शरीर को हेल्दी रखने के लिए जिस प्रकार से डिटॉक्स ड्रिंक (Detox drink) की आवश्यकता होती है। ठीक उसी प्रकार से माइंड को बूस्ट करने और रिलैक्स रखने के लिए डिजिटल डिटॉक्स ज़रूरी है। दिनभर मोबाइल, लैपटॉप और टैप से घिरे रहने के चलते हमारा दिमाग हर वक्त किसी न किसी प्रकार से व्यस्त रहता है। इसके चलते चीजों को भूलना, एकाग्रता की कमी और डिप्रेशन का खतरा बना रहता है। वर्चुएलिटी के इस युग में डिजिटल उपकरण और इंटरनेट लोगों की जिदंगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। जानते हैं क्या है डिजिटल डिटॉक्स(Digital detox) और इसे करने के लिए किन टिप्स को करें फॉलो।
बच्चों में एकाग्रता की कमी
बिहेवियरल प्रॉब्लम्स का लगातार बढ़ना
दोस्तों से मेलजोल कम हो जाना
प्रकृति से दूरी बना लेना
आंखों से जुड़ी समस्याओं का जोखिम
खुद को घर में ही कैद कर लेना
सर गंगाराम अस्पताल में साइकोलॉजिस्ट सीनियर कंसलटेंट, डॉ आरती आनंद के अनुसार डिजिटल डिटॉक्स के लिए गैजेटस के प्रयोग को नियंत्रित करना बेहद ज़रूरी है। दरअसल, कुछ लोग ऐसे हैं, जो दिनभर एक से ज्यादा गैजेटस से घिरे रहते हैं। इसका असर उनके मस्तिष्क और व्यवहार पर भी दिखने लगता है। उनकी प्रोडक्टिविटी कम हो जाती है। साथ ही हर वक्त परेशान रहते हैं। वे हर क्षण डिजिटल स्ट्रेस से होकर गुज़रते हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक स्टडी के मुताबिक वे लोग जो डिजिटल डिटॉक्स की ओर बढ़ते हैं और गेजेटस से दूरी बना लेते हैं। उन्हें मूड स्विंग, नींद न आने और एंग्ज़ाइटी की समस्या से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा अन्य स्टडी की मानें, तो वो महिलाएं, जो खुद को फेसबुक और इस्टाग्राम जैसी एप्स को सीमित समय के लिए इस्तेमाल करती है। वे दिनभर ज्यादा खुश और एक्टिव रहती हैं।
कुछ भी काम करने के दौरान आपका हाथ बार बार मोबाइल की स्क्रीन को चेक करने के लिए आगे बढ़ने लगता है। ऐसे में फिज़िकल बाउंड्रीज सेट करना सबसे ज़रूरी है। इसके लिए वर्कप्लेस से मोबाइल को सीमित दूरी पर रखें। कोशिश करें कि आवश्यकता होने पर ही उसका प्रयोग करें। इससे न केवल आप रिलैक्स रहेंगे बल्कि आपकी प्रोडक्टिविटी भी बढ़नग लगती है। आप खुद को रिलैक्स महसूस करती है और काम भी वक्त पर होने लगता है।
दिनभर में कुछ घण्टे के लिए खुद को स्क्रीन से दूर रखने का प्रयास करें। जैसे खाना खाते वक्त, परिवार के साथ समय बिताते वक्त, कुछ काम करते वक्त और दोस्तों से मिलते जुलते वक्त। दरअसल डिजीटल एडिक्शन के चलते हम हर वक्त नोटिफिकेशंस को चेक करते रहते हैं। इससे समय तो बर्बाद होता ही है। साथ ही माइंड भी हर वक्त एंगेज रहता है।
रात को सोने से एक घण्टा पहले फोन को प्रयोग न करें। इससे नींद पूरी तरह से उड़ जाती है। साथ ही आपकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती है। इसके अलावा सुबह उठते ही आपको सिरदर्द होने की समस्या भी सताने लगती है। आप दिनभर थकान का अनुभव करते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक मोबाइल से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों को नुकसान पहंचाती है। इसके लिए ब्लॉकिंग स्क्रीन प्रोटेक्टर्स का इस्तेमाल अवश्य करें।
हर वक्त आंखों के सामने रहने वाले फोन और लैपटॉप से दूरी बनाए रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक फ्री विकेंड के आइडिया को अपनाएं। ऐसे में सप्ताह में दो दिन गैजेटस को खुद से दूर रखे। इससे आप न केवल समय पर अपना काम पूरा कर पाएंगे। साथ ही आंखों से जुड़ी समस्याओं से भी राहत मिल जाती है।
ये भी पढ़ें- हर रिश्ते को होती है रिपेयरिंग की जरूरत, ये 5 संकेत बताते हैं कि आपका रिश्ता टूटने की कगार पर है