एक वो दौर था जब तनाव शब्द किसी किसी की जुबां पर होता है। बहुत बड़ी तादाद ऐसे लोगों की हुआ करती थी, जिन्हें इसके मायने भी नहीं पता थे। मगर बदलते दौर ने बड़े बुजुर्गों से लेकर युवाओं और बच्चों तक इस समस्या को आम कर दिया है। खुद को चार दीवारी में कैद कर देने के चलते लोगों का मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ा रहा है। इसके चलते लोग दूसरों से बातचीत करने, सोशल गैदरिंग (social gathering) का हिस्सा बनने और अपने आप को खुलकर एक्सप्रेस करने में कतराने लगते हैं। खुद का एंग्जाइटी से बाहर निकालने के लिए लोग दवाएं लेने लगते हैं। जो सेहत के लिए नुकसानदायक साबित होने लगती है। जानते हैं कि एंग्जाइटी क्या है और इससे बचने के लिए किन टिप्स को करें फॉलो (Tips to deal with anxiety disorder)।
इस बारे में बातचीत करते हुए डॉ युवराज पंत बताते हैं कि जीवन में अक्सर लोग परफे्क्ट बनने के कारण एंग्जाइटी का शिकार होने लगते हैं। उन्हें ये डर सताने लगता है कि कहीं उनसे कोई गलती न हो जाए। बस यही डर एंग्जाइटी का कारण बन जाता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो किसी बात को लेकर एकदम से डर, चिंता और घबराहट से भर जाने की फीलिंग को एंग्जाइटी डिसऑर्डर (anxiety disorder) कहा जाता है। जहां कुछ लोग सोशन एंग्जाइटी के शिकार होते हैं, तो कुछ परफेक्शनिज्म की तलाश में एंग्जाइटी से दो चार होने लगते हैं। जानते हैं वो आसान टिप्स जिनकी मदद से इस समस्या से बचा जा सकता है।
बार बार पसीना आना
हर पल नर्वस फील करना
किसी भी काम से पहले हार्ट रेट का बढ़ना
खुद को कोसते रहना
हेल्पलेस महसूस करना
किसी से बात करने से कतराना
चार दीवारी को अगर आप अपनी दुनिया बना लेंगे, तो आपका ध्यान केवल खुद पर ही बना रहेगा। आपको हर वक्त अपनी चिंता रहेगी और खुद की सेहत को लेकर ही फिक्रमंद बने रहेंगे। इसके अलावा अन्य लोगों से बात करने हुए भी हिचकिचाहट का अनुभव होगा। ऐसा व्यवहार आपको बाहरी दुनिया से अलग कर देता है। अपना फ्रेंड सर्कल बनाएं और हम उम्र लोगों से मिल जुलें और उनके बारे में जानें। इससे आप आउटर वर्ल्ड से कनेक्ट होते चले जाएंगे। साथ ही आपका शरीर भी स्वस्थ बना रहेगा।
हर काम आपसे परफेक्ट हो ऐसा ज़रूरी तो नहीं। कहीं न कहीं हर व्यक्ति में कोई न कोई कमी तो होती ही है। दिनभर में होने वाली मिस्टेक्स को अवॉइड करने की जगह उनसे कुछ सीखें और उन्हें ठीक करने की कोशिश करें। चाहे घर हो या वर्कप्लेस खुद को पॉलिश करें। इससे आपकी मेंटल ग्रेथ में भी फायदा मिलेगा।
वे लोग जो जीवन में कुछ नहीं कर पाते हैं। वे अक्सर दूसरों को भी कुछ करते हुए देखना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे में उन लोगों की संगति में बैठें, जो जागरूक और समझदार हो। साथ ही आपको अपनी राह से भटकाने की बजाय उचित रास्ता दिखाएं। इससे आप जीवन में आगे बढ़ने लगते हैं। साथ ही जीवन के प्रति आपकी अप्रोच पॉजिटिव होती चली जाएगी। जो एंग्जाइटी से बाहर आने का बेहतरीन विकल्प है।
दिलभर ढ़ीले ढ़ाले शरीर के साथ आप खुद को एंग्जाइटी से कभी भी दूर नहीं कर सकते हैं। इसके लिए दिनभर में कुछ वक्त एक्सरसाइज़ करें और कुछ देर मेडिटेशन के लिए भी निकालें। इससे आपकी बॉडी एक्टिव बनी रहती है। साथ ही दिमाग में बार बार उठने वाले विचार भी धीरे धीरे रिलीज़ होने लगते हैं।
कई बार हम मन ही मन खुद से नाराज़ होने लगते हैं। हमें लगने लगता है कि जीवन में लिए गए गलत फैसलों से हमारी जिंदगी खराब हो चुकी है। अन्य लोगों के प्रति भी हमारे मन में शकांए बनी रहती है। अगर आप भी ऐसी सिचुएशन से होकर गुज़र रही हैं। तो इससे बाहर आना आवश्यक है। इससे आपका जीवन जीने का नज़रिया बदलेगा। इससे बाहर आने के लिए हेल्दी डाइट लें और दोस्तों के साथ वक्त बिताएं। अगर फिर भी आपकी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई हैं, तो डॉक्टरी उपचार ज़रूर लें।
मेंटल हेल्थ को इंप्रूव करने के लिए एसेंशियल ऑयल की मदद से अरोमा थैरेपी लेना शुरू करें। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन बढ़ने लगता है। इससे आप डिप्रेशन, तनाव और एंग्ज़ाइटी से दूर होने लगती हैं। हाथों और पैरों की मसाज आपकी मांसपेशियों को रिलैक्स करने में मददगार साबित होती हैं। ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जो मानसिक स्वस्थ्य को फायदा पहुंचाता है।
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