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क्या आपको भी भीड़ वाली जगहों पर जाने से लगता है डर, ये हो सकता है एगोराफोबिया का संकेत

हर व्यक्ति जिसे भीड़-भाड़ में जाना पसंद नहीं, वह एगोराफोबिक नहीं होता। बल्कि इस एंग्जायटी डिसॉर्डर के कुछ खास लक्षण होते हैं। जानिए वे कौन से लक्षण हैं।
एगोराफोबिया में व्‍यक्ति भीड़ से घबराने लगता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
एगोराफोबिया में व्‍यक्ति भीड़ से घबराने लगता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
Updated On: 10 Dec 2020, 11:17 am IST

एगोराफोबिया या जन आतंक का सही उच्चारण है- आ-ग-रो-फो-बी-या। डिक्शनरी के अनुसार दिए हुए अर्थ में लिखा है कि ये एक एंग्जायटी डिसऑर्डर है। सीधी तरह से कहा जाए तो यह किसी भी भीड़ की जगह में होने वाला डर है। यह भय कई बार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, इतना कि व्यक्ति को पैनिक अटैक भी आ सकते हैं।

ग्लोबल हॉस्पिटल मुंबई के सीनियर कंसल्टेंट साइकैट्रिस्ट, डॉ संतोष बांगर के अनुसार एगोराफोबिया सामान्य परेशानी है। वे कहते हैं, “कई बार एगोराफोबिया में व्यक्ति अपने घर से कदम बाहर रखने से भी डरता है। वे सार्वजनिक स्थानों में जाने से भी भयभीत होता है और उन परिस्थितियों से भी जो उसे परेशान करती हैं।”

क्‍या हैं एगोराफोबिया के दुष्‍प्रभाव 

दुख की बात ये है कि गंभीर मामलों में भी, बाहर निकलने में असमर्थता व्यक्ति के सामाजिक जीवन को प्रभावित करती है और उनको रोज के कामकाज करने में भी अक्षम बनाती है। ऐसे में वे ज्यादातर अपने साथी पर आश्रित हो जाते हैं, जो उनके बाहर के काम कर दे, या हर समय उनके साथ रहे।

एगोरफोबिया में व्‍यक्ति अपने घर से बाहर जाने में भी घबराने लगता है। चित्र: शटरस्टॉक
एगोरफोबिया में व्‍यक्ति अपने घर से बाहर जाने में भी घबराने लगता है। चित्र: शटरस्टॉक

इस तरह का प्रतिबंधात्मक व्यवहार एक व्यक्ति को एकांत की तरफ ले जाता है। अगर सही समय पर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह अकेलापन उनमें किसी बड़ी मानसिक बीमारी जैसे डिप्रेशन, सोशल एंग्जायटी, या पैनिक अटैक का कारण बन जाता है।

वे सावधान करते हैं, “दुर्भाग्य से, यह चरण मामले को और अधिक मुश्किल बनाता है और रोगी को स्थिति से बाहर निकलना और कठिन हो जाता है।”

यही कारण है की डॉ बांगर के हिसाब से यह महत्वपूर्ण है कि इसके लक्षण जान पाएं, जिससे कोई दूसरा या वे खुद की मदद कर सकें। डॉ ऐसे ही कुछ और लक्षण बताते हैं, जिससे व्यक्ति जान सके कि उसे एगोराफोबिया है,

1. व्यक्ति घर के बाहर निकले से हिचकिचाता है।
2. वे भीड़-भाड़ की जगह पर जाने से बचता है।
3. वे ऐसी किसी भी जगह जाने से बचता है जहां ज्यादा लोग मौजूद हों।
4. वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट में जाने से बचता है।
डॉ बांगर कहते है,” आप उन्हें परेशान स्थिति में देखेंगे जब भी उस व्यक्ति को बाहर जाने को कहा जायेगा। और वहां जाने से बचने का वो हर संभव प्रयास भी करेगा।

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इस तरह की घबराहट चिंता का कारण बनती है, जो विभिन्न तरीकों से प्रकट हो सकती है:

1. दिल की धड़कनों का बढ़ना
2. हाथ और पैरों का कांपना, बहुत तेज पसीना आना
3. मुंह सुखना
4. सीने में दर्द होना या सर में दर्द होना
5. पेट में गांठ का महसूस होना, या झनझनाहट होना
6. तेजी से सांस लेना, चक्कर आना

एगोराफोबिया का तनाव कई शारीरिक समस्‍याओं को भी जन्‍म देता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
एगोराफोबिया का तनाव कई शारीरिक समस्‍याओं को भी जन्‍म देता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

जरूरी बात

एगोराफोबिया के कारण अभी भी कंकलुसिव नहीं हैं, ये बायोलॉजिकल, एनवायर्नमेंटल और साइकोलॉजिकल फैक्टर्स, की एक मुश्किल परस्पर क्रिया है।

वे बताते हैं, “कभी-कभी जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस पहले से परेशान व्यक्ति को और भी बीमार कर सकता है। जेनेटिक फैक्टर्स भी एगोराफोबिया का कारण हो सकते है। चिंतित या घबराहट से ग्रस्‍त लोगों का इसका ज्‍यादा जोखिम रहता है।”

इसलिए अगर आप इनमें से कोई भी लक्षण एक व्यक्ति में देंखें, तो उसकी मदद जरूर करें।

यह भी पढ़ें – मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए जरूरी 5 सबक, जो कोविड-19 ने हमें सिखाए

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