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जानिए क्‍या है सिकनेस सिंड्रोम, जो आपके मूड और उत्पादकता को भी करता है प्रभावित

सिकनेस सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आप लंबे समय तक बीमारी का अनुभव करती हैं। पर क्‍या आप जानती हैं कि इसके कारण आपके आसपास ही हैं और आप इन्‍हें नियंत्रित कर सकती हैं।
Updated On: 17 Oct 2023, 03:28 pm IST
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सिकनेस सिंड्रोम, जो आपके मूड और उत्पादकता को भी करता है प्रभावित। चित्र: शटरस्टॉक
सिकनेस सिंड्रोम, जो आपके मूड और उत्पादकता को भी करता है प्रभावित। चित्र: शटरस्टॉक

सिकनेस सिंड्रोम ये एक पर्यावरणीय बीमारी है जो खराब वेंटिलेशन वाली बिल्डिंग, जैसे स्कूल, ऑफिस और पब्लिक प्लेस, प्रदूषण, तंबाकू का धुआं, खराब रोशनी वाले कमरे, पुराने कंप्यूटर डिस्प्ले जो आंखों में खिंचाव पैदा करते हैं, मोल्ड या कवक की उपस्थिति, कीटनाशकों, प्रिंटर और फैक्स मशीन के उपयोग से ओजोन के निर्माण से, काम के तनाव के कारण, गर्मी और शोर वाली जगह से होता है।

एनसीबीआई में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार सिकनेस सिंड्रोम इनडोर और आउटडोर दोनों वजह से हो सकता है। क्योंकि आउटडोर में मोटर, गाड़ियों, और बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल हवा के द्वारा खिड़कियों और अन्य माध्यम से ऑफिस की बिल्डिंग में प्रवेश कर सकता है।

सिकनेस सिंड्रोम इनडोर और आउटडोर दोनों वजह से हो सकता है। चित्र: शटरस्टॉक
सिकनेस सिंड्रोम इनडोर और आउटडोर दोनों वजह से हो सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

वहीं इनडोर में हवा बंद रहती है, जिस कारण कीटाणु और केमिकल हवा में ही तैरते रहते हैं। जो लोगों को आसानी से बीमार कर सकते हैं।

पहचानिए सिकनेस सिंड्रोम के लक्षण

सिरदर्द, चक्कर आना, मतली, आंख, नाक या गले में जलन, सूखी खांसी, एकाग्रता में कठिनाई, थकान, गंध के प्रति संवेदनशीलता, आवाज की गड़बड़ी, एलर्जी, सर्दी, फ्लू जैसे लक्षण और व्यक्तित्व में परिवर्तन। ये कार्य कुशलता को कम करता है।

मानसिक स्थिति को करता है प्रभावित

सिकनेस सिंड्रोम अत्यधिक काम का तनाव या असंतोष, रिश्तों में तनाव और बातचीत न होने कारण होता है। विशेषज्ञों की मानें, तो इस सिंड्रोम से अवसाद और चिंता भी हो सकती है।

मानसिक स्थिति को करता है प्रभावित। चित्र: शटरस्टॉक
मानसिक स्थिति को करता है प्रभावित। चित्र: शटरस्टॉक

तो जानिए आप कैसे बच सकती हैं सिकनेस सिंड्रोम से

  • सफाई करने के लिए बिना सुंगध वाले प्रोडक्ट का उपयोग करें।
  • धूल हटाने के लिए वैक्यूम क्‍लीनर का इस्तेमाल करें।
  • हर दो महीने में एयर फिल्टर बदलें (आवश्यकता हो तो)।
  • सही ह्यूमिडिटी का पता लगाएं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एनएचएस चॉइस ने सही
  • ह्यूमिडिटी का लेवल 40 से 70 प्रतिशत तक बताया है।
  • कंप्यूटर मॉनिटर और अन्य डिस्प्ले सिस्टम को साफ रखें।
  • आवश्यकता अनुसार लाइट बदलें।

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लेखक के बारे में
अंबिका किमोठी
अंबिका किमोठी

योगा, डांस और लेखनी, यही सफर के साथी हैं। अपनी रचनात्‍मकता में देखूं कि ये दुनिया और कितनी प्‍यारी हो सकती है।

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