बदलाव ही स्थायी है। हम सभी ये सुनते आ रहे हैं। इसलिए बदलाव में खुद को ढाल लेना एक अतिरिक्त गुण माना जाता है। कोविड – 19 लॉकडाउन के बाद हम सभी को अपने – अपने घरों में रहने की आदत सी हो गई है। भले ही अब वर्क फ्रॉम होम की पाबंदी नहीं रही है, लेकिन लोग अब अभी अपने घरों से काम करना पसंद करते हैं। इतना ही नहीं अब जब ऑफिस से काम करना कंपलसरी हो गया है, तो कुछ लोगों को इससे परेशानी भी हो रही है। इसे ऑफिस एंग्जाइटी (Office anxiety) कहा जा सकता है। अगर ये आपकी प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करने लगी है तो आपको इस पर ध्यान देना चाहिए।
पहले कुछ लोगों को वर्क फ्रॉम होम करने में परेशानी थी, तो अब कुछ लोगों के लिए ऑफिस जाकर काम करना बहुत मुश्किल भरा हो लग रहा है। यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। हम सभी की अब ऑफिस जाकर काम करने की आदत हट गई है। ऐसे में फिर से घर और ऑफिस का दोनों का प्रेशर एक साथ संभालना अब चुनौतीपूर्ण लग रहा है। इतना कि कुछ महिलाएं इसे पूरा करने में तनाव और एंग्जाइटी महसूस करने लगी हैं। जिसका असर उनकी प्रोडक्टिविटी पर पड़ रहा है।
क्या वास्तव में ऐसा है, या ये सिर्फ कुछ लोगों की परेशानी है? आइए जानने की कोशिश करते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने मसीना अस्पताल मुंबई के सलाहकार मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक, साहिर जमाती से बात की।
काम के माहौल में बदलाव चिंता और तनाव का कारण बन सकता है, क्योंकि आप एक नई स्थिति में समायोजित करने का प्रयास करते हैं। यह तनाव कई कारणों से हो सकता है। जिसमें दैनिक आवागमन की असुविधा, बॉस का ऑफ़लाइन सामना करना, काम का बोझ बढ़ना, छंटनी का डर, नौकरी से निकाले जाने का भय, नई चुनौतियों से तालमेल बिठाना आदि शामिल हो सकते हैं। आजीविका कमाने की चिंता और आर्थिक तंगी के कारण काम का बोझ व्यक्ति पर हावी हो सकता है।
साहिर बताते हैं कि – ”कुछ चीजें जो एंग्जाइटी का सामना करने में मदद कर सकती हैं, उनमें पौष्टिक भोजन करना, हाइड्रेटेड रहना, पर्याप्त और गहरी नींद लेना, कैफीन से बचना, सप्ताह में कम से कम 5 दिन और हर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करना शामिल है। इसके अलावा आप ग्रैटीट्यूड लेटर लिखकर भी खुद को रिलैक्स कर सकती हैं।
वे कहते हैं – ”सुबह काम पर जाने का डर नींद की अनियमितता और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को जन्म दे सकता है। यह सब आपके काम की गुणवत्ता और प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। अपनी चिंता को आसानी से दूर करने में मदद करने के लिए किसी चिकित्सक या सलाहकार से सहायता ज़रूर लें।”
कार्यस्थल में बदलाव के साथ सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना और अपने आसपास के लोगों से सीखना आपको अपनी एंग्जाइटी को कम करने में मदद कर सकता है।
ऑफिस एंग्जाइटी के मूल कारण की पहचान करने का प्रयास करें और उस पर काम करें।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ और रेस्टिंग तकनीक आपकी मदद कर सकती हैं। माइंडफुलनेस का अभ्यास करने से आपको वर्तमान में रहने में मदद मिल सकती है।
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