इमोशनल बैगेज की समस्या से आना चाहती हैं बाहर, तो इन टिप्स को न करें नज़रअंदाज़

ऐसी न जाने कितनी फीलिंग्स है, जो ज़हन में कैद होती रहती हैं। इसके चलते तनाव और उलझन का बने रहना सामान्य हैं। जानते हैं वो टिप्स जिनकी मदद से इमोशनल बैगेज की समस्या से हो सकती है कम।
Emotions control krne ke sign
भावनाओं को खुलकर व्यक्त न कर पाना और उन्हें मन में एकत्रित करते जाना सप्रैसेंट इमोशंस कहलाते हैं। चित्र अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Updated: 31 Oct 2023, 10:23 am IST
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इनपुट फ्राॅम

दिनभर हम लोग कई प्रकार की फीलिंग्स से होकर गुज़रते हैं। कुछ भावनाएं हमें हंसाती हैं, कुछ रूला देती है और कुछ दिल में समा जाती है। ऐसी न जाने कितनी ही फीलिंग्स है, जो हमारे ज़हन में एक एक कर कैद होती रहती हैं। इसके चलते तनाव, ईर्ष्या और दिमागी उलझन का बने रहना सामान्य सी बात हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे कामकाज को भी प्रभावित करने लगता है। अगर आप खुद को इन भावनाओं के बोझ से मुक्त करना चाहती हैं, तो अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल रखने के अलावा दिनचर्या में भी बदलाव लाना ज़रूरी है। जानते हैं वो टिप्स जिनकी मदद से आप इमोशनल बैगेज की समस्या से हो सकती हैं मुक्त (tips to release emotional baggage)।

किसे कहते हैं इमोशनल बैगेज (What is Emotional Baggage)

इस बारे में मन स्थली की फाउंडर डायरेक्टर और सीनियर साइकेटरिस्ट डॉ ज्योति कपूर का कहना है कि किसी का कुछ कह देना दिल को गहरी चोट पहुंचा जाता है। ऐसी न जाने कितनी ही बातें हमारे मन में कैद हो जाती है। वो सभी बातें एक बैगेज का रूप ले लेती है। जो समय समय पर ट्रिगर करती हैं। इसका असर निजी जिंदगी और काम दोनों पर ही नज़र आने लगता है। इन यादों और दिल को सताने वाली बालों को याद करने से एक्ज़ाइटी, तनाव और गुस्से की समस्या बढ़ने लगती है। इससे आप दिनभर परेशान और चिंतित बने रहते हैं। जानते हैं इमोशनल बैगेज समस्या के लक्षण और इससे बचने के उपाय भी।

Emotionally baggage ke kya hai lakshan
यहां जानें भावनातक परेशानियों को दूर करने के उपाय। चित्र अडोबी स्टॉक

जानें इमोशनल बैगेज के ये लक्षण (Symptoms of emotional baggage) 

हर पल उदासी से घिरे रहना
किसी से बातचीत करने में परेशानी का अनुभव करना
हर चीज़ में संकोच करना
खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त न कर पाना
सोशल गैदरिंग को अवॉइड करना
छोटी छोटी बातों से परेशान हो जाना

इमोशनल बैगेज के ये हैं कारण

1. अतीत की घटना

बच्चों का मन बेहद कोमल होता है। उनके साथ किए गए व्यवहार का असर उनकी पूरी पर्सनैलिटी को प्रभावित कर सकता है। कई बार बचपन में किया गया र्दुव्यवहार पूरी उम्र याद रहता है। इससे आप कई बातों के लिए खुद को दोष मानने लगते हैं और कम आंकते हैं। बात बात में गुस्सा आ जाता है।

