मुश्किलें और बाधाएं जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। अगर आज जिंदगी में दुख है, तो कल खुशी भी होगी। लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है जिंदगी के सभी अनुभवों से सीखकर आगे बढ़ना। खुद को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास करते रहना। लोगों का मानना होता है कि मैच्योरिटी उम्र के साथ आती है। अगर आपकी उम्र कम है, तो जीवन को समझने की शक्ति आप में कम होगी। जबकि मैच्योरिटी को उम्र नहीं, बल्कि अनुभवों के अनुसार मापा जाता है। अगर आपको भी ऐसा महसूस होता है कि आप में मैच्योरिटी कम है, तो आज जानिए कि इसे (how to behave maturely) कैसे विकसित करना है।
इंसान अपने जीवन में आने वाले अनुभवों से सीखकर ही खुद को बेहतर बनाता है। मैच्योरिटी ऐसा बिहेवियर है, जिसमें व्यक्ति को समझ होती है कि उसे क्या और कैसे करना है। किस स्थिति को किस तरह संभालना है। मैच्योरिटी और ग्रोइंग बिहेवियर को बताते हुए मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट और साइकोलॉजिस्ट डॉ ललिता ने एक पोस्टस साझा की है। जिसमें उन्होंने ग्रोइंग बिहेवियर के लिए कुछ टिप्स को साझा किया है।
मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट ललिता के मुताबिक अपनी इनर वॉयस सुनने की आदत बनाएं। अक्सर लोग अपने फैसले लेने के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। लेकिन आपको खुद से ज्यादा बेहतर कोई भी नहीं जानता। इसलिए खुद के लिए फैसला करते वक़्त अपने मन की जरूर सुनें। अपनी इच्छाओं और जरूरतों को समझते हुए ही फैसला करें।
मैच्योर और सेंसिबल लोगों की सबसे बड़ी पहचान होती है कि वे अपने मूल्यों और फैसलों पर टिके रहते हैं। डॉ ललिता के मुताबिक अपनी वेल्यू पर काम करना सबसे ज्यादा जरूरी है। इससे आपका कॉन्फ़िडेंस लेवल बढ़ेगा और आप किसी भी हार्ड सिचुएशन का आसानी से सामना कर पाएंगी।
एक मैच्योर व्यक्ति इच्छाओं की जगह जरूरतों को अपनी प्राथमिकता बनाता है। साइकोलॉजिस्ट डॉ ललिता मानती हैं कि अपनी जरूरतों को मान्यता देना बहुत जरूरी है। इससे हमें अपनी इच्छाओं और उम्मीदों को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। साथ ही हम बेवजह की चीजों पर ध्यान देने से बच जाएंगे।
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जिन लोगों में कंफिडेंट्स की कमी होती है, अक्सर उन लोगों को खुद पर भरोसा नहीं होता। उनका मानना होता है कि उनके लिए फैसले गलत ही होंगे। लेकिन एक मैच्योर व्यक्ति में सेल्फ कॉन्फ़िडेंस सबसे ज्यादा पाया जाता है।
अपनी परेशानियों से डरकर भागना आपको कमजोर कर सकता है। साथ ही यह आपका कॉन्फ़िडेंस लेवल बहुत ज्यादा ही गिरा सकता है। इसलिए अपनी परेशानियों से भागने के बजाय उनका सामना करने की कोशिश करें। इससे आपको स्ट्रांग बनने और खुद को बेहतर तरीके से निखारने में मदद मिलेगी।
जितना जरूरी खुद को कंफर्ट जोन से बाहर निकालना है, उतना ही जरूरी अपने लिए स्पेस बनाना भी है। एक्सपर्ट ललिता के अनुसार खुद को स्पेस देना आपकी मेंटल हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए आपको खाली समय में अपनी इच्चाओं पर काम करना चाहिए। काम और जिम्मेदारियों से हटकर कुछ समय अपने लिए जरूर निकालना चाहिए। जिससे आपको आंतरिक रूप से खुशी मिल सकें।
मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक दूसरों की जगह खुद से उम्मीदें रखना शुरू करें। क्योंकि ये आपके लिए एक चुनौती की तरह काम करेगा। जो आपको बेहतर बदलाव की ओर ले जाएगा। वही दूसरों से उम्मीदें रखने से आपका कॉन्फ़िडेंस लेवल गिरेगा।
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