आत्म घृणा सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है। बदल रहे माहौल में रोज़ाना बड़ी तादाद में लोग इस समस्या से ग्रस्त हो रहे हैं। ये एक प्रकार की भावना है, जो कई बार हमारे अंदर दूसरों को देखकर बढ़ने लगती है। उन्हें ऐसा महसूस होने लगता है कि वे कभी दूसरों जैसे नहीं बन पाएंगे। वे अपने मूल्य का दरकिनार करके अन्य लोगों की तरफ से व्यवहार करने लगते हैं। जानते हैं इस प्रकार की भावना से मुक्ति पाने पर एक्सपर्ट की क्या राय है। जानिए खुद को भावनात्मक तौर पर मज़बूत कर सेल्फ हेटरेड (how to overcome Self-Hatred)दूर करने के कुछ आसान टिप्स।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बता रहे हैं कि हमें इस बात को समझना होगा कि जो व्यक्ति अपने जीवन में खुश है उसे ही दूसरों से प्रेम और सम्मान प्राप्त होता है। वास्तव में वो खुद से भी बेहद प्रेम करता है। अगर आप खुद की चिंता करेंगे और अपने आप से प्रेम करने लगेंगे, तो निश्चित ही अन्य लोगों का भी झुकाव आपकी ओर बढ़ने लगेगा। जब हमें अपनी चिंता होने लगती है, तो हम अपने अच्छे और बुरे के बारे में सोचने लगते हैं।
सेल्फ हेटरेट के पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं। सबसे पहले उन कारणों को खोजें। दिनभर में कुछ वक्त अपने साथ बिताएं। अकेले किसी खाली और शांत जगह पर बैठें। अपेन आप से कुछ देर बात करें। खुद से शिकायतें करने से आप अपने उद्देश्य की प्राप्ति कतई नहीं कर पाएंगे। डॉ युवराज के मुताबिक सेल्फ रियलाइजे़शन करें और इस बात पर ध्यान दें कि आप खुद से नफरत क्यों करते हैं। आपकी विफलता के पीछे क्या कारण है। वे कौन सी चीजें है, जो आगे बढ़ने में आपके रास्ते की रूकावट बन रही हैं। दूसरों के प्रति आपका व्यवहार कैसा हैं, जिसके चलते लोग आपके पास ज्यादा वक्त तक रूक नहीं पाते हैं। जब आप अपनी कमियों पर फोक्स करेंगे, तो ज़ाहिर है कि सेल्फ हेटरेड अपने आप कम होने लगेगा।
आपका व्यवहार इस बात पर निर्भर करता है कि आप दिनभर किसी प्रकार के लोगों से घिरे रहते हैं। बहुत बार हमारे आस पास ऐसे लोग होते हैं, जो हमें डीमोटिवेट और बात बात पर नीचा दिखाते हैं। इससे हमें खुद से नफरत होने लगती है। अक्सर वर्किंग वुमेन अपने आप को इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराती है कि वो बच्चों को पूरा समय नहीं दे पा रही हैं। इससे उनकी परवरिश में कमी रह गई। दरअसल, ये विचार हमारी सोसायटी हमारे अंदर बिल्ड अप करती हैं। ऐसे में एन लोगों के साथ उठे बैठें, जो सकारात्मकता प्रदान करने का काम करें। हर बात के लिए खुद को दोषी न ठहराएं। दूसरी ओर वर्किंग मदर्स इस बात पर प्राउड फील कर सकती हैं कि उनके बच्चे बहुत जल्दी इंडिपेंडेंट हो जाते हैं। हर चीज़ के पॉज़िटिव पहलू को देखना आपके दृष्टिकोण को बदल सकता है।
डॉ युवराज के मुताबिक मेडिटेशन करने से हमारा मांइड रिलैक्स रहता है और पॉज़िटिव वाइब्स को कैच करता है। अपनी इंद्रियों पर ध्यान केद्रित करके सभी दुश्चितांओं से मुक्त हुआ जा सकता है। सुबह उठकर सबसे पहले कुछ समय मेडिटेशन के लिए निकालें। तनाव इस कदर बढ़ रहा है कि हमें इस बात को समझना होगा कि हर उम्र के लोगों के लिए ध्यान करना बहुत ज़रूरी है।
अपने आप को समझने और खुश रहने के लिए प्रकृति के करीब कुछ वक्त बिताएं। आप चाहें, तो परिवार के साथ अन्यथा सोलो ट्रिप पर जाएं। इससे आप खुद के अंदर बदलाव और फ्रेशनेस फील करेंगे। घूमने से हमारे हैप्पी हार्मोन रेगयुलेट होने लगते है। इससे हमारी भीतर कुछ करने की भावना, जानने की इक्ष्छा और खुद को प्रकट करने का बल बढ़ता है।
हम खुद ही कई बार अपना आंकलन दूसरों से करने लगते हैं। कहीं न कहीं इस बात को मान लेते हैं कि हम दूसरों से कम है। इस बारे में डॉ युवराज का कहना है कि हर व्यक्ति में अलग अलग क्वालिटीज़ होती है। ऐसे में खुद को दूसरों से कम मानना, हमारे अंदर आत्मविश्वास के कम होने का कारण भी सिद्ध हो सकता है। इस दुनिया में हर व्यक्ति दूसरे से अलग है। कई बार हमारा तुलनात्मक व्यवहार हमारे लिए सेल्फ हेटरेड का कारण बन जाता है। ऐसे में खुद को अपग्रेड करें।
ये भी पढ़ें- ईद की दावत कहीं बढ़ा न दें ब्लड शुगर लेवल, जानिए डायबिटीज रोगियों के लिए जरूरी टिप्स