एंग्जाइटी और स्ट्रेस आज की लाइफस्टाइल की देन हैं। इनसे बचना किसी के लिए भी नामुमकिन है। ज़रूरी है कि अपनी फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ आप अपनी मेंटल हेल्थ का भी भरपूर ध्यान रखें। जिसका सीधा असर आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ता है। फिजिकल एक्टिविटीज़ और पॉज़िटिवली मेंटल इंगेजमेंट आपकी मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने में आपकी मदद कर सकते हैं। पर कई बार स्ट्रेस इतना ज़्यादा बढ़ जाता है कि हमारा पर्सनल एफर्ट काम नहीं कर पाता। ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक हर्ब्स आपकी मदद कर सकती हैं। जानिए कैसे करना है स्ट्रेस और एंग्जाइटी के लिए हर्ब्स का इस्तेमाल।
स्ट्रेस और एंग्ज़ाइटी से मुकाबले के लिए आप ऐसे हर्बल ऑप्शंस का इस्तेमाल कर सकती हैं जो आपको न सिर्फ रिलैक्स करें, बल्कि आपको फिर से हर सिचुएशन का सामना करने के लिए तरोताज़ा भी करे।
एनसीबीआई द्वारा स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों पर कराए गए शोधों के मुताबिक़ ये कुछ जड़ी-बूटियां स्ट्रेस मैनेजमेंट में आपकी मदद कर सकती हैं।
यह एक एडाप्टोजेनिक जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग एंग्ज़ाइटी के उपचार के रूप में सदियों से किया जाता रहा है। अश्वगंधा में कई सक्रिय यौगिकों को तनाव-विरोधी, एंटी इन्फ्लेमेट्री और एंटीऑक्सीडेंट गुण दिखाया गया है। 2014 में एनसीबीआई के शोधकर्ताओं ने तनाव और एंग्ज़ाइटी के लिए अश्वगंधा का उपयोग करते हुए इसे कारगर पाया।
कितनी मात्रा है सही : एंग्ज़ाइटीको दूर करने में मदद करने के लिए, विशेषज्ञ प्रतिदिन 300 मिलीग्राम (मिलीग्राम) अश्वगंधा लेने की सलाह देते हैं।
कैमोमाइल एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी है जिसका व्यापक रूप से कैफीन मुक्त चाय के रूप में उपयोग किया जाता है। हालांकि कैमोमाइल में लाभकारी यौगिकों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है। यह विशेष रूप से एंग्ज़ाइटी वाले लोगों को रिलैक्सेशन देने के लिए जाना जाता है।
कितनी मात्रा है सही : अध्ययन बताते हैं कि प्रतिदिन 1,500 मिलीग्राम कैमोमाइल का अर्क एंग्ज़ाइटी को कम करने में सहायक हो सकता है।
हॉप्स एक व्यावसायिक रूप से उगाई जाने वाली जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग आमतौर पर बीयर उत्पादन में किया जाता है। कैमोमाइल की तरह, हॉप्स में कुछ यौगिक होते हैं, जो एंग्ज़ाइटी के रोगियों के लिए एक उपयोगी विकल्प बना दिया गया है।
2017 में एनसीबीआई द्वारा किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार तनाव, एंग्ज़ाइटी और अवसाद वाले लोगों पर हॉप्स के अर्क के प्रभाव सकारात्मक रहे। अध्ययन से संकेत मिलता है कि प्लेसीबो की तुलना में हॉप्स लेने से अवसाद और एंग्ज़ाइटी स्कोर में उल्लेखनीय कमी आई है।
कितनी मात्रा है सही : अध्ययनों से पता चलता है कि रोजाना 200 मिलीग्राम ह्यूमुलस ल्यूपुलस लेने से समय के साथ एंग्ज़ाइटी को कम करने या दूर करने में मदद कर सकता है।
कावा प्रशांत द्वीप समूह से निकलने वाली एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी है। कई प्रकार के यौगिक, दोनों सीडेटिंग ( sedating) और नाॅन सीडेटिंग (non sedating) इस जड़ी-बूटी में मौजूद कंपोनेंट के एंटी एंग्जाइटी गुणों में योगदान करते हैं।
2018 में एनसीबीआई के शोधकर्ताओं ने जीएडी के उपचार के विकल्प के रूप में कावा की प्रभावशीलता पर 12 अध्ययनों का विश्लेषण किया। जिसमें इसे प्रभावी पाया गया। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कावा का ज़्यादा उपयोग गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कि यकृत की समस्याएं पैदा कर सकता है।
कितनी मात्रा है सही : जरनल ऑफ क्लिनिकल एनेस्थीसिया के वॉल्यूम 33 में प्राकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 120 से 280 मिलीग्राम कावा लेने से एंग्ज़ाइटी को कम करने में मदद मिल सकती है।
लैवेंडर चिंता, नींद और आपकी पूरी मनोदशा के लिए सबसे लोकप्रिय सुगंधित जड़ी-बूटियों में से एक है। इसमें सक्रिय यौगिकों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जो विभिन्न प्रकार के लाभ प्रदान करती है, जिसमें ऐसे यौगिक शामिल हैं, जिनमें शामक और चिंता-विरोधी प्रभाव होते हैं।
2019 में यूरोपियन न्यूरोसाइकोफार्मेकोलॉजी के एक जरनल में छपी रिपोर्ट के अनुसार, एंग्ज़ाइटी पर लैवेंडर के प्रभावों को निर्धारित करने के लिए 100 से अधिक अध्ययनों का विश्लेषण किया गया। इन अध्ययनों ने बताया है कि लैवेंडर का एंग्ज़ाइटी के स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से ओरल लैवेंडर सप्लीमेंट के इस्तेमाल का। लैवेंडर अरोमाथेरेपी भी रिलेक्स करने में काफी सहायक है।
कितनी मात्रा है सही : अध्ययनों से पता चलता है कि 80 से 160 मिलीग्राम लैवेंडर का उपयोग एंग्ज़ाइटी को कम करने में सहायक हो सकता है।
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