लेना बंद कर सकती हैं, उन चीजों में आनंद पाने में असमर्थ महसूस कर सकती हैं जिन्हें पहले बहुत पसंद करती थीं।
अगर आप ये सब महसूस कर रहीं हैं, तो निश्चित ही आप अकेलेपन की शिकार हैं। भले ही आपके आसपास दोस्त और परिवार के लोग ही क्यों न मौजूद हों।
वह कहते हैं कि आप अकेली नहीं हैं। अकेलापन दुनिया भर में लोगों द्वारा महसूस की जाने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है। अगर कुछ भी है जिसने इस स्थिति को और भी बदतर बना दिया है तो वह है कोरोना महामारी और लॉकडाउन। लेकिन इससे पहले कि हम इस पर चर्चा करें और बहस करें, इस बात पर चर्चा करते हैं कि यह भावना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए इतनी भयानक क्यों है।
इस बात से कोई इनकार नहीं है कि अकेलापन एक जटिल भावना है। लेकिन इसे समझना भी उतना ही कठिन है। आपके मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव बहुत स्पष्ट है। हर कोई इन्हें देख सकता है। शोध के अनुसार, अकेलापन अवसाद का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
इम्यून सिस्टम को कमजोर करने के साथ ही, यह खराब हृदय स्वास्थ्य को जन्म दे सकता है। साथ ही यह आपके जीवन को भी प्रभावित कर सकता है, कि आप कितने समय तक जीवित रह सकते हैं।
अगर आपकी नींद अकसर टूट जाती है, तो इसके लिए अकेलेपन को दोष दिया जा सकता है। अकेलापन आपके नींद के चक्र को अनियमित कर अनिद्रा का कारण बन सकता है। जिससे आपके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वे भावनाएं जो मन में नकारात्मक विचार लाती हैं। आपको अधिक सोचने की प्रक्रिया में धकेल सकती हैं, जो एक शांतिपूर्ण नींद के बीच में बाधा बन सकती हैं।
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के एक पत्र से पता चलता है कि डिस्टर्ब स्लीप मानसिक बीमारियों को जन्म दे सकती है। मनोचिकित्सा विकारों के प्रभावों को बढ़ा सकती है और जब भावना के विनियमन (emotion regulation) की बात आती है, तो यह समस्याएं पैदा करती हैं।
फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित 2018 के एक पेपर के अनुसार, आत्मग्लानि की भावना अक्सर उन लोगों में रिपोर्ट की जाती है, जो अकेलापन महसूस करते हैं। यह बताने की जरूरत नहीं है, कि अकेलापन भी अवसाद को ट्रिगर कर सकता है।
इस प्रकार आप नकारात्मक भावनाओं के साथ जुड़ सकते हैं। आपकी बदली हुई छवि और सेल्फ एस्टीम की कमी से यह समस्या बढ़ सकती है। जो अवसाद के जोखिम में भी योगदान कर सकता है।
जब आप अकेलापन महसूस करते हैं, तो आप यह भी महसूस करते हैं कि कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके साथ आप अपने विचार साझा कर सकें। आपको क्या परेशान कर रहा है, उस पर चर्चा कर सकें।
यह भावनात्मक संकट या पीड़ा की स्थिति पैदा करता है, जो आपके तनाव के स्तर को बढ़ा सकता है। यह बताने की जरूरत नही है कि आप ऐसे में निराशाजनक और अभिभूत महसूस कर सकती हैं।
अकेलापन आपको अत्याधिक सोचने वाला व्यक्ति बना सकता है, जिससे चिंता, आक्रामकता और चिड़चिड़ापन जैसी अस्वस्थ भावनाएं पैदा होती हैं।
सरल समाधान जो कि सुनने में सरल नहीं लगता, वह है अपने दोस्तों और परिवार के संपर्क में रहना। जब आप अपने परिवार या दोस्तों के संपर्क में हों, तो खुद को उन लोगों और चीजों से घेर लें जो आपको खुश करती हैं। अपने आप में निवेश करें, अपने लिए एक हॉबी चुनें, सैर करें, प्रकृति में समय बिताएं और अकेले समय बिताने के विचार के साथ सहज होने का प्रयास करें।
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