कभी जीवन में हम 40 की उम्र ताक आते – आते काफी कुछ आचीव कर लेते हैं। हां… माना कि व्यक्ति की आकांशाएं कभी पूरी नहीं होती है और हम एक के बाद एक किसी न किसी नई उपब्धि या सपने को पाने की कोशिश करते रहते हैं। हाई एंबीशन वाली इस दुनिया में सतुष्ट होना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन अक्सर एक मुकाम पर पहुंचने के बाद हम खुद को डाउट नहीं करते हैं।
जीवन में थोड़े आचीवमेंट के बाद हम थोड़े कॉन्फिडेंट (Confident) हो जाते हैं और ये बुरा नहीं है!… बल्कि यह हमारी काबिलियत का सबूत होता है कि हम में थोड़ा कॉन्फ़िडेंस होता है और हम हर छोटी – छूती चीज़ पर खुद पर शक नहीं करते हैं।
मगर हमारी ये रियलिटी सबकी रियलिटी नहीं होती है। कुछ लोग जीवन के हर मोड़ पर खुद को डाउट करते हैं। दूसरों की गलती में अपनी कमियां ढूंढते हैं। और इन्हें कभी खुद पर यकीन नहीं होता है। भले ही इनमें कितना भी टैलंट क्यूं न हो, ये कॉन्फिडेंट होने का सिर्फ ढोंग करते हैं। बता दें कि ऐसा वे जानभूझ कर नहीं करते हैं, बल्कि ये इंपोस्टर नाम के सिंड्रोम (Imposter Syndrome) से ग्रस्त होते हैं।
इम्पोस्टर सिंड्रोम को अपनी क्षमताओं पर संदेह करने और हमेशा एक ढोंगी की तरह महसूस करने के रूप में परिभाषित किया गया है। यह ज़्यादातर उन लोगों को होता है जिन्होनें अपने जीवन में काफी कुछ आचीव किया है और बड़ी ऊंचाइयां देखी हैं। यह उन लोगों को प्रभावित करता है जिन्हें अपनी उपलब्धियों को स्वीकार करना मुश्किल लगता है। वे खुद पर कई सवाल करते हैं और शक करते हैं कि क्या वे वाकई प्रशंसा के पात्र हैं।
यदि आपने जीवन में कुछ आचीव किया है तो लोग आपकी प्रशंसा करेंगे और बदले में आप उसे सहज रूप से स्वीकार करेंगे। अब ये बरताव एक नॉर्मल व्यक्ति का है, लेकिन एक इम्पोस्टर सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को लगता है कि वह किसी तरह का ढोंग कर रहा है और उसे ये सब किस्मत से मिला है। ऐसे व्यक्ति को हर दिन लगता है कि एक दिन उसका सच सबके सामने आ जाएगा कि उसे कुछ नहीं आता है और उसका पर्दाफाश हो जाएगा।
दूसरों को अपनी कमियों या असफलताओं को पहचानने से रोकना।
उन भूमिकाओं के योग्य बनना जिन्हें आप मानते हैं कि आप उनके योग्य नहीं हैं
लोगों को “धोखा” देने पर अपराधबोध की भावनाओं का सामना करना
लोगों में अपनी सफलता का भाम कायम रखना।
आखिर क्यों कोई होता है इम्पोस्टर सिंड्रोम का शिकार
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कस्टमाइज़ करेंस्कूल में अच्छा करने के लिए दबाव डाला जनन
आपकी तुलना आपके भाई-बहनों से होना
नियंत्रित या अधिक प्रोटेक्टिव एनवायरनमेंट में पलना
बचपन में बार – बार लोगों से अपनी आलोचना सुनना
तो यदि आप भी इन लक्षणों से रिलेट कर पाते हैं तो एक मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से मिलें और वही आपको सही सलाह देंगे। क्योंकि ये लक्षण आपको निजी जीवन में तकलीफ पहुंचा सकते हैं।
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