चिंता या अवसाद से पीड़ित हैं, तो जानें कैसे इसके बारे में अपने बॉस को बताएं

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बात करना जरूरी है, विशेष तौर पर कार्यस्थल पर। अगर आप चिंता, अवसाद या किसी अन्य विकार से जूझ रही हैं, तो अपने ऑफिस में इसके बारे में बात करना महत्वपूर्ण है।
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चुप रहने की बजाए आवाज उठाएं। चित्र-शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 12 Oct 2023, 18:03 pm IST
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2020 एक ऐसा साल था, जिसने महामारी के चलते मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। इससे पहले कभी भारत में लोगों ने चिंता और अवसाद पर चर्चा नहीं की थी। लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते, अपने घरों में फंसे रहने के दौरान हम में से ज्यादातर लोगों ने इसका अनुभव किया है। इसके अलावा, रिमोट वर्क की ओर मुड़ने से, व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन के बीच सीमाएं धुंधली हो गईं, जिससे लोगों को काफी परेशानी हुई।

हालांकि यह एक अभूतपूर्व स्थिति थी। पर एक बड़ी आबादी पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रही थी। लेकिन इसके बारे में बात नहीं करना चाहती, खासतौर पर जब बात काम की होती है। ’D’ शब्द का उपयोग करना लगभग अपराध है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह व्यावसायिक विकास को बाधित करता है।

इस परिदृश्य में, किसी को क्या करना चाहिए? क्या उन्हें अपने बॉस को बताना चाहिए कि वे चिंता, अवसाद और किसी अन्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों से जूझ रहे हैं? तो इसका जवाब है हां। क्योंकि यदि आप ऐसा नहीं करती हैं, तो आपकी स्थिति कभी भी स्पायरल हो सकती है, जिससे उत्पादकता संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

तो, ऐसे में अपने बॉस से बातचीत करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? घबराएं नहीं, हम आपकी इस स्थिति से सही तरीके से निपटने में मदद करेंगे।

समझें कि आप कहां हैं

इसके साथ शुरुआत करने के लिए आपको सबसे पहले तो, अपने बॉस को इसकी जानकारी देने के लिए तैयार रहना चाहिए। एक बार जब आप इसको लेकर स्पष्ट हो जाती हैं, तो आप अगले चरण की ओर आगे बढ़ सकती हैं। कुछ लोगों का मानना यह है कि अपने बॉस को यह बताने का सबसे अच्छा मौका तब होता है, जब आपको किसी नौकरी का ऑफर मिलता है।

वहीं दूसरे लोग कहते हैं, कि इसके बारे में आपको तब बात करनी चाहिए जब यह आपके काम के बीच में बाधा डालने लगे। खैर, वास्तव में कोई सही या गलत जवाब नहीं है। यह पूरी तरह से आपकी स्थितियों, लक्षणों और निश्चित रूप से, आपके कार्य स्थल की संस्कृति पर निर्भर करता है।

किसी भी मामले में, मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करना एक संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन जब कुछ लोगों को लगता है कि उनका काम इससे प्रभावित नहीं हो रहा है, तो वे इसे गुप्त रखते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग अपने मेडिकल इतिहास को दर्शाना नहीं चाहते।

वहीं दूसरी ओर, कुछ लोगों के लिए अपनी स्थिति का खुलासा करना काफी मुश्किल हो जाता है, जब इससे उनका काम प्रभावित होने लगता है। क्योंकि वे इस बात को लेकर चिंतित होते हैं, कि उन्हें अपनी स्थिति को समझाना पड़ सकता है, जो कि उनके खिलाफ भी हो सकता है।

खैर, जो कुछ भी आप करने का फैसला करते हैं, उसके लिए यह सुनिश्चित करें कि जब आप इसके बारे में अपने बॉस से बात करें, तो आप एक आरामदायक जगह पर हों। यदि आपको लगता है कि अपने बॉस को बताकर आपकी चिंता बढ़ सकती है, तो इसके बारे में सोचें और उन्हें कॉल करें।

