माना जाता है कि अवास्तविक अपेक्षाएं हमारे रिश्ते, करियर, खुशी और जीवन के लिए टॉक्सिक हैं। किसी से या खुद से बहुत ज्यादा उम्मीद रखना ही हम में से कई लोगों के दुखी होने का कारण बनता है। यह सोचकर कि आप कम योग्य हैं? या आपका साथी आपके लिए पर्याप्त एफर्ट्स नहीं कर रहा है? यह सोचना कि आपके मित्र आपको बुलाते नहीं हैं? ये सभी विचार आपको दुखी करते हैं। क्योंकि मनुष्य के रूप में हम हमेशा मनचाहे परिणामों की उम्मीद करते हैं और जब वो उम्मीदें पूरी नहीं होती, तो हम परेशान हो जाते हैं।
हम सभी ने यह ज़रूर सुना है कि मेहनत का फल ज़रूर मिलता है। हां, आपकी मेहनत का फल आपको मिलेगा, लेकिन जरूरी नहीं कि ये आपकी उम्मीदों के अनुरूप ही हाे। तो, हम सिर्फ इसलिए काम क्यों नहीं कर सकते क्योंकि यह हमें खुश करता है? हम सिर्फ खुशी और प्यार बांटने के लिए रिश्ते में क्यों नहीं हो सकते? हम इस क्षण में क्यों नहीं जी सकते हैं? बिना किसी रिजल्ट की चिंता किए।
बिना किसी अपेक्षा के जीवन जीना सबसे बुनियादी और प्रभावी तरीका है खुश रहने का। मगर हम जानते हैं, ऐसा करना आसान नहीं है। मगर परेशान न हों, हम यहां आपकी मदद करने के लिए ऐसे तरीके लाएं हैं जिनसे आप अपनी उम्मीदों को कम करना सीख सकती हैं।
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट, मेंटल हेल्थ एंड साइकियाट्री, डॉ संदीप वोहरा हमें सुखी जीवन जीने और दूसरों से उम्मीदें कम रखने के कुछ आसान तरीके बता रहे हैं।
डॉ. वोहरा कहते हैं, “आपको हमेशा याद रखना चाहिए कि इससे पहले कि आप दूसरों से कुछ उम्मीद करें, आपको वास्तव में उस लक्ष्य को हासिल करना चाहिए।” इंटरोंस्पेक्ट करना और अपने आप से प्रश्न पूछना जैसे “मुझे किसी अन्य व्यक्ति से अपेक्षा क्यों है?”। आपको अपने मन में बैठी इस चीज़ को दूर करना होगा कि आपकी उम्मीद से कम जो भी आपको मिला है वो सब फेलियर है।
आपको खुद पर ध्यान देना शुरू करना होगा और केवल वही उम्मीद करनी होगी जो आप वास्तव में हासिल कर सकते हैं। डॉ. संदीप सुझाव देते हैं कि हर दिन आईने के सामने खड़े होकर ये चीज़ें बोलें जैसे – “मुझे यह अपेक्षा क्यों है?”, “क्या मेरे जीवन के इस मोड़ पर भी इसकी आवश्यकता है?” इसके क्या नुकसान होंगे? यदि मैं निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में फेल हो गई?” या “क्या दूसरों से ऐसी अपेक्षा रखना मेरे लिए ठीक है?” इससे आपको आपके दिमाग को साफ करने में मदद मिलेगी।
आपको यह महसूस करना चाहिए कि दूसरों से अपेक्षाएं रखना आसान होता है। मगर जो आप दूसरों में देखते हैं उसे हासिल करना निराशाजनक हो सकता है। इस सिद्धांत का मूल कारण यह है कि कोई भी दो व्यक्ति समान क्षमताओं, प्रतिभाओं या चाहतों के साथ पैदा नहीं होते। हम में से हर कोई जीवन से अलग चीजें चाहता है और उसी दिशा में काम करना चाहिए। आपको खुश और संतुष्ट रहने के लिए क्या चाहिए यह आप खुद तलाश करें।
जब दूसरा व्यक्ति आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है, तो निराश होना मानव स्वभाव है। मगर आपको इस बात से अवगत होने की ज़रूरत है कि दूसरों से उम्मीद ही क्यों रखनी है। बस चीजों को लेट गो करें। यह आपको खुश रहने में बहुत मदद करेगा।
डेनिश-नॉर्वेजियन लेखक, अक्सेल सैंडमोज़ के इस कानून के कुछ सरल नियम हैं, जिन्हें फाइट क्लब रूल बुक के रूप में भी जाना जाता है। यदि आप अपने आप को ऐसी स्थिति में पाते हैं जहां आपका अहंकार अन्य पहलुओं पर हावी हो रहा है, तो इन नियमों पर एक नज़र डालना मददगार होगा। चूंकि इस तरह का व्यवहार सभी समाजों में प्रचलित है। इसलिए ये नियम आपको विनम्र बनाने में मदद करेंगे। जैसे –
आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि आप ज्यादा होशियार हैं। आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि आप खास हैं।
यह भी नहीं सोचना चाहिए कि आप औरों से ज्यादा जानते हैं।
आप हम पर हंसने वाले कोई नहीं होते। तुम्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि तुम हम जैसे अच्छे हो।
किसी भी चीज़ में केवल आप ही अच्छे हैं, यह भी नहीं सोचना चाहिए।
अपने आप को यह विश्वास नहीं दिलाना है कि आप बेहतर हैं।
आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि आप औरों से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
यह नहीं सोचना चाहिए कि कोई आपकी परवाह करता है।
आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि आप हमें कुछ भी सिखा सकते हैं।
याद रखें कि यह आपकी अपेक्षाओं को तुरंत कम नहीं करेगा। आपको उनका लगातार अभ्यास करना होगा, चीजों को देखने के अपने तरीके को बदलना होगा, प्रयास करना होगा और अंत में आप एक खुशहाल जीवन जीने के लिए अपनी उम्मीदों को कम कर पाएंगे।
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