क्या आपने भी कभी किसी ऐसी बात या परिस्थिति पर ज़रूरत से ज्यादा ओवररिएक्ट किया है, जिसे आसानी से इग्नोर किया जा सकता था। कभी न कभी हर व्यक्ति के जीवन में ऐसी सिचुएशन ज़रूर आती है। जब किसी व्यक्ति का रिएक्शन उस समस्या से ज्यादा बढ़ा लगने लगता हैं। ऐसे में कई लोग चीजों को तोड़ने, फेंकने, चिल्लाने, बहस करने और मारने लगते हैं। रोजमर्रा के जीवन में ऐसी बहुत सी समस्याएं होती है, जो किसी व्यक्ति के अंदर ऐसी झुंझलाहट को ट्रिगर करने का काम करती है। अगर आप भी खुद को ऐसी सिचुएशन से बाहर रखना चाहते हैं, तो इन आसान टिप्स को अपने रूटीन में शामिल करके ओवररिएक्शन से बच सकते हैं (tips to avoid overreacting) ।
किसी सिचुएशन पर दी जाने वाली बहुत अधिक इमोशनल प्रतिक्रिया को ओवररिएक्ट करना कहा जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को छोटी छोटी बातों में बहुत अधिक तनाव होने लगता है। ये तनाव व्यक्तिगत अपेक्षाओं से जुड़ा होता है जो पूरी न होने पर बढ़ने लगता हैं। ओवररिएक्ट स्थिति को और अधिक जटिल बना सकता है।
इस बारे में हेल्थ शॉट्स से बातचीत करते हुए मनोवैज्ञानिक कौशानी सरकार से ओवररिएक्शन को लेकर विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें कहा कि मानसिक तनाव ओवररिएक्शन का मुख्य कारण साबित होता है। उनके मुताबिक जहां पर भी व्यक्ति ओवररिएक्ट महसूस करने लगे, तो उसे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना ज़रूरी है। अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने के लिए कुछ खास टिप्स को फॉलो करना ज़रूरी है।
ओवररिएक्ट न करने से बचने के लिए सबसे सरल और प्रभावी तरीका है कुछ देर रुककर गहरी सांस लें। जब आप किसी बात को लेकर बेहद तनाव में आ जाएं, तो उेसी सिचुएशन से बचने के लिए कुछ देर के लिए शांत हो जाएं। अब गहरी सांस लें और कुछ देर के लिए उसे होल्ड करके रखें। फिर धीरे धीरे सांस छोड़ें। इससे आप अपने आप को उस सिचुएशन से बचाने में कामयाब साबित होंगे। साथ ही इससे आत्म संयम भी बढ़ने लगता है।
इमोशनल ब्रेकडाउन से बचने के लिए एक शांत जगह की तलाश करें और अपनी भावनाओं को एकत्रित करें। ऐसी स्थिति से खुद को बचाने के लिए एक कदम पीछे हटाएं, जिससे शारीरिक ठहराव और मानसिक शांति दोनों की प्राप्ति होती है। अपनी भावनाओं को समेंटे और किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने की जगह एक शांत स्थान खोजें और अपने साथ कुछ पल बिताएं। इससे आवेगपूर्ण प्रतिक्रियाओं को रोकने में मदद मिलती है और मन भी शांत रहता है
बिना सोचे समझे किसी भी प्रतिक्रिया को देने से बचें। कोई भी विचार मन में लाने से पहले अपने थॉटस पर दोबारा से विश्लेषण करें। इस बात को समझना आवश्यक है कि क्या आपके विचार मान्यताओं या तथ्यों पर आधारित हैं। इससे व्यक्ति के दृष्टिकोण में बदलाव आने लगता है और वो तर्कहीन विचारों से दूर होने लगता हैं।
दिनभर में कुछ वक्त माइंडफुलनेस एक्टीविटीज़ के लिए अवश्य निकालें। मेंटन हेल्थ को इंप्रव करने के लिए ध्यान लगाएं या गहरी साँस लें। इससे भावनात्मक मज़बूती बढ़ने लगती है। साथ ही बात बात पर होने वाले गुस्से पर काबू पाया जा सकता है। एक्सपर्ट के अनुसार माइंडफुलनेस का अभ्यास करने से आप अपने रिएक्शन को ऑब्जर्व करने लगते हैं और अपनी गलतियों को सुधारने की ओर बढ़ते हैं।
उन परिस्थितियों को तलाशें, जो आपके अंदर ओवररिएक्शन को ट्रिगर करकी पहचान करके व्यक्ति हर प्रकार की चैलेंजिंग परिस्थितियों से निपटने के लिए अपने आप को तैयार कर पाता है। इससे आत्म.जागरूकता बढ़ती है, जो आपके रिएक्शन को नॉर्मल करता है।
बातचीत का अनुचित ढ़ग भी अतिप्रतिक्रिया यानि ओवररिएक्शन का कारण साबित होता है। अपने विचारों और भावनाओं को उचित तरीके से व्यक्त करें। इससे गलतफहमी पनपने का खतरा कम रहता है, जो ओवररिएक्शन को रोकने में मदद करता है।
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