2. परिवार में र्दुव्यवहार

परिवार के सदस्यों से उचित तालमेल न बैठना भी इमोशनल बैगेज का कारण बनने लगता है। पारिवारिक सदस्यों की ओर से बात बात पर इंसल्ट करना और नीचा दिखाना किसी भी व्यक्ति में इमोशनल बैगेज की समस्या को जन्म देता है। इससे व्यक्ति किसी भी प्रकार की खुशी में शामिल नहीं हो पाता है और हर पल उदासी का सामना करना पड़ता है।

3. किसी चीज़ को लेकर अपराध बोध होना

इस बात को स्वीकारना बहुत ज़रूरी है कि गलती कभी भी किसी भी व्यक्ति से हो सकती है। उस गलती के लिए अगर आप पूरी उम्र खुद को जिम्मेदार ठहराएंगी, तो आप जीवन में खुशी से वंचित रह जाएंगी। गलतियों और कमियों को भूलकर आगे बढ़ना ही जीवन है। मिस्टेक्स पर विचार करने की जगह उन्हें सुधारने पर अपना फोक्स बनाकर रखें।

Mistakes par focus karein
मिस्टेक्स पर विचार करने की जगह उन्हें सुधारने पर अपना फोक्स बनाकर रखें। चित्र : शटरस्टॉक

4. नकारात्मक सोच

कई बार आपकी अपनी सोच ही खुद पर हावी होने लगती है। आप हर चीज़ में नकारात्मकता महसूस करती है। दूसरों की बातें और उनकी बातचीत आपको निगेटिव लगने लगती है। ऐसे में अपनी सोच और विचारधारा को बेहतर बनाने के लिए निगेटीविटी को अवॉइड करना ज़रूरी है। अपने थॉटस को हेल्दी बनाने के लिए प्रयास करें।

इमोशनल बैगेज से निपटने के लिए इन टिप्स को फॉलो करें

1. सेल्फ अवेयरनेस

सबसे पहले इस बात का आंकलन करें कि अतीत की वो कौन सी घटनाएं हैं, जिसका बोझ अब तक आपके दिलो दिमाग पर बना हुआ है। कई बार पास्ट रिलेशनशिप और चाइल्डहुड ट्रॉमा इस समस्या का कारण भी साबित होने लगता है। इस समस्या से बाहर आने के लिए अपने इमोशनल बैगेज के कारण को समझें, ताकि आप उससे बाहर आ पाएं।

2. प्रोफेशनल हेल्प लें

थेरेपिस्ट और कांउसलर की मदद लें और उनकी गाइडेंस में आगे बढ़ें। इससे आप उस परेशानी से बाहर आने का रास्ता ढूंढ पाएंगी। इसके अलावा आपको अंदर ही अंदर परेशान कर रही बातों को एकत्रित करने में भी आसानी होगी। मानसिक स्वस्थ्य का ख्याल रखने के लिए समय समय पर जांच और उपचार दोनों ही आवश्यक हैं।

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मानसिक स्वस्थ्य का ख्याल रखने के लिए समय समय पर जांच और उपचार दोनों ही आवश्यक हैं। चित्र : एडॉबीस्टॉक

3. अपने विचारों को लिखें

जो भी थॉटस आपके मांइड में चलते हैं। उन्हें किसी कागज़ पर दर्ज करें। इससे न केवल आप अपने इमोशंस को नियंत्रित कर पाएंगी बल्कि बेहतर अंडरस्टैण्डिंग भी बनी रहेगी। चीजों को लेकर पारदर्शिता बढ़ेगी और आप बेहतर तरीके से अपनी मेंटल हेल्थ से डील कर पाएंगी।

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4. फॉरगिवनेस है ज़रूरी

इमोशनल बैगेज की समस्या से डील करने के लिए व्यवहार में फॉरगिवनेस का होना ज़रूरी है। अगर आप किसी को माफ कर सकते हैं, तो उससे आपकी मेंटल हेल्थ को फायदा मिलता है। इससे आप निगेटिव थॉटस को आसानी से रिलीज़ कर पाते हैं। आप खुद को एक्टिव और खुश महसूस करते हैं।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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