आज के समय में एंजायटी, डिप्रेशन तनाव जैसी मानसिक स्थिति बेहद आम हो चुकी है। कई लोग इस समस्या से परेशान रहने लगे हैं। इस प्रकार की मानसिक स्थिति को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्युकी यह आगे चलकर अधिक गंभीर रूप से आपको मानसिक और शारीरिक नुकसान पहुंचा सकती है। एंग्जाइटी के शुरुआती स्टेज में यदि इस पर ध्यान दिया जाए, तो इसे नियंत्रित करना आसान हो जाता है। वहीं बाद में व्यक्ति को मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है। एंग्जाइटी को ट्रीट करने में कुछ खास घरेलू नुस्खे भी कारगर माने जाते हैं। अक्सर हम इन नुस्खों को हल्के में लेते हैं, परंतु यदि इन्हे सही से प्रयोग किया जाए तो ये आपके मस्तिष्क के लिए कारगर साबित हो सकते हैं।
योगा इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर और हेल्थ कोच हंसा जी योगेंद्र ने एंजायटी और तनाव को कम करने के लिए कुछ खास होम रेमेडीज सुझाई हैं (Natural remedies for anxiety)। तो चलिए जानते हैं, इनके बारे में आखिर ये क्या हैं और किस तरफ काम करती हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार लैवेंडर का सेवन करने या उसे सूंघने से चिंता और तनाव के लक्षणों में सुधार देखने को मिल सकता है। खासकर सर्जरी और कीमोथेरेपी से पहले और बाद में इसे लेने की सलाह दी जाती है। हालांकि, लैवेंडर हमेशा आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता, परंतु आप इसे होम रेमेडी के तौर पर चिंता के लक्षणों पर काबू पाने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं।
सी फूड्स, शेलफिश और फिश ऑयल की खुराक में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड ब्रेन सेल्स के निर्माण और अन्य बुनियादी कार्यों में मदद करने के लिए आवश्यक होते हैं। फैटी एसिड चिंता पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। कुछ रिसर्च से पता चलता है, कि ओमेगा-3 सप्लीमेंट चिंता के लक्षणों को कम करने और रोकने में काफी मददगार होता है।
लेमन बॉम, मिंट परिवार की एक जड़ी बूटी है, जिसे इसके शांत करने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई वर्षों से होता चला आ रहा है। हालांकि, कुछ ऐसे रिसर्च सामने आया हैं, जो एंग्जाइटी और मूड पर इसके सकारात्मक प्रभाव को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, दो अलग-अलग अध्ययनों में पाया गया कि लेमन बॉम ड्रिंक का सेवन करने से हार्ट सर्जरी से रिकवर कर रहे लोग और गंभीर जलन से उबरने वाले लोगों पर सकारात्मक एंटी एंग्जाइटी इफेक्ट होता है।
अरोमाथेरेपी के हिस्से के रूप में आवश्यक तेलों का उपयोग चिंता से राहत पाने का एक प्राकृतिक तरीका हो सकता है। अरोमाथेरेपी में एक विशेष तेल की गंध, जो आमतौर पर पौधे-आधारित होती हैं, इसे सूंघना होता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार एसेंशियल ऑयल एंग्जाइटी, डिप्रैशन और स्ट्रेस को कम करने में बेहद प्रभावी रूप से कार्य करते हैं। सिट्रस एसेंशियल ऑयल एंग्जाइटी के लक्षण को कम करने वाले प्रभावों के लिए काफी मददगार माने जाते हैं।
लंबे समय तक शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ा रहने से डिप्रैशन, एंग्जाइटी और अन्य शारीरिक समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में तुलसी आपकी मदद कर सकती है। आयुर्वेद में तुलसी को सात्विक हर्ब के नाम से जाना जाता है। यह माइंड की क्लैरिटी और प्यूरिटी को प्रमोट करती है। इसके अलावा तुलसी को एडॉप्टजेन भी कहा जाता है, इसका मतलब यह शरीर में कॉर्टिसोल लेवल को रेगुलेट करता है और बॉडी को स्ट्रेस अडॉप्ट करने में मदद करता है। तुलसी में कूलिंग प्रॉपर्टी भी पाई जाती है, जो बॉडी इनफ्लेमेशन को कम करती है।
एंग्जाइटी, डिप्रैशन को कम करने के लिए तुलसी को डाइट में शामिल करने का सबसे अच्छा तरीका है “तुलसी की चाय”। यह न केवल मस्तिष्क के लिए अच्छी होती है, बल्कि यह समग्र स्वास्थ्य को फायदे प्रदान करती है। तुलसी की ताजी या सूखी पत्तियों को पानी में डाल कर उनमें अच्छी तरह उबाल आने दें। आप चाहे तो इसमें इलायची, लौंग, दालचीनी स्टिक, काली मिर्च आदि जैसे अपने पसंदीदा मसाले भी ऐड कर सकती हैं। जब यह उबाल जाए तो इसे निकालें और एक चम्मच शहद ऐड कर के एंजॉय करें।
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