कोविड -19 पेंडेमिक के बाद से डॉक्टर और पेशेंट के रिलेशन में जबरदस्त बदलाव आया है। इसने डॉक्टरों के बीमारी की पहचान-जांच, उपचार, फॉलो अप और रोगियों के साथ बातचीत करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। डॉक्टर-मरीज के रिश्ते में तेजी से सुधार हुआ है, क्योंकि मरीज अपने घर पर बैठे-बैठे टेलीकम्यूनिकेशन के माध्यम से अपने डॉक्टर से जुड़ सकता है। डॉक्टर्स डे पर आइए जानें कि कैसे मेडिकल प्रोफेशनल्स मरीजों के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बना सकते हैं?
यह सच है कि कोविड महामारी के दौरान टेलीमेडिसिन एक वरदान बन गई है। यह डॉक्टर को फोन या वीडियो पर मरीज से बात करने, उनका अवलोकन करने, उसके चेहरे के भाव, संकेतों और बॉडी लैंग्वेज को नोटिस करने और फिर उसका उपचार करने का अवसर प्रदान करती है।
यह रोगियों में कोविड-19 संक्रमण के जोखिम को कम करने का एक शानदार तरीका है। उन्हें केवल आवश्यकता पड़ने पर ही अस्पताल जाना पड़ता है। चूंकि सोशल डिस्टेंसिंग सबसे जरूरी है, इसलिए टेलीकंसल्टेशन ने मरीजों को जांच प्रक्रिया में शामिल होने में मदद की है। मरीज पहले की अपेक्षा अधिक सतर्क रहने लगे हैं। वे चेतावनी के संकेतों को पहचानने में सक्षम हुए हैं तथा वे समय पर डॉक्टर को रिपोर्ट भी कर लेते हैं।
लॉकडाउन के दौरान यात्रा करना मुश्किल था और कई मरीज डॉक्टर से बहुत अधिक दूरी पर रह रहे थे। ऐसी स्थिति में डॉक्टर के लिए टेलीकम्युनिकेशन रोगियों से जुड़ने का सबसे अच्छा माध्यम बन गया, ताकि वे मरीज को आवश्यक जरूरी राहत दिला सकें। मरीजों के साथ अच्छे संबंध होने से उनकी जरूरतों को समझने और उनके समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
डॉक्टर को अपने मरीज के प्रति थोड़ी सहानुभूति दिखानी चाहिए, खासकर तब जब आपको उन्हें कोई बुरी खबर देनी हो। यदि आपके पास रोगी को समझाने के लिए कोई व्यक्तिगत उदाहरण है, तो उन्हें उनके साथ जरूर साझा करें। इस तरह रोगी अपने-आपको आपसे जुड़ा हुआ महसूस करेगा।
एक डॉक्टर होने के नाते, आपका शेड्यूल अनिश्चित हो सकता है और आपके पास समय की भी कमी होगी। लेकिन आपको रोगी को उसके रोग के लक्षणों के बारे में बताने के लिए उन्हें कुछ समय देना होगा। अन्यथा, वे समस्या को पूरी तरह से नहीं समझ पाएंगे। फिर डॉक्टर भी उनका उपचार सही तरीके से नहीं कर पाएंगे।
सुनिश्चित करें कि रोगी सिर्फ आपके निर्णय को ही मानने के लिए तैयार न हो, बल्कि अपनी बात भी आपके सामने रख सके। रोगी की सभी शंकाओं को दूर करने का प्रयास करें। उन्हें उपचार के पक्ष और विपक्ष दोनों को समझने और अप्लाई करने में उनकी सहायता करें।
एक डॉक्टर को हमेशा सतर्क और सावधान रहना पड़ता है। उसे मरीजों के चेहरे के भावों पर ध्यान देना पड़ता है। जरूरत पड़ने पर मरीज को दिलासा भी देनी पड़ सकती है, उनकी बातों और भावनाओं का ख्याल रखना पड़ सकता है। एक अच्छे डॉक्टर की हमेशा यह कोशिश होनी चाहिए कि वह अपने मरीज का अच्छा दोस्त भी हो।
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