दुनिया भर में भारतीय सामाजिक व्यवस्था की मिसाल दी जाती है। यहां हर दिन, हर मौसम में कोई न कोई अवसर ऐसा आ ही जाता है, जिसके बहाने आप दूसरों से घुलते-मिलते हैं। इस सौहार्द और अपनेपन के बावजूद कुछ लोग लगातार अकेले पड़ते चले जाते हैं और हम मान लेते हैं कि वे ऐसे ही हैं। हम किसी को चिड़चिड़ा, तो किसी को गुस्सैल मानकर पीछे हटने लगते हैं। जबकि कभी-कभी घुन्ने, लो कॉन्फीडेंस या एकांतप्रिय होने के टैग देने से भी नहीं घबराते। जबकि जरूरत है इस तरह के व्यवहार के कारण को समझकर उस व्यक्ति की मदद करना। यहां हम ऐसी 5 मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (5 most ignored mental health issues) के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्हें अकसर लोग किसी का नेचर समझकर उसे अलग-थलग कर देते हैं।
क्या आप इन दिनों लो महसूस कर रही हैं? आपको लगता है कि अब तक की आपकी जिंदगी व्यर्थ साबित हुई है। अब तक आपने कुछ विशेष हासिल नहीं किया है। ये सारे विचार आपके दिमाग में अचानक आते हैं। इसके बाद आप खुद को बहुत अकेला और असहाय महसूस करने लगती हैं।
आप कभी बहुत दुखी महसूस करने लगती हैं, तो कभी खुशी भी महसूस करती हैं। पर खुश होने का भाव कुछ मिनट के लिए ही मन में आता है। फिर आप दुख में डूबने लगती हैं। आपमें नकारात्मक विचार ज्वार-भाटे की तरह आते हैं और गायब हो जाते हैं। यदि आप भी इन विचारों से जूझ रही हैं, तो आपको इन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर विस्तार से बात करने के लिए हमारे साथ हैं पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम के सीनियर कंसलटेंट साइकाइट्री डॉ. आर सी जिलोहा ।
डॉ. आर सी जिलोहा बताते हैं, “विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की लगभग 12 प्रतिशत आबादी को मेंटल और बिहेवियरल परेशानी है। भारत में 1000 में लगभग 100 लोगों को मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम हैं। जबकि वास्तविक समस्या आंकड़ों से अधिक भी हो सकती है।
भारत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च संस्था द्वारा मेंटल हेल्थ पर किये गये रिसर्च के निष्कर्ष और भी चिंताजनक हैं। इनमें सामने आया है कि भारत में मेंटल हेल्थ के प्रति अनदेखी के कारण बड़ी संख्या में लोगों के समस्याग्रस्त होने का पता ही नहीं चल पाता। लोग जब उपचार के लिए आगे नहीं आते, तो समस्या और बढ़ जाती है।”
आत्महत्या के मामलों और दूसरी मानसिक समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे या विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाना शुरू किया। इसका उद्देश्य लोगों में मेंटल हेल्थ इश्यूज के प्रति जागरूकता बढ़ाना और मानसिक रूप से स्वस्थ करने का प्रयास करना भी है।
हाल में एक ऐसी महिला मिली, जिन्होंने पिछले पंद्रह दिनों से अपने-आपको घर में कैद कर लिया था। वे परिवार के सदस्यों से न के बराबर बात करती थीं। बाहरी लोगों से तो उन्होंने मिलना-जुलना बहुत पहले ही छोड़ दिया था।
बातचीत करने पर पता चला कि उन्हें ऐसा लगता है कि गृहणी के रूप में उन्होंने अपना जीवन बर्बाद कर लिया है। औरों के मुकाबले उनके जीवन का कोई मूल्य नहीं है। अपने आप को कम आंकने की यह प्रवृत्ति डिप्रेशन की ओर भी ले जा सकती है।
यदि आपके मन में भी ऐसे विचार आते हैं, आप स्वयं को दूसरों की अपेक्षा कमतर आंकने लगी हैं, तो आपको इसे अपनी आदत या किस्मत मानकर इग्नोर नहीं करना चाहिए। यह मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है। जिसके लिए आपको तुरंत मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए।
डॉ. आर सी जिलोहा बताते हैं, “किसी भी काम को करने में मन न लगना, एक काम को छोड़कर दूसरा काम करने लगना, माइंड किसी एक स्थान पर कंसन्ट्रेट न रह पाना या काम करते हुए ध्यान भंग हो जाना, ऊब जाना भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आपको इन पर ध्यान देकर इनका कारण समझने की कोशिश करनी चाहिए।
अगर ऐसा लगातार हो रहा है और इससे आपकी प्रोडक्टिविटी प्रभावित हो रही है, तो आपको मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
यदि आप छोटी-छोटी बात पर अपना आपा खो देती हैं। किसी भी सामान को उठाकर इधर-उधर फेंकने लग जाती हैं। गुस्से में सामने वाले व्यक्ति पर भी सामान फेंक देती हैं।
किसी सामान्य व्यक्ति को भी अपना दुश्मन मानने लगती हैं, तो आपको तुरंत मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए। ये समस्या किसी अंतर्निहित दबाव की ओर इशारा कर रहीं हैं। जिसे आपको ठीक से समझना होगा।
यदि आप यथार्थ की बजाय कल्पना में जीने लग रही हैं, हमेशा यह कहती हैं कि जिस दुनिया में हमलोग रह रहे हैं, वह माया-मोह है। हमें किसी और दुनिया में रहना चाहिए। ये सभी विचार हेलुसिनेशन(hallucination)में जीने के संकेत हो सकते हैं। इसके पीछे लंबे समय से नशा करना भी कारण हो सकता है। ऐसी स्थिति में परिवारवालों को आगे बढ़कर डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
डॉ. आर सी जिलोहा कहते हैं, “यदि घर का कोई भी व्यक्ति अकेले रहना पसंद करने लगा है। लंबे समय से किसी भी व्यक्ति से बात करना पसंद न करना, पूछने पर हमेशा निराशावादी विचार प्रकट करना, महसूस कर रहे हों, तो आपको उनके प्रति सावधान हो जाना चाहिए।
संभव है कि वे आत्महत्या करने की योजना बना रही हों या कभी इसके लिए प्रयास भी कर चुकी हों। उन्हें तुरंत मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।”