क्या आप भी बात करते करते भूल जाती है, काम करते करते रूक जाती है, हाथ में पहले से ही पकड़े हुए सामान को ढूंढने लगती हैं यां फिर सामान को कहीं और रखकर दूसरी जगह टटोलने रखती है। अगर आप इस तरह की समस्याओं से जूझ रही है, तो कहीं आप अल्ज़ाईमर का शिकार तो नहीं हो रही। एक वो दौर था, जब घर के बड़े बुजुर्ग इस तरह की परेशानी से जूझते थे, मगर अब युवाओं में भी इस तरह की समस्या देखने को मिल रही है। आइए जानते हैं, वो कौन से कारण है, जिसके चलते हम इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
कई बार डिलीवरी के बाद शिशु की देखरेख में न्यू मॉमस नींद पूरी नहीं ले पाती है, जिसके चलते वे अक्सर बच्चों का सामान रखकर ईधर उधर भूल जाती है यां फिर पास में रखे सामान को ही बार बार ढूंढने लगती है। इन परेशानियों का एक बड़ा कारण आठ घंटे की नींद नहीं ले पाना है।
बहुत बार हम लेग किसी न किसी परेशानी को लेकर चिंतित रहते हैं। क्यों की दिनभर हम सिर्फ उसी बार पर फोकस करते हैं। ऐसे में बाकी चीजों में मन नहीं लगता है। दरअसल, बार बार एक ही समस्या के बारे में सोचने और बात करने से हम अपने आस पास चलने वाली गतिविधियों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। नतीजन हम बातों को आसानी से भूल जाते है।
बहुत से लोग दिनभर खाली रहते है और खा पीकर यां फिर सोकर अपना समय व्यतीत लेते हैं। ऐसे में हमारा दिमाग कोई कार्य नहीं कर रहा। अगर आपका दिमाग अपनी क्षमता से कम काम करता है, तो भी आप में अल्ज़ामर के लक्षण आसानी से देखे जा सकते है।
दिन की शुरूआत के साथ ही हम लोग मोबाईल, लैपटॉप और आईपैड से घिर जाते हैं। आलम ये है कि हम हर काम के लिए गैजेटस पर निर्भर होने लगे हैं, जिसके चलते दिमाग हर वक्त एंगेज रहता है और किसी भी चीज़ को याद नहीं रख पाता है। हांलाकि ऐसे में चीजों को भूलना एक आम बात है। ऐसे में खुद को दिन में कुछ घंटों के गेजेटस से ज़रूर दूर रखें।
अल्ज़ाईमर के रोगी अक्सर चीजों को भूलने लगते हैं। वो अक्सर कुछ न कुछ सोचते रहते हैं, जिसके कारण वो चीजों को रखकर यां कुछ कहकर अक्सर भूल जाते हैं। मगर धीरे धीरे ये समस्या एक बीमारी का रूप धारण कर लेती है।
बहुत बार एकाग्रता की कमी के कारण हम चीजों को भूलने लगते हैं। जो लोग इस बीमारी से ग्रस्त होते है उन्हें चीजों को समझने में अक्सर दिक्कत आती है। वो किसी भी बात पर ध्यान नहीं दे पाते और उनका किसी भी काम में मन नहीं लगता है। कुछ मिनटों में ही उनका मन अन्य चीजों की ओर भागने लगता है। साथ ही वे हर वक्त बेचैनी की स्थ्ति में रहते हैं।
अल्ज़ाईमर में लोग बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कट जाते हैं। वे अन्य लोगों से बात करने में कतराने लगते है। बाहर घूमने फिरने में भी उनका मन नहीं लगता है।
आमतौर पर हम लोग बड़ी खुशी से कुछ नया सीखने में उत्सुकता दिखाते हैं। मगर अल्ज़ाईमर से ग्रस्त लोग कुछ नया सीखने से बचते हुए नज़र आते हैं। उनका मन किसी भी काम में नहीं लगता है।
अल्जाइमर रोग एक मानसिक विकार है, जिसके कारण मरीज की याद्दाश्त कमजोर होने लगती है और बार बार मूड बदलने लगते हैं। कभी चेहरे पर ज़रूरत से ज्यादा खुशी नज़र आती है, तो कभी मन परेशान रहने लगता है।
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कस्टमाइज़ करेंअल्जाइमर रोग में दवाईयों के साथ म्यूजिक थैरपी का इस्तेमाल करने से आपको जल्दी आराम मिलता है, क्योंकि मस्तिष्क म्यूजिक के स्वरों के जरिए अपनी पुरानी बातों को याद कराने में सहायक होता है और पूरे आपके मन को सुकून का एहसास होने लगता है।
दिनभर में सुबह और शाम का कुछ वक्त वर्कआउट के लिए ज़रूर निकालें और नियमित रूप से वॉक पर जाएं।
बाहर का खाना खाने से बचें और दिन की सभी मील्स का पौष्टिक होना ज़रूरी है।