शरीर जब थकान (exhaustion) का अनुभव करता है, तो उस वक्त हमें अपने लिए अवश्य समय निकालना चाहिए। इसमें आप खुद को सुकून से भरपूर और हेल्दी महसूस करने लगते हैं। मी टाइम (me time) आपके अंदर एक नई एनर्जी का संचार करती है। इसके चलते आपकी बॉडी के साथ आपका ब्रेन भी रिचार्ज हो जाता है। कुछ वक्त पहले तक टायर्ड महसूस करने वाला शरीर एक बार दोबारा से नए कार्यों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए तैयार हो जाता है। जानते हैं कि वो कौन से साइन है, जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि अब आप थक चुके हैं (signs of exhaustion)।
काम में हर वक्त मसरूफ रहना
हर काम को अकेले पूरा करने का प्रयास करना
लॉन्ग वर्किंग आवर्स तक वर्क करना
अपने आप को दिनभर में बिल्कुल वक्त न देना
हेल्दी हाईट चार्ट फॉलो न करना
जब आप पूरी तरह से एग्जॉस्टिड होते है, तो किसी भी विषय पर एकाग्रचित्त होकर नहीं सोच पाते हैं। अपना फोक्स बनाए रखने की कोशिश करने के बावजूद आपका काम समय पर नहीं हो पाता है। साथ ही काम की क्वालिटी पर भी आपकी थकान के चलते प्रभावित होने लगती है। इसके चलते आप काम से जी भी चुराने लगते हैं।
पूरी तरह से थक जाने के बाद हम कुछ वक्त अकेले बिताना चाहते हैं। अगर उस वक्त हम अन्य लोगों से घिरे रहते है या काम का प्रैशर बढ़ने लगता है, तो वो चीजें हमारे तनाव का कारण सिद्ध होने लगती है। तनाव के कारण मूड स्विंग होना और चिंताग्रस्त होना आम बात है। ये संकेत इस ओर इशारा करते हैं कि आप पूरी तरह से एग्जॉस्टिड है।
सुबह से लेकर शाम तक काम करते करते आप मेंटली और फिज़िकली दोनों तरीकों से थक चुके होते है। इसका असर आपकी पर्सनेलिटी पर दिखने लगता है। आपकी बॉडी लैंग्वेज से लेकर बोलचाल की भाषा से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि आप ओवरबर्डन हो चुके हैं। इसके चलते आपके व्यवहार में रूडनेस झलकने लगती है। इसका प्रभाव आपके नज़दीकी रिश्तों पर भी पड़ सकता है।
ओवर टायर्ड (Over tired) होने के चलते किसी भी तरीके का डिसीजन लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जब आप पूरी तरह से किसी कॉसेप्ट को नहीं समझ पाते हैं, तो उसके हिसाब से कोई भी फैसला लेना आपके लिए मुश्किलों से भरा हो सकता है। वे लोग जो डिसिजन नहीं ले पा रहे हैं। उसका एक प्रमुख कारण थकान भी हो सकता है। ऐसे में अहम फैसले लेने के लिए सही समय का चयन करना बहुत ज़रूरी है।
अगर आप हर छोटी बात को लेकर कंफयूज हो रही हैं, तो ये थकान का ही एक संकेत हैं। इस सिचुएशन में व्यक्ति एक्सप्रेसिव नहीं रह पाता है। इसका प्रभाव आपकी वर्क प्राडक्टिविटी पर दिखने लगता है। साथ ही आप मानसिक तौर पर भी परेशान हो जाती है। आपका इरिटेंटिंग व्यवहार अन्य चीजों को भी प्रभावित करने लगता है। खुद को असमंजस की स्थिति से बाहर निकालने के निए काम के घंटों का ख्याल रखें।
दिनभर में आठ घंटे की पूरी नींद लें और स्क्रिन टाइम को कम करें।
कुछ वक्त वॉक, जिम और डांस के लिए भी अवश्य निकालें। इससे आपकी बॉडी का स्टैमिना बना रहता है।
काम के दौरान इंटरवैल्स लेना भी ज़रूरी है।
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कस्टमाइज़ करेंथकान से बचने के लिए डे टाइम में कुछ वक्त नैप के लिए निकालें।
अपने आप को खुश रखने का प्रयास करें और तनाव से दूर रहें।
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