अगर आपको चीजें जमा करने की आदत है या आपको पुराना सामान फेकने में या बेचने का बिल्कुल भी मन नहीं करता, आप बस उन्हें इकट्ठा करती रहती है, तो आप होर्डिंग डिसऑर्डर (Hoarding Disorder) नाम की मानसिक समस्या की शिकार हो सकती हैं। सुनने में यह आम चीज लगती है, जिसके कारण हम इसको अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि इसको नजरअंदाज करना आपके जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया कि अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) से पीड़ित लोगों में होर्डिंग के व्यवहार का प्रदर्शन करने की काफी अधिक संभावना होती है। ऐसे में इसके बारे में समझना बहुत जरूरी है।
होर्डिंग डिसऑर्डर एक मानसिक विकार है। इस समस्या में लोगों को वस्तुओं को जमा करने की आदत लग जाती है। फिर चाहे वह वस्तु काम की हो या कबाड़ हो। आमतौर पर इन सामानों में अख़बार, घरेलू सामान, कपड़े शमिल होते हैं। कभी-कभी जमाखोरी विकार वाले लोग बड़ी संख्या में जानवरों को इकट्ठा करते हैं। शुरुआत में समस्या भले ही आम हो लगती हो, लेकिन यह आगे चल कर खतरनाक अवस्था में तब्दील हो सकता है।
यह मानसिक विकार जीवन के कई पहलुओं पर असर डालता है, जिसमें लोगों के सामाजिक,परिवारिक और कार्य जीवन में तनाव उत्पन्न होने लगता है। बाद में शर्मिंदगी के कई कारण निकल कर सामने आ जाते हैं। यह अस्वास्थ्यकर और असुरक्षित रहने की स्थिति भी पैदा कर सकता है।
इस अध्ययन को जर्नल ऑफ साइकियाट्रिक में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन बताता है कि एडीएचडी वाले 5 लोगों में से लगभग एक ने जमाखोरी के गंभीर स्तर का प्रदर्शन किया। अध्ययन के अनुसार, यह इस बात को दर्शाता है कि इस मानसिक विकार और इसके परिणाम से जूझ रहे एडल्ट्स की एक छुपी हुई आबादी भी हो सकती है।
ब्रिटेन के एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय (एआरयू) के शोधकर्ता शेरोन मोरिन बताते हैं, “होर्डिंग डिसऑर्डर केवल बहुत सारी संपत्ति इकट्ठा करने तक ही सीमित नहीं है, इससे कहीं अधिक है। जिन लोगों में इस मानसिक विकार की समस्या पाई गई उनमें इस समस्या के कारण चिंता और अवसाद जैसी स्थिति बन गई।”
शोधकर्ताओं की टीम ने इस अध्ययन को करने के लिए कैम्ब्रिज और पीटरबरो एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा संचालित एक वयस्क एडीएचडी क्लिनिक से 88 प्रतिभागियों को इस अध्ययन का हिस्सा बनाया। जिसके बाद यह बात निकलकर सामने आई कि समूह के 19% ने चिकित्सीय रूप से महत्वपूर्ण जमाखोरी के लक्षण दिखाएं।
जिनमें से ज्यादातर लोगों की उम्र 30 की थी। बाकी के बचे 81 प्रतिशत मरीजों में, शोधकर्ताओं ने इस मानसिक विकार की गंभीरता को अधिक पाया, लेकिन इस हद तक नहीं कि स्टडी कंट्रोल ग्रुप की तुलना में उनके जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सके।
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