निगेटिव और पॉजिटिव इमोशंस जिंदगी का अह्म हिस्सा है। जो दिन प्रतिदिन होने वाले अनुभवों की बदौलत हमारे जीवन में जुड़ते चले जाते हैं। जहां खुशी के पल जीवन में नई उम्मीदें लेकर आते हैं, तो वहीं मुश्किल दौर चुनौतियों से लड़ना सिखाते हैं। सकारात्मकता और नकारात्मकता की इस जंग में जो व्यक्ति अपना इमोशनल बैलेंस मेंटेन रखता है। वहीं जीवन में आगे बढ़ता है। कई बार हालात इतने मुश्किल हो जाते हैं कि हम चाहकर भी उस समस्या से खुद को अलग नहीं कर पाते हैं। जानते हैं कि अपने आस पास मौजूद निगेटिव फीलिंग्स को कैसे करें दूर (tips to control negative feelings) ।
इस बारे में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत का कहना है कि जो भी आपके आसपास निगेटिव लोग है। उनसे दूर रहने का प्रयास करें। दरअसल नकारात्मकता आसपास के माहौल को भी प्रभावित करती है। इन समस्याओं से बचने के लिए शारीरिक क्रियाशीलता बनाए रखें। वॉक, एक्सरसाइज या योग को दिनचर्या का हिस्सा बना लें। इससे बॉडी में पॉजिटिव हासर्मोन रिलीज होते हैं। सोने और उठने का भी समय तय करें। 24 घंटों में से 6 से लेकर 8 घंटे तक अवश्य सोंए। इससे आपकी मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है। जहां तक संभव हो खुद को व्यस्त रखें। प्रत्येक दिन के हिसाब से अपना एक लक्ष्य निर्धारित करें।
इस बात को जानना बेहद ज़रूरी है कि वो कौन सी चीज़ है, जो आपको परेशान कर देती है। कौन से ऐसे लोग है, जिनकी बातें आपको सबसे ज्यादा अफेक्ट करती है। इसके अलावा किस तरह की टॉक्स आपकी मोरल वैल्यू डाउन कर देती हैं। अगर आप इन सब सवालों का जवाब जान पाते हैं, तो आसानी से अपने आस पास मौजूद निगेटिव फीलिंग्स पर काबू पा सकते हैं।
लगातार किसी काम को करने से न केवल आपकी एनर्जी खर्च होती है बल्कि आपके अंदर परेशानी, चिड़चिड़ापन और गुस्सा भी बढ़ने लगता है। ऐसे में खुद पर नकारात्मकता को हावी होने से बचाने के लिए कुछ देर के लिए रूक जाएं। इस बात को समझें कि कौन सी चीजें आपकी परेशानी का कारण बनने लगती हैं।
ब्रेक लेने के बाद कुछ देर रूटकें और खुद से पूछें कि अब आप क्या करना चाहती हैं। कोई भी ऐसी एक्टीविटी को सिलेक्ट करें, जिसे करने से आप खुशी महसूस कर रही हों। दिनभर अन्य लोगों की ज़रूरत के हिसाब से कार्य करते करते आप फ्रसटरेशन का शिकार हो जाते हैं। जो निगेटिविटी को बढ़ाने का कारण बनता है। ऐसे में अपने लिए समय निकालें और निगेटिव फीलिंग्स से दूरी बनाकर चलें।
जिंदगी में दोस्तों का होना उतना ही ज़रूरी है। जितना सांस लेना और खाना है। मेंटल हेल्थ को मज़बूत बनाए रखने के लिए कुछ वक्त दोस्तों के साथ बिताएं। उनसे बातचीत करें और उनके सुझाव भी जानें। हांलाकि अपने जीवन में दूसरों को इंटरफेयर करने की कभी इजाज़त न दें। मगर उनसे अन्य विषयों पर बात करें और अपनी समस्याएं बताएं।
कई बार ज्यादा अच्छाई जीवन में बुराई का कारण बनने लगती है। ऐसे में अपनी लिमिट्स को तय कर लें। इस बात को समझें कि आप अन्य लोगों के साथ खुद को भी तवज्जों दें। माता पिता, भाई बहन, बच्चों और पति के अलावा अपना भी ख्याल रखें। ताकि अन्य लोगों की बातें आपको प्रभावित न कर पाएं। खुद के बारे में सोचें और बाउंड्री को सेट कर दें। उन्हें आप पर पर्सनल कमेंटस करने और आपके फैसलें लेने का अधिकार न दें। इससे उनके शब्द आपको कभी भी हर्ट नहीं कर पाएंगे।
अगर आप आस पास फैली नकारात्मकता को कम करना चाहती हैं। तो कुछ वक्त के लिए अपने इमोशसं पर काबू रखें। साथ ही अपने इमोशंस को किसी कागज़ या किताब में लिखें और कैनवास पर अपने भावों को उकेरने का प्रयास ज़रूरी है। इससे आपकी परेशानी रिलीज़ होने लगती है। आप गुस्से से बच जाते हैं। साथ ही निगेटिविटी आपको प्रभावित नहीं कर पाती हैं।
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