लिव इन रिलेशनशिप (live-in-relationship) सुनने में बेहद रोमांचक और एक खूबसूरत सपने जैसा लगता है। दो लोग एक साथ एक घर में जहां उन्हें रोकने टोकने वाला और कोई न हो। वे लोग एक दूसरे को समझते है और एक रिश्ता कायम करते हैं। एक साथ घूमने फिरने जाते हैं और मन मुताबिक सभी काम करते हैं। धीरे धीरे एक दूसरे की ज़रूरतों को समझने लगते है। ऐसा नहीं है कि लिव इन रिलेशनशिप के सिर्फ पॉज़िटिव आस्पेक्ट (positive aspect of relationship) ही हैं बल्कि इसमें बहुत कुछ नकारात्मक चीजें भी है। इस रिश्ते को बनाए रखने के लिए कुछ रूल्स को फॉलो करना ज़रूरी है (Golden rules of live in relationship) ।
रिसर्च गेट के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक लिव.इन रिलेशनशिप कोई अपराध नहीं है। 2003 में मलिमथ समिति ने ऐतिहासिक सिफारिशें प्रदान करते हुए लिव.इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को भी पत्नी समान समझे जाने पर ज़ोर दिया है। इसके अलावा घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम पीडब्ल्यूडीवीए 2005 ने विवाह के बिना संबंधों को कानूनी मान्यता प्रदान की। इसके अलावा इस नई सामाजिक व्यवस्था की गतिशीलता को बनाए रखने के लिए इसे घरेलू हिंसा, रखरखाव, संपत्ति, एक बच्चे की मंजूरी जैसे कुछ कानूनों के दायरे में लाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं।
यहां हैं वे गोल्डन रूल जो लिव इन रिलेशनशिप को ज्यादा सेफ और तनाव मुक्त रख सकते हैं
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि जब दो लोग एक रास्ते पर एक साथ आगे बढ़ते हैं, तो ये दोनों लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि एक.दूसरे की स्वतंत्रता का सम्मान करें। इसका मतलब है कि जरूरत पड़ने पर एक.दूसरे को स्पेस दें और समय भी दें।
लिव इन रिलेशनशिप में इस बात का भी ख्याल रखें कि अगर कोई एक रिश्ते से ब्रेक लेने के बारे में सोच रहा है, तो उसका पार्टनर उसे समझे। दरअसल, एक साथ रहते रहते लोग कई बार फैड अप हो जाते हैं। इसका प्रभाव रिश्ते पर दिखने लगता है। इससे आए दिन झगड़े और मन मुटाव रहता है। ऐसे में एक दूसरे की ज़रूरत को समझें और दोनों को एक दूजे की स्वतंत्रता का ध्यान रखना चाहिए।
किसी अन्य रिश्ते की तरह ही लिव.इन रिलेशनशिप में भी पार्टनर का वक्त देना बहुत ज़रूरी है। दोस्ती से शुरू होने वाला ये रिश्ता लिव इन पार्टनर्स तक पहुंचता है। ऐसे में ये ज़िम्मेदारी दोनों की बनती है कि भले ही कुछ पलों के लिए ही मगर एक साथ टाइम स्पैंड करें। चाहे माकिट जाना हो, मूवी टाइम हो यां इनडोर गेम्स हो। एक साथ रहें और एक दूसरे को समझने का प्रयास करें। कई बार हम रिश्ते को हल्के में लेने लगते हैं, जिससे रिलेश्नशिप धीरे धीरे कमज़ोर होने लगती है।
किसी भी रिश्ते में म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग बहुत ज़रूरी है। अगर आप एक रिश्ते में हैं, तो आए दिन बढ़ने वाले तनाव से बचने के लिए समझौता करने के लिए तैयार रहें। समझौते के दम पर आप किसी भी रिश्ते में दूर तक साथ चल सकते हैं। इस बात को समझना होगा कि हर बार आप सही और आपका पार्टनर गलत नहीं हो सकता है। कई बार हो सकता है कि आप भी गलत हो।
अगर आपकी नज़र में आप बिल्कुल ठीक है, फिर भी दूसरे की बात को सुनें और उसके हिसाब से भी चलने का प्रयास करें। दो पार्टनर्स दो पहियों के समान होते हैं। अगर एक भी रूक जाएगा, तो रिश्तो वहीं खत्म हो जाता है। चाहें घर का काम हो, कुकिंग हो या फाइनेंस से जुड़ें मामले। हर पहलू में आपकी भागीदारी भी ज़रूरी है।
अगर आप लिव.इन रिलेशनशिप में हैं, तो अपने साथी से सेक्स लाइफ के बारे में खुलकर चर्चा करें। अपने रिश्ते में इमानदारी बनाए रखें ताकि आपका पार्टनर किसी संक्रमण का शिकार न हो सके। डॉ युवराज पंत बताते हैं कि अगर दोनों में से कोई भी सेक्सुअल रिलेशनशिप को लेकर दुविधा में है या असंतुष्ट है, तो उसकी ज़रूरतों को समझें।
एक दूसरे के प्रति अपनी ड्यूटी पूरी करने के अलावा खुद के लिए भी टाइम ज़रूर निकाले। इसके लिए एक दूसरे से बात करना बेहद ज़रूरी है। रिश्ते को बैलेंसड रखने के लिए अपनी प्राइवेसी को लेकर डिसकशन ज़रूर करें। इस बात को दोनों समझें कि हर चीज़ को लेकर पार्टनर की जांच पड़ताल और रोक टोक ज़रूरी नहीं है। भले ही आप दोनों एक रिलेशन में है। फिर भी दोनों की अपनी अलग आइडेंटिटी है। दोनों इस बात का ख्याल रखें कि उनका कोई भी कार्य पार्टनर की प्राइवेसी को अफे्क्ट न करे।
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