समस्या के बारे में बात करना, उससे निपटने का बेहतर तरीका है। चित्र-शटरस्टॉक

अपने बॉस के साथ चर्चा करने के लिए उचित समय ढूंढें

एक बार जब आप इसके बारे में बात करने का फैसला कर लेते हैं, तो आप अपने बॉस से संपर्क कर सकते हैं और अपने काम को प्रभावित करने वाली अपनी चिंता के बारे में उन्हें बता सकते हैं। यदि आपको लगता है कि कार्यस्थल का वातावरण इसके अनुकूल नहीं है, तो पहले इसे सुनिश्चित करें।

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कुछ बिंदुओं के माध्यम से बात करना भी, कई मायनों में आपकी बात को बेहतर तरीके से प्रदर्शित करने में मदद कर सकता है। इससे आपको संतुलित बातचीत करने में मदद मिलती है।

दूसरी ओर, यदि आपको लगता है कि आपके बॉस से बात करने से मामला बिगड़ जाएगा (लेकिन आप अभी भी अपनी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति का खुलासा करना चाहती हैं), तो एचआर विभाग (HR department) से संपर्क करना सबसे अच्छा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे जटिल मामलों में सहायता के लिए बेहतर प्रशिक्षित हैं।

यदि आपकी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति कुछ ऐसी है जिसे नियंत्रण में रखना मुश्किल है, तो यह सलाह दी जाती है, कि नियोक्ताओं को काम पर रखने के दौरान उन्हें इसके बारे में बताएं। उल्टा होना और इसे संदर्भ में रखना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन बेहद महत्वपूर्ण है।

यदि आप एक सहायता समूह का हिस्सा हैं, तो आप इस तरह भी आप अपनी बात कह सकते हैं।

अपने सहयोगियों को भी इसके बारे बताएं

एक बार जब आप अपने बॉस के साथ अपनी समस्या को साझा करती हैं, तो आप अपने सहयोगियों को भी इसके बारे में बता सकती हैं। खैर, शायद उनमें से सभी को नहीं, लेकिन ऐसे लोगों को जो आपकी तरह सोचते हों और आपकी समस्या को समझ सकते हैं। याद रखें कि किसी तरह के स्टिग्‍मा को अपने रास्ते में न आनें दें। क्योंकि आपका मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आपका शारीरिक स्वास्थ्य़।

अपने सहयोगियों को अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बताएं। क्योंकि इससे उन्हें भी इस बारे में बात करने में मदद मिलेगी, अगर वे भी इसी चक्र से गुजर रहे हैं। इसके अलावा, क्या पता उनमें से कुछ लोग आपके समर्थन समूह का हिस्सा बन सकते हों।

इस स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने के लिए इन टिप्स को भी फॉलो करें

जब आप अपने बॉस या सहकर्मियों के साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चर्चा करते हैं, तो ये टिप्स आपके काम आ सकती हैं।

  1. व्यक्तिगत रूप से बातचीत करें। कभी भी अपने बॉस या सहकर्मी को टेक्स्ट न करें, न ही उन्हें ईमेल करें। ये वार्तालाप संवेदनशील हैं और आमने-सामने बात की जानी चाहिए।
  2. ऐसा समय चुनें जो आपके लिए सही हो। जब आप अपेक्षाकृत शांत होते हैं, तो उस दौरान आप मीटिंग भी कर सकते हैं। ताकि आप अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रख सकें। 
  3. याद रखें ज्ञान शक्ति है। जब आप अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अपने बॉस से बात करने का निर्णय लेते हैं, तो ऐसे में अपनी विशिष्ट प्राथमिकताओं की एक लिस्ट तैयार करें। इस बात की रूपरेखा तैयार करें कि आप क्या संभालने में सक्षम हैं और आपको कहां अतिरिक्त समर्थन की आवश्यकता है।

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आपको अपनी दवा या चिकित्सक के बारे में जानकारी का निरीक्षण करने की आवश्यकता नहीं है। एक पेशेवर वातावरण में, बहुत सारे विवरणों को विभाजित किए बिना, वार्तालाप को सरल और संक्षिप्त रखें।